गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा पाकिस्तान
कैश के संकट से जूझ रहा पाकिस्तान मध्य जून में आई भारी बारिश से पहले से ही गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। इस बारिश के कारण पाकिस्तान को अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उसका एक तिहाई हिस्सा जलमग्न हो गया था। शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान जलवायु परिवर्तन जनित बाढ़ से जूझ रहा है जबकि वैश्विक कार्बन में इसका योगदान नहीं के बराबर है। पाकिस्तान का कहना है कि बाढ़ के कारण उसकी अर्थव्यवस्था को 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ।
पहले भी दुनिया से मिली काफी मदद
इससे पहले जर्मनी के पहले एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने 2.3 बिलियन डॉलर की बाढ़-राहत सहायता प्रदान करने की घोषणा की थी। यूरोपीय संघ (ईयू) ने भी अपनी बाढ़ सहायता को बढ़ाकर 30 मिलियन यूरो (6.7 बिलियन पाकिस्तानी रुपये) कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान के लिए अपनी मानवीय सहायता अपील को 160 मिलियन डॉलर से पांच गुना बढ़ाकर 816 मिलियन डॉलर कर दिया था। दो महीने पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जर्मनी से पैसा मांगने गए। पैसा मिलने के बाद वो ऐसे बौखलाए कि कश्मीर राग ही अलापने लगे। मौका देख जर्मनी भी हां में हां मिलाता रहा।
पाकिस्तान की गरीबी दर 35.7 फीसदी बढ़ी
पाकिस्तान के माली हालात दिनों दिन बुरी स्थिति में आते जा रहे हैं। देश के प्रसिद्ध उर्दू अखबार ने बताया कि पाकिस्तान की गरीबी दर में 35.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और खाद्य पदार्थों की कीमतों में 20 से 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उधर, देश वैश्विक गरीबी सूचकांक की सूची में 116 देशों में से 92वें स्थान पर पहुंच चुका है।
अखबार ने सरकार को सलाह दी है कि वह मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए एक प्रणाली बनाए क्योंकि इसके कारण पिछले कुछ वर्षों से खाद्य सुरक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की खाद्य सुरक्षा पहले से ही आतंकवादी गतिविधियों, अफगानिस्तान के साथ संघर्ष और मौसम परिवर्तन से प्रभावित हो चुकी है। बढ़ती महंगाई ने इसे और भी खराब कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, तेजी से व लगातार बढ़ती महंगाई ने लोगों को उनके भोजन और बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया है। पाकिस्तान के अन्य स्थानीय मीडिया कवीश ने बताया कि देश की माली हालत बहुत खराब स्थिति में है। यहां कराची हवाई अड्डे से अपना माल बाहर निकालने के लिए व्यापारिक समुदाय के लोग आयात खेप निकासी के लिए अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। बैंकों में डॉलर की किल्लत से यह स्थिति पैदा हुई है। डॉलर का परिदृश्य देश में ऐसी सबसे अविश्वसनीय स्थिति में पहुंच गया है। कारोबारी समुदाय इस बात को लेकर चिंतित है कि कराची बंदरगाह से अपना माल कैसे निकाला जाए। वित्त मंत्रालय इन हालात पर काबू पाने में नाकाम रहा है। (एएमएपी)