केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की 30 मार्च को जारी एक परिपत्र में कहा गया है कि एक बार पैन निष्क्रिय हो जाने के बाद कोई व्यक्ति आयकर कानून के तहत सभी परिणामों के लिए उत्तरदायी होगा और उसे कई तरह के प्रभाव झेलने होंगे।
निष्क्रिय पैन का उपयोग करके व्यक्ति आयकर रिटर्न दाखिल करने में सक्षम नहीं होंगे। लंबित रिटर्न भी प्रोसेस नहीं नहीं किए जाएंगे, पैन निष्क्रिय होने से लंबित रिफंड भी जारी नहीं किया जा सकेगा। एक बार पैन निष्क्रिय होने के बाद दोषपूर्ण रिटर्न के मामले में लंबित कार्यवाही भी पूरी नहीं की जा सकेगी साथ ही करदाता से उच्च दर पर आयकर की वसूली की जाएगी।
परिपत्र में कहा गया है, ‘इसके अलावा, करदाता को बैंकों और अन्य वित्तीय पोर्टलों से संबंधित कई अन्य जगहों पर भी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि पैन सभी प्रकार के वित्तीय लेनदेन के लिए महत्वपूर्ण केवाईसी मानदंडों में से एक है। सीबीडीटी आयकर विभाग के लिए नीति बनाता है।
आधार भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण की ओर से भारत के निवासी को जारी किया जाता है। वहीं, पैन एक 10 अंकों का अल्फान्यूमेरिक नंबर है जो आईटी विभाग की ओर से किसी व्यक्ति, फर्म या संस्था को आवंटित किया जाता है। (एएमएपी)