उत्तराखंड से बाहर के लोग यहां चलाते हैं बिजली परियोजनाएं
लोगों का कहना है कि परियोजना चलाने वालों को प्रोजेक्ट से होने वाले नुकसान और पहाड़ों में जीवन यापन करने वाले लोगों की कोई चिंता नहीं होती, क्योंकि इन प्रोजेक्ट को चलाने वाले उत्तराखंड के निवासी ही नहीं होते। जानकारों का कहना है कि उत्तराखंड की दशा और दिशा आमतौर पर पहाड़ों की छाती में बनाए जाने डैम और उत्तराखंड की पहाड़ियों में खोदे जाने वाली सुरंगें हैं। इनकी वजह से आज उत्तराखंड त्रासदी की ओर आगे बढ़ रहा है।
वहीं भिलंगना नदी की अगर बात की जाए तो 30 किलोमीटर के अंतराल में अब तक दो बिजली परियोजनाएं बनाई गई हैं। इन दोनों परियोजनाओं के बीच में अभी एक परियोजना का कार्य प्रगति पर है। वहीं एक और परियोजना प्रस्तावित है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर इन परियोजनाओं में बनाई जाने वाली सुरंगें पहाड़ किस कदर कमजोर कर देंगी।
मामले को लेकर क्या कहते हैं टिहरी के लोग?
स्थानीय नागरिक देवाशीष डंगवाल, भजन रावत और विनोद लाल ने बताया कि भिलंगना नदी पर दोनों परियोजनाओं से उन्हें नुकसान ही हुआ है। यहां के लोगों को किसी भी प्रोजेक्ट से अभी तक कोई फायदा नहीं मिला है। पहाड़ों पर बिजली पैदा कर बाहरी लोग मोटा मुनाफा कमा रहे हैं और पहाड़ को खोखला कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर इन बिजली परियोजनाओं पर रोक नहीं लगाई गई तो घनसाली में भी जोशीमठ जैसे हालात बनने में देर नहीं लगेगी। इसके बाद स्थानीय लोगों के पास पछताने के अलावा और कुछ नहीं बचेगा।(एएमएपी)