देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण लोगों का बुरा हाल है। चारों तरफ कोहरे की तरह नजर आने वाला स्मॉग छाया हुआ है। जिस वजह से लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली भर में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बनी हुई है। आया नगर में एक्यूआई 464, द्वारका सेक्टर-8 में 486, जहांगीरपुरी में 463 और आईजीआई एयरपोर्ट (टी3) के आसपास एक्यूआई 480 दर्ज किया गया है।
#WATCH | On Delhi Pollution, Delhi Environment Minister Gopal Rai says, “…Central government figures show that less stubble has been burnt in Punjab this year in comparison to last year. Punjab’s stubble smoke does not have as much impact on Delhi as that of Haryana and Uttar… pic.twitter.com/NLEZk0YIhb
— ANI (@ANI) November 5, 2023
सभी प्राइमरी स्कूल बंद
हालात को देखते हुए हरकत में आई दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने राजधानी के सभी सभी प्राइमरी स्कूल 10 नवंबर तक बंद रखने और क्लास 6-12 के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू करने का आदेश जारी कर दिया है। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने रविवार को ट्वीट किया, “चूंकि प्रदूषण का स्तर लगातार ऊंचा बना हुआ है, इसलिए दिल्ली में प्राथमिक स्कूल 10 नवंबर तक बंद रहेंगे। कक्षा 6-12 के लिए स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाओं में स्थानांतरित करने का विकल्प दिया जा रहा है।”
एक्यूआई में मामूली गिरावट
जानकारी के अनुसार, सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग (सफर) के अनुसार, रविवार को लगातार चौथे दिन दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में रही, हालांकि एक्यूआई मामूली गिरावट के साथ शनिवार को 504 के मुकाबले 410 दर्ज किया गया। ‘सफर’ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, लोधी रोड क्षेत्र में वायु गुणवत्ता 385 (बहुत खराब) दर्ज की गई, जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय क्षेत्र में 456 (गंभीर) है। कुतुब मीनार क्षेत्र में आज हवा में धुंध की एक मोटी परत दिखाई दी। वहीं, लोधी गार्डन में सुबह की सैर करने वाले एक व्यक्ति ने प्रदूषण बढ़ने के कारण सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की।
उत्तर भारत में वायु प्रदूषण से सांसों का संकट
खराब से बेहद खराब श्रेणी के ज्यादातर शहर उत्तर भारत के हैं और अच्छी से संतोषजनक स्तर की हवाओं वाले ज्यादातर शहर दक्षिण भारत के। दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण के शोधार्थी और सेंट्रल युनिवर्सिटी, राजस्थान के प्रोफेसर डॉ. जय प्रकाश बताते हैं कि इसमें भूगोल के साथ मौसमी दशाओं की बड़ी भूमिका है। सिंधु-गंगा के मैदान में धूल के महीने कणों का हवाएं दूर तक ले जाती हैं। पंजाब से पराली का धुंआ, राजस्थान की रेतीली हवाएं दिल्ली-एनसीआर पर असर डालती है। जबकि दक्षिण में नमी ज्यादा होने से धूल धरती पर बैठ जाती है। इसमें घनी बसावट का भी अपना योगदान है।
#WATCH | Delhi: ANI drone camera footage from the Kalindi Kunj area shows a thick layer of haze in the air. Visuals shot at 9:15 am today.
The air quality in Delhi continues to be in the ‘Severe’ category as per CPCB (Central Pollution Control Board). pic.twitter.com/6yfIjGq0kV
— ANI (@ANI) November 5, 2023
धूल के महीन कण हैं सबसे बड़े प्रदूषक
विशेषज्ञ बताते हैं कि उत्तर व दक्षिण के प्रदूषण में भारी अंतर के पीछे की वजह मौसमी दशाएं और भौगोलिक बनावट व बसावट है। सिंधु-गंगा मैदान के बड़े प्रदूषक धूल के महीने कण पीएम-10 व पीएम-2.5 हैं। सर्दियों की हवा में नमी कम होने धूल के महीने कण जमीन पर नहीं बैठ पाते। वहीं, मैदानी क्षेत्र में उत्तर पश्चिमी, उत्तर-उत्तर-पश्चिमी व उत्तर पूर्वी से चलने वाली तेज हवाएं दूर तक प्रदूषकों को ले जाती हैं। पराली का धुंआ पंजाब व हरियाणा से दिल्ली-एनसीआर तक पहुंच जाता है। इससे इन दिनों की तरह हर सर्दी घनी बसावट का यह इलाका स्मॉग की मोटी चादर से ढंक रहता है। इसके विपरीत अरब सागर, बंगाल की खाली और हिंद महासागर से घिरे दक्षिण भारत में तेजी से मौसमी बदलाव नहीं होते। फिर, नमी ज्यादा होने से धूल के कण धरती पर बैठ जाते हैं। जो भी प्रदूषण होता है, वह स्थानीय होता है। वैश्विक मॉडल का अध्ययन करने की जगह सरकारों को अपने देश का ही अध्ययन कर वायु प्रदूषण की स्थिति से निपटने की कोशिश करनी चाहिए।
दिल्ली और एनसीआर की हवाओं के बड़े खलनायक
दिल्ली हर तरफ से जमीन से घिरी है। हवाओं के मामले में इसकी स्थिति कीप जैसी है। पड़ोसी राज्यों की मौसमी हलचल का सीधा असर दिल्ली-एनसीआर में पड़ता है। चारों तरफ से आने वाली हवाएं कीप सरीखे दिल्ली-एनसीआर में फंस जाती हैं। नतीजा गंभीर स्तर के प्रदूषण के तौर पर दिखता है। (एएमएपी)