डायबिटीज की बीमारी आज पूरे भारत में तेजी से फैल रही है। वर्तमान में करीब 8 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। वहीं 2045 तक 13 करोड़ लोगों के डायबेटिक होने की आशंका है। हम जानते हैं कि गलत दिनचर्या और नुकसानदायक खाने के कारण टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी होती है, लेकिन अब एक नई रिसर्च में कहा गया है कि प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक केमिकल्स के कारण महिलाओं में डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है।प्लास्टिक का इस्तेमाल, तब जीवन में रच बस गया है। हर कोई प्लास्टिक की बोतल में पानी पीते हैं लेकिन रिसर्च का दावा है कि अगर महिलाएं प्लास्टिक की बोतल में पानी पीएं, तब उन्हें टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है। प्लास्टिक में मौजूद फटालेट्स केमिकल के संपर्क में जब महिलाएं आती हैं, तब उनमें टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। फटालेट्स केमिकल्स का एक समूह है जो प्लास्टिक में पाया जाता है। यह एक खतरनाक रसायन है।
ग्लोबल डायबेटिक कम्युनिटी की वेबसाइट के अनुसार बताया गया है कि शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि महिलाओं को फटालेट्स बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। फटालेट्स प्लास्टिक में मौजूद होता है। अध्ययन के मुताबिक फटालेट्स इंडोक्राइन डिसरप्टिंग केमिकल यानी इंडोक्राइन ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन में बाधा पहुंचाने वाला केमिकल होता है।
अध्ययन में कई देशों के 1300 महिलाओं पर प्रयोग किया गया। इनकी सेहत की 6 साल तक पड़ताल की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि फटालेट्स केमिकल के संपर्क में आने के कारण 30 से 63 प्रतिशत महिलाओं में डायबिटीज का जोखिम बढ़ जाता है। इस रिसर्च में यह भी पाया गया कि फटालेट्स के संपर्क में आने से अश्वेत और एशियाई महिलाओं पर इसका कोई असर नहीं हुआ।(एएमएपी)