NDA बनाम INDIA
मंगलवार को जारी बैठक के दौरान विपक्ष ने INDIA यानी इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव अलायंस नाम पर मुहर लगा दी। बेंगलुरु में आयोजित इस बैठक में विपक्ष के करीब 26 दल शामिल हुए। अटकलें हैं कि विपक्ष कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को गठबंधन का मुखिया बनाने की योजना बना रहा है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में जुटे नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस यानी NDA ने 38 दलों के साथ होने का दावा किया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मीटिंग में शामिल रहे।
ये दल रहे गायब
जनता दल (सेक्युलर)
2006 में यह दल भाजपा के साथ रहकर सरकार में शामिल था। वहीं, 2018 में कांग्रेस के साथ गठबंधन से सरकार बनाई और मुख्यमंत्री पद भी हासिल किया। माना जा रहा है कि जेडीएस 2023 में मिली करारी हार के बाद भाजपा के साथ गठबंधन पर विचार कर सकती है, लेकिन अब तक किसी ने आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है। मंगलवार को भी हुई बैठक से जेडीएस गायब रही।
शिरोमणि अकाली दल
खबरें थी कि शिअद की एनडीए में वापसी हो सकती है, लेकिन मंगलवार को पार्टी की गैरमौजूदगी ने अटकलों पर विराम लगा दिया। हालांकि, अकाली दल बेंगलुरु में विपक्ष के साथ भी नजर नहीं आया। कहा जा रहा है कि इसकी बड़ी वजह पंजाब की राजनीति हो सकती है, जहां पार्टी अपने धुर विरोधियों आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साथ नजर नहीं आना चाहती। अब वापस हो चुके तीन किसान कानूनों के चलते शिअद ने एनडीए से दूरी बना ली थी।
बहुजन समाज पार्टी
कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति में दबदबा रखने वाली बसपा बीते कुछ समय से लगातार कांग्रेस समेत कई दलों को घेर रही है। साथ ही बसपा पहले भी भाजपा की विरोधी रही है। दल न ही बेंगलुरु और न ही दिल्ली में नजर आया।

बीजू जनता दल
ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजद से विपक्ष ने नाता जोड़ने की अपील तो की, लेकिन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने विपक्षी मोर्चे का साथ देने से इनकार कर दिया। पार्टी का कहना है कि क्षेत्रीय दल होने के नाते हमारी अपनी नीतिया हैं, जिनमें अधिकांश ओडिशा के हित से जुड़ी हैं। हम संसद और बाहर मुद्दों के आधार पर समर्थन देते हैं।
भारत राष्ट्र समिति
कभी विपक्षी एकता तैयार करने में सबसे आगे नजर आ रहे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बेंगलुरु की बैठक से दूर रहे। उस दौरान कहा जा रहा था कि केसीआर गैर-कांग्रेसी गठबंधन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्षी बैठक से दूर होने की वजह भी कांग्रेस और भाजपा हो सकती हैं। दरअसल, भाजपा लगातार दक्षिण में विस्तार की कोशिश में है और तेलंगाना को अगला पढ़ाव मान रही है। वहीं, राज्य में कांग्रेस भी बीआरएस की धुर विरोधी है। राहुल गांधी भी कई मौकों पर बीआरएस को घेर चुके हैं।
वाईएसआरसीपी
युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी यानी वाईएसआरसीपी मुखिया वाईएस जगन मोहन रेड्डी किसी भी बैठक में नजर नहीं आए। साल 2010 में वह कांग्रेस से अलग हो गए थे। इधर, केंद्र में भाजपा की नीतियों का समर्थन करने के बावजूद वाईएसआरसीपी ने आंध्र प्रदेश में दल से दूरी बना रखी है। खबर है कि उन्हें किसी भी ओर से बैठक का न्योता नहीं मिला।
इंडियन नेशनल लोक दल
खबर है कि आईएनएलडी हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ तीसरा मोर्चा तैयार करने की कोशिश में है। पार्टी पहले भी दो मौकों पर एनडीए का हिस्सा रह चुकी है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन
हैदराबाद में 7 विधायक और लोकसभा में एक सांसद वाली एआईएमआईएम किसी भी बैठक का हिस्सा नहीं थी। फिलहाल, दल भाजपा और कांग्रेस दोनों पर ही निशाना साधता नजर आ रहा है।
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट
असम में बड़े स्तर पर मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली एआईयूडीएफ भाजपा की नीतियों की विरोधी रही है। लेकिन पार्टी विपक्ष की बैठक में भी शामिल नहीं रही। माना जा रहा है कि इसकी वजह कांग्रेस से दूरी भी हो सकती है। 2021 में साथ विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद से ही दोनों दलों में तल्खी का दौर जारी है।(एएमएपी)



