हिमाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के बीच चल रही सियासी खींचतान में गुरुवार को नया मोड़ आ गया। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कांग्रेस के छह विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहरा दिया है। इन विधायकों ने बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के व्हिप की अवहेलना की। विपक्ष के कटौती प्रस्ताव व बजट पारित करने के दौरान सदन से गैरहाजिर रहे।अयोग्य ठहराए गए विधायकों में सुजानपुर से राजेन्द्र राणा, धर्मशाला से सुधीर शर्मा, बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल, गगरेट से चैतन्य शर्मा, कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो और लाहौल-स्पीति से रवि ठाकुर शामिल हैं। राज्य विधानसभा के सदस्यों के रूप में अयोग्य होने से यह सीटें रिक्त हो गई हैं। चुनाव आयोग रिक्तियों को अधिसूचित कर सके, इसके लिए विधानसभा सचिवालय उसे विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से अवगत कराएगा। कांग्रेस ने इन विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर की थी।
संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने की थी याचिका दायर
कुलदीप सिंह पठानिया ने गुरुवार को पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के छह बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने के बारे में जानकारी दी। पठानिया ने कहा कि कांग्रेस के यह छह सदस्य दल-बदल कानून के तहत अयोग्य पाए गए हैं और अब वे सदन के सदस्य नहीं हैं। संसदीय कार्यमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने छह बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार और बागी विधायकों के वकीलों की दलीलों को सुना और इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। बागी विधायकों की ओर से भाजपा के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता सतपाल जैन ने पैरवी की। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले हुए राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस से बागी हुए छह विधायकों ने भाजपा के उम्मीदवार को वोट किया था। उनके साथ तीन निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया। इस तरह बहुमत न होने के बावजूद भाजपा ने हिमाचल प्रदेश में एकमात्र राज्यसभा सीट जीत ली।
Himachal assembly Speaker disqualifies 6 Congress MLAs, ruling party regains a majority for now
Saurabh Chauhan @Saurabhjr reports#ThePrintPoliticshttps://t.co/MCbpHO3UvF
— ThePrintIndia (@ThePrintIndia) February 29, 2024
हिमाचल में अब आगे क्या?
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के पास 40 विधायक थे। 68 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 35 का था। छह विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की थी। इन विधायकों की बगावत के बाद कांग्रेस नंबरगेम में 40 से 34 पर आ गई थी जो बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़े से एक कम था। क्रॉस वोटिंग करने वाले उसके 6 बागी विधायकों को अब स्पीकर ने सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया है। ऐसे में विधानसभा स्ट्रेंथ अब 62 हो गई है। ऐसे में बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा अब 32 हो गया है। बीजेपी के पास राज्य में 25 विधायक हैं और तीन निर्दलीय भी उसके पाले में हैं। वहीं कांग्रेस के चार विधायक आज सीएम के नाश्ते पर नहीं पहुंचे। तो ऐसे में स्पीकर के फैसले के बावजूद अभी भी सरकार पर मंडरा रहा खतरा कम नहीं हुआ है।
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कोर्ट से भी राहत न मिली, तो होंगे उपचुनाव
हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि दल बदल कानून को इसलिए बनाया गया है, ताकि विधायकों की खरीद फरोख्त न हो। उन्होंने कहा कि वह आने वाले समय में इस मामले को लेकर बड़ी-बड़ी बातें भी बताएंगे। अयोग्य ठहराए गए विधायक अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर विधानसभा अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने की मांग कर सकते हैं और अगर विधायकों को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलती है, तो प्रदेश में उपचुनाव की स्थिति पैदा हो जाएगी। इन सभी छह सीटों पर उपचुनाव होंगे और जानकारी के मुताबिक यह सभी विधायक भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर ही चुनाव लड़ेंगे। गौरतलब है कि धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजिंदर राणा, बड़सर से आईडी लखनपाल, कुटलैहड़ से देवेंद्र भुट्टो, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर और गगरेट से चैतन्य शर्मा कांग्रेस की टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे थे।(एएमएपी)