#pradepsinghप्रदीप सिंह।
कहावत तो है- एक अनार और सौ बीमार। लेकिन मैं यहां जिस अनार का जिक्र करने जा रहा हूं उसके दो ही बीमार हैं। दोनों की कोशिश है- और यह कोशिश कई साल से चल रही है- कि वह अनार उन्हें मिल जाए। लेकिन अनार है कि तय ही नहीं कर रहा है कि किसके पास जाएंगे… जाएंगे भी कि नहीं… और वह अनार बनने को तैयार भी है कि नहीं। जी हां मैं बात कर रहा हूं भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और अभी कुछ समय पहले तक बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे सौरव गांगुली की।

Mamata Banerjee bats for Saurav Ganguly, appeals to PM Modi to send him to ICC - India Today

अब उन्होंने बीसीसीआई का अध्यक्ष पद छोड़ दिया है। दूसरा कार्यकाल नहीं लिया या उनको नहीं मिला इस पर विवाद चल रहा है। भाजपा के विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि सौरव गांगुली को जानबूझकर दूसरा कार्यकाल नहीं दिया गया जबकि वह दूसरा कार्यकाल चाहते थे। सौरव गांगुली ने इस पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि जरूरी नहीं है कि प्रशासन के किसी पद पर या टीम में कोई खिलाड़ी या प्रबंधक हमेशा बना रहे, उसको अपना पद छोड़ना पड़ता है- और दूसरे काम भी हैं। लेकिन उसके बाद उन्होंने एक बात और कही कि वह कोलकाता क्रिकेट एसोसिएशन का चुनाव लड़ेंगे। इससे एक बात यह समझ में आई कि वह क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन को छोड़कर नहीं जा रहे हैं।

दादा की चुप्पी

More than mishti doi on the menu? Sourav Ganguly likely to host Amit Shah for dinner

जब से सौरव गांगुली ने क्रिकेट से रिटायरमेंट लिया है तब से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी लगातार इस कोशिश में हैं कि सौरव गांगुली उनकी पार्टी में शामिल हो जाएं। इसके लिए बीच में एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कोलकाता में सौरव गांगुली के आवास पर उनसे मिले थे। संभवत यह वही समय था जब सौरव गांगुली को बीसीसीआई का अध्यक्ष बनना था। उसके अलावा भी बीजेपी के नेता सौरव गांगुली को पार्टी में लाने की कोशिश करते रहे हैं। उधर ममता बनर्जी भी कोशिश करती रही हैं कि सौरव गांगुली उनकी पार्टी में आ जाएं। अभी ममता बनर्जी ने मौके का फायदा उठाते हुए एक दांव चला है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि सौरव गांगुली को आईसीसी का चेयरमैन बनने दिया जाए। आईसीसी के चेयरमैन का चुनाव हो रहा है और उसके लिए नॉमिनेशन की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर है। लेकिन वह तभी हो सकता है जब बीसीसीआई का समर्थन हो। सौरव गांगुली आईसीसी का चेयरमैन बनना चाहते हैं या नहीं चाहते हैं- यह भी पता नहीं है। लेकिन दोनों और से कोशिश हो रही है। ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री से जो अपील की उसका जवाब दिया बंगाल में भाजपा से नेता शुभेंदु अधिकारी ने। अधिकारी ने ममता बनर्जी से कहा कि अगर उनके मन में सौरव गांगुली के लिए इतना ही प्रेम है तो उन्होंने पश्चिम बंगाल का ब्रांड एंबेसडर शाहरुख खान को क्यों बनाया- सौरव गांगुली को क्यों नहीं बनाया? वह अभी भी शाहरुख़ खान को हटाकर सौरव गांगुली को ब्रांड एंबेसडर बना दें।

कुछ दिन और चलेगी ‘लड़ाई’

इस तरह यह लड़ाई अभी कुछ दिन और चलेगी… जब तक आईसीसी के चेयरमैन के नॉमिनेशन की तारीख नहीं निकल जाती… या सौरव गांगुली अपनी ओर से कुछ बोलते नहीं। सौरव गांगुली पश्चिम बंगाल में बहुत लोकप्रिय हैं। वैसे तो वह देश भर में लोकप्रिय हैं लेकिन राजनीति की दृष्टि से बात कर रहा हूं कि वह पश्चिम बंगाल में उनकी लोकप्रियता बहुत अधिक है। बीजेपी के पास वहां कोई इतना लोकप्रिय नेता है नहीं। ममता बनर्जी के लिए सौरव गांगुली का उपयोग यह है कि उनके आने से उनकी पार्टी को क्रेडिबिलिटी मिलेगी और इमेज मेकओवर का एक मौका मिलेगा। सौरव गांगुली के आने से पार्टी की प्रतिष्ठा बढ़ती है। बीजेपी को लगता है कि अगर उसको सौरव गांगुली मिल जाएं तो उन्हें एक ऐसा लोकप्रिय नेता मिल जाएगा जो बांग्ला भाषी है। ऐसे में दोनों पार्टियां तृणमूल और भाजपा कोशिश करती रहती हैं कि सौरव गांगुली राजनीति में आएं और उनकी पार्टी में आएं। उधर सौरव गांगुली ने किसी पार्टी में जाने की बात तो दूर, राजनीति में आने के बारे में भी कोई खुलासा नहीं किया है- अपनी ओर से कोई जानकारी नहीं दी है। उनका अभी तक का रुख यह रहा है कि वह राजनीति में नहीं जाना चाहते। लेकिन मन बदलने में जरूरी नहीं कि बहुत लंबा समय लगे। मन बदल भी सकता है। लेकिन मन बदलेगा भी या नहीं बदलेगा- और बदलेगा तो वह कहां जाएंगे- इस अनार का दावेदार कौन बनेगा- यह अनार किस खेमे में जाएगा… अभी कुछ कहना मुश्किल है।

(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और‘आपका अखबार’ न्यूज पोर्टलएवं यूट्यूब चैनल के संपादक हैं)