शारदीय नवरात्रि उत्सव- 17 अक्टूबर -मां शैलपुत्री

श्री श्री रविशंकर ।

नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’। रात्रि विश्राम का समय होता है। यह मन और शरीर में पुनः ऊर्जा भरने का समय होता है। नवरात्रि उत्सव के दौरान माँ दुर्गा के नौ विभिन्न रूपों का सम्मान किया जाता है एवं पूजा जाता है। जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है।


 

माँ दुर्गा का पहला ईश्वरीय स्वरुप शैलपुत्री है, शैल का मतलब शिखर। शास्त्रों में शैलपुत्री को पर्वत (शिखर) की बेटी के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर यह समझा जाता है कि देवी शैलपुत्री कैलाश पर्वत की पुत्री है। लेकिन यह बहुत ही सामान्य सोच है। इसका योग के मार्ग पर वास्तविक अर्थ है- चेतना का सर्वोच्च स्थान। यह बहुत दिलचस्प है, जब ऊर्जा अपने चरम स्तर पर है, तभी आप इसका अनुभव कर सकते है। इससे पहले कि यह अपने चरम स्तर पर न पहुँच जाए, तब तक आप इसे समझ नहीं सकते। क्योंकि चेतना की अवस्था का यह सर्वोत्तम स्थान है जो ऊर्जा के शिखर से उत्पन्न हुआ है। यहाँ पर शिखर का मतलब है- हमारे गहरे अनुभव या गहन भावनाओं का सर्वोच्चतम स्थान।

Navratri 2018: Ghatasthapana Muhurta, date, Vrat schedules and all other details

 

जब आप 100 प्रतिशत गुस्से में होते हो तो आप महसूस करोगे कि गुस्सा आपके शरीर को कमजोर कर देता है। दरअसल हम अपने गुस्से को पूरी तरह से व्यक्त नहीं करते। जब आप 100 प्रतिशत क्रोध में होते हैं, यदि पूरी तरह से क्रोध को आप व्यक्त करें तो आप इस स्थिति से जल्द ही बाहर निकल सकते है। जब आप 100 प्रतिशत किसी भी चीज में होते है, तभी उसका उपभोग कर सकते है, ठीक इसी तरह जब क्रोध को आप पूरी तरह से व्यक्त करेंगे तब ऊर्जा की उछाल का अनुभव करेंगे और साथ ही तुरंत क्रोध से बाहर निकल जाएंगे। क्या आपने देखा है कि बच्चे कैसे व्यवहार करते हैं? जो भी वे करते हैं, वे 100 प्रतिशत करते हैं। अगर वे गुस्से में हैं, तो वे उस पल में 100 प्रतिशत गुस्से में हैं, और फिर तुरंत कुछ ही मिनटों के बाद वे उस क्रोध को भी छोड़ देते हैं। अगर वे नाराज हो जाते हैं, तो भी वे थक नहीं जाते हैं। लेकिन अगर आप गुस्सा हो जाते हैं, तो आपका गुस्सा आपको थका देता है। ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए है, क्योंकि आप अपना क्रोध 100 प्रतिशत व्यक्त नहीं करते हैं। अब इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर समय नाराज हो जाएँ। तब आपको उस परेशानी का भी सामना करना पड़ेगा जिसकी वजह से क्रोध आता है।

जब आप किसी भी अनुभव या भावनाओँ के शिखर तक पहुंचते हैं, तो आप दिव्य चेतना के उद्भव का अनुभव करते हैं, क्योंकि यह चेतना का सर्वोत्तम शिखर है। शैलपुत्री का यही वास्तविक अर्थ है।

(लेखक आध्यात्मिक गुरु और द आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक हैं)

 

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments