चीन को जवाब देने की तैयारी, अरुणाचल में 12 प्रोजेक्ट पर होगा फास्ट ट्रैक से काम
अरुणाचल प्रदेश में 12 जलविद्युत परियोजनाओं का काम तेजी से पूरा करने के लिए भारत सरकार ने तीन सरकारी कंपनियों को लगा दिया है। इन कंपनियों को फास्ट ट्रैक से इस काम को पूरा करना है। इसमें 2 हजार मेगावाट का सुबानसिरी प्रोजेक्ट भी शामिल है जो कि रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। दरअसल चीन सीमा के पास ही एक डैम बना रहा है। ऐसे में चीन को जवाब देने के लिए भी ये डैम काफी हैं। जिन कंपनियों को यह काम सौंपा गया है वे हैं, एनएचपीसी, एसजेवीएन और नीपको । ये तीनों ही कंपनियां एनटीपीसी की ही सबसीडरी हैं।अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में इन प्रोजेक्ट को लेकर MoU पर साइन किए गए। इन प्रोजेक्ट्स से 11,517 मेगवॉट बिजली का उत्पादन होगा। बता दें कि ये प्रोजेक्ट सरकार के लिए कई तरीके से मायने रखते हैं। पहला तो यह कि ये प्रोजेक्ट उन इलाकों में हैं जहां चीन भी कई बार दावा ठोकने की कोशिश करता है। दूसरा सीमा के पास चीन के निर्माण का भी यह एक तरह से जवाब है। इसके अलावा 2030 तक 50 फीसदी नॉन फॉसिल फ्यूल एनर्जी और 2070 तक नेट जीरो का टारगेट पूरा करने में भी यह मददगार होगा। वर्तमान की बात कर करें तो 70 फीसदी बिजली कोयले से बनती है। केवल 25 फीसदी बिजली का उत्पादन ही नवीकरणीय संसाधनों से होता है।
पहले प्राइवेट कंपनियों को इन प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन फिर फंडिंग, विशेषज्ञता, भूमि अधिग्रहण और क्लियरेंस जैसे मामलों को लेकर काम पूरा नहीं हो पाया। अब एनएचपीएस को कुल 3800 मेगावाट, एसजेवीएन को 5097 मेगावॉट और नीपको को 3620 मेगावॉट के प्रोजेक्ट्स का काम सौंपा गया है।
ऊर्जा एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने एमओयू पर साइन करने के बाद कहा. इससे राज्य की प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होगी और यह महाराष्ट्र, गुजरात से आगे निकल जाएगा। सभी विकसित देश जैसे कि अमेरिका, कनाडा और नॉर्वे के पास 80 से 90 फीसदी तक की हाइड्रोपावर कपैसिटी है। भारत में भी जल्द जलविद्युत की शक्ति बढ़ेगी। ये प्रोजेक्ट भूमिगत जल स्तर सुधारेंगे और इससे वनस्पतियां भी बढ़ेंगी।
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश के ही पास ही चीन एक 60 हजार मेगावॉट क्षमता वाला डैम बना रहा है। यह बांध ब्रह्मपुत्र नदी का पानी डाइवर्ट कर स कता है। इसके अलावा कहा जा रहा है कि इस बांध से ज्यादा पानी छोड़कर चीन अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ भी ला सकता है। इसीलिए भारत कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता और ब्रह्मपुत्र के पानी को नियंत्रित करने के लिए अपने डैम पर काम तेज कर दियाहै।(एएमएपी)