जहाज निर्माण की क्षमता दिलाने में भारतीय उद्योगों का प्रमुख योगदान : मुर्मू।
नौसेना प्रमुख आर. हरि कुमार ने बताया कि इस युद्धपोत में बेहतर स्टील्थ फीचर्स, उन्नत हथियार और सेंसर और प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन सिस्टम हैं। एक तरह से देखा जाए तो तकनीकी रूप से उन्नत यह फ्रिगेट पुरानी एएसडब्ल्यू फ्रिगेट आईएनएस विंध्यगिरी को श्रद्धांजलि है। पुराने जहाज आईएनएस विंध्यगिरी ने 08 जुलाई 1981 को नौसेना में शामिल होकर 11 जून 2012 तक विभिन्न चुनौतीपूर्ण अभियानों और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों के दौरान लगभग 31 वर्षों तक सेवा दी थी। नवनिर्मित ‘विंध्यगिरी’ स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के साथ अब अपनी समृद्ध नौसैनिक विरासत को संभालने के लिए तैयार है।
उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए बताया कि प्रोजेक्ट 17ए कार्यक्रम के तहत मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) को चार और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) को तीन जहाज़ों का निर्माण सौंपा गया था। इस परियोजना के पहले पांच जहाज तारागिरी, उदयगिरि, दूनागिरी, नीलगिरि, हिमगिरी लॉन्च किए जा चुके हैं। भारत में पर्वत शृंखलाओं के नाम पर इन सभी जहाजों के नाम रखे गए हैं। इस परियोजना को स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल फ्रिगेट की एक शृंखला का निर्माण करने के लिए लॉन्च किया गया था। प्रोजेक्ट 17ए का कुल मूल्य लगभग 25,700 करोड़ रुपये है।
नौसेना प्रमुख ने कहा कि प्रोजेक्ट 17ए जहाजों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने इन-हाउस डिजाइन किया है, जो सभी युद्धपोत डिजाइन गतिविधियों के लिए अग्रणी संगठन है। ‘आत्मनिर्भरता’ के प्रति देश की दृढ़ प्रतिबद्धता के अनुरूप प्रोजेक्ट 17ए जहाजों के उपकरणों और प्रणालियों के लिए 75% ऑर्डर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) सहित स्वदेशी फर्मों से मिले हैं। विंध्यगिरी की लांचिंग आत्मनिर्भर नौसैनिक बल के निर्माण में की गई अविश्वसनीय प्रगति का एक उपयुक्त प्रमाण है। कार्यक्रम में रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जीआरएसई के सीएमडी कमोडोर पीआर हरि, आईएन (सेवानिवृत्त) मौजूद रहे।(एएमएपी)