(5 मार्च पर विशेष)
रमेश शर्मा।
यह संगठन अमेरिका में प्रवासी भारतीयों को संगठित कर भारत की अंग्रेजों से मुक्ति के लिये वातावरण बना रही थी । युवा पृथ्वीसिंह संस्था से जुड़े और इसके विस्तार के काम में लग गये । उन्होंने गदर पार्टी के मुखपत्र “गदर” का प्रकाशन और इसके विस्तार के काम में जुट गये । जब प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हुआ तो गदर पार्टी ने अपने अनेक कार्यकर्ताओं को भारत भेजा और अंग्रेजों से मुक्ति की सशस्त्र क्रान्ति को तेज किया और युवाओं से आव्हान किया कि अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ फेंका जाये । भारत की स्वाधीनता का यही संकल्प लेकर पृथ्वीसिंह वह 29 अगस्त 1914 को लगभग 150 स्वतंत्रता सेनानियों के साथ भारत लौटे । उन्होंने पूरे पंजाब की यात्रा की और युवकों को संगठित करना आरंभ किया । जब यह समाचार अंग्रेजों को मिला तो 7 दिसंबर 1914 वे गिरफ्तार कर लिये गये। अंग्रेजों ने उन पर लाहौर षडयंत्र केस में भी आरोपी बनाया मौत की सजा सुनाई गई। लेकिन बाद में सुबूत के अभाव में मृत्युदंड तो बदला लेकिन आजीवन कारावास की सजा देकर सेलुलर जेल भेज दिया गया। और उन्हे 1922 में नागपुर जेल स्थानांतरित किया गया। इसके साथ उन्हें कलकत्ता, मद्रास आदि विभिन्न जेलों में 10 साल रखा गया ।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने अधिकांश राजनैतिक बंदी रिहा किये । इसका लाभ पृथ्वीसिंह जी को भी मिला और वे रिहा कर दिये गये । रिहाई वे रूस गये । और वहाँ रह रहे भारतीयों तथा अंग्रेज विरोधी विचार के लोगों से संपर्क किया तथा भारतीय समाज के दर्द का वर्णन किया उनके द्वारा दिये गये ये विवरण लेनिन पत्रिका में प्रकाशित हुये । बाद में उनके यह सभी संस्मरण एक पुस्तक के आकार में भी प्रकाशित हुये । भारत लौटने पर कांग्रेस से जुड़े और वे गांधी जी के नेतृत्व में आंदोलन की मुख्यधारा से जुड़ गये । विभिन्न आँदोलनों में जेल गये । नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने जब आजाद हिन्द फौज का गठन किया तो उसके समर्थक बने । स्वतंत्रता के बाद उन्होंने पंजाब से संविधान सभा का चुनाव लड़ा और जीते । भारत सरकार ने 1977 में उन्हे तीसरा सबसे सम्मानित पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।
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जीवन का अंतिम समय अस्वस्थता में बीता और 5 मार्च 1989 को क्रांतिकारी और विचारक पृथ्वीसिंह आजाद ने 96 वर्ष की आयु में संसार से विदा ली । उनकी जीवन गाथा दो आत्मकथाओं में उपलब्ध है । इनमें “क्रांति पथ का पथिक” का प्रकाशन 1990 में हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा किया गया । और “बाबा पृथ्वी सिंह आज़ाद, महान योद्धा, 1987 में भारतीय विद्या भवन द्वारा प्रकाशित की गई।(एएमएपी)