प्रदीप सिंह। 
पंजाब में गांधी परिवार ने वो किया जिसकी कम लोगों को उम्मीद थी। कुछ पोलिटिकल पार्टियां हार के मुंह से जीत निकाल कर ले आती हैं। कांग्रेस ऐसी पार्टी हो गई है जो जीत के मुंह से हार निकाल कर लाती है। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी प्रदेश अध्यक्ष बनाना कांग्रेस का इसी प्रकार का कदम है। यह पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का अपमान है जो कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है। 

पहले ही दिन हो गया था फैसला

Amarinder Singh vs Navjot Sidhu battle reaches Delhi: Punjab CM to meet Congress panel today | Latest News India - Hindustan Times

सिद्धू को लेकर 48 दिन से यह प्रहसन चल रहा था। पहले दिन से गांधी परिवार इस बात का फैसला कर चुका था कि सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाना है। वैसे गांधी परिवार चाहता तो यह था कि सिद्धू सीएम बन जाएं तो बहुत अच्छा हो। फिर उनको डिप्टी सीएम बनाने की कोशिश हुई। उसमें नहीं सफल हो पाए आखिर में यह तय हुआ कि नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बिठाना है। सिद्धू की काबिलियत देखिए कि उन्होंने कभी संगठन में काम नहीं किया। वह 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए और अब प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए जिस नेता की अनदेखी की गई और नाराज किया गया वह हैं- कैप्टन अमरिंदर सिंह।

कैप्टन और सिद्धू का ट्रैक रिकॉर्ड

Amarinder Singh's Letter To Sonia Gandhi Against Navjot Sidhu: 10 Points

कैप्टन पंजाब में कांग्रेस की जीत में कई बार भूमिका निभा चुके हैं और 2017 में तो वह एकमात्र फैक्टर थे जिनकी वजह से जीत मिली। कैप्टन अमरिंदर सिंह का पंजाब में बहुत सम्मान है। नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती। कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस बात के लिए मनाने की लगातार कोशिश हो रही थी कि वह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष स्वीकार कर लें। वो राजी नहीं हुए। आखिर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद वह इस बात के लिए राजी हुए। उसके बाद उन्होंने कांग्रेस के पंजाब के प्रभारी हरीश रावत के माध्यम से यह संदेश भिजवाया कि वह सिद्धू से तभी मिलेंगे जब सिद्धू पंजाब सरकार के खिलाफ और कैप्टन पर व्यक्तिगत हमले वाले सारे ट्वीट और बयान वापस लेंगे और माफी मांगेंगे। सिद्धू से मिलने की अमरिंदर की सिर्फ यही एक शर्त थी।

ऐसी भी क्या जल्दी थी

सोमवार को जिला अध्यक्षों और विधायकों की बैठक बुलाई गई थी। 10 विधायकों ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा कि वह कैप्टन को अपमानित ना करें उनके सम्मान की रक्षा की जाए, सिद्धू को माफी मांगने को कहा जाए और उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने में जल्दबाजी ना की जाए। इस बीच पंजाब में बहुत कुछ चल रहा था। रविवार को पंजाब के सांसद मिले और उन्होंने तय किया कि वे सोमवार को सोनिया गांधी से मिलकर कहेंगे कि सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाने से पार्टी का नुकसान होगा। यह सब सोमवार को होने वाला था कि रविवार की रात को घोषणा कर दी गई कि सिद्धू कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष होंगे। कैप्टन की शर्त नहीं मानी गई। सिद्धू के साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए। उनमें भी कैप्टन की पसंद को तरजीह नहीं दी गई बल्कि उनकी अनदेखी की गई। चार में से एक भी व्यक्ति कैप्टन की पसंद का नहीं है।

फैसले में छुपा सन्देश

Punjab: Sonia Gandhi appoints Navjot Sidhu as state Congress chief, despite Amarinder Singh's objections

सवाल यह है कि ऐसा करके पार्टी संदेश क्या देना चाहती है। राज्य में जो उसका सबसे मजबूत नेता है और जो 2022 में कांग्रेस की सरकार को वापस ला सकता है उसी को अपमानित किया जा रहा है। अपमानित इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आपको लगता है कि अब उनकी जरूरत नहीं है। कैप्टन अमरिंदर सिंह की उम्र 78 साल है, वह लंबे समय तक राजनीति में नहीं रहेंगे, उनका विकल्प पार्टी को ढूंढना चाहिए, किसी युवा को आगे बढ़ाना चाहिए- यह सारी बातें बिल्कुल सही हैं। लेकिन सवाल यह है कि आप किसको आगे बढ़ा रहे हैं और किस कीमत पर।

भविष्य बनेगा या बिगड़ेगा

जो पार्टियां सफल होती हैं और जो पार्टियां नाकाम होती हैं उनमें एक ही अंतर होता है- नेतृत्व के फैसले। नेतृत्व के फैसले ही किसी पार्टी का भविष्य बनाते-बिगाड़ते हैं। पंजाब के बारे में जो फैसला लिया गया है वह पार्टी का भविष्य बिगड़ने वाला है। छह-सात महीने पहले सभी लोग- जिनमें कांग्रेस के विरोधी भी थे- यह मानकर चल रहे थे कि 2022 में फिर से कांग्रेस की सरकार बनने वाली है। आज यह बात आप नहीं कह सकते। जो कुछ कैप्टन के साथ हुआ है उस पर कैप्टन किस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं उस पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। कैप्टन कुछ नहीं बोलते हैं, तब भी- और बोलते हैं तब तो और भी अधिक- उसका असर होगा। कांग्रेस की वही पुरानी वाली स्थिति अब नहीं रहने वाली है।

सोचने योग्य कदम

विधानसभा चुनाव से सात-आठ महीने पहले ऐसे व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाना जिसने कभी संगठन का काम नहीं किया, जो कांग्रेस का मूल कार्यकर्ता नहीं है- सोचने योग्य कदम है। मनीष तिवारी के इस बयान पर ध्यान देने की जरूरत है कि प्रदेश पार्टी की कमान ऐसे व्यक्ति को सौंपनी चाहिए जो कांग्रेस की संस्कृति में पगा, पला-बढ़ा हो। जाहिर है इस खांचे में सिद्धू फिट नहीं होते। सिद्धू कांग्रेस हाईकमान के कैंडिडेट हैं। मनीष तिवारी के इस बयान की रोशनी में वह पंजाब कांग्रेस के कैंडिडेट नहीं हैं- बल्कि पंजाब कांग्रेस के नेता भी नहीं हैं। जब सिद्धू को सरकार में शामिल किया गया तो भी उनका बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा। उनको हटाना पड़ा। पहले उनका विभाग बदला। फिर उन्होंने मंत्री पद खुद ही छोड़ दिया।

किस बात का इनाम

उसके बाद सिद्धू ने सबसे पहला काम यह किया कि लगातार अपनी सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ बोलते रहे। अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री को अपमानित करना, अपनी ही सरकार के खिलाफ अभियान चलाना, अपनी ही सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता के आरोप लगाना- लगता है एक तरह से सिद्धू को उसी का इनाम मिला है।

ऐसा नजारा और कहां

ऐसा उदाहरण आपको देश-दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलेगा कि जो नेता अपने ही मुख्यमंत्री, सरकार और पार्टी के खिलाफ अभियान चला रहा हो- यहां तक आरोप लगा रहा हो कि मुख्य विपक्षी दल अकाली दल से मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह मिले हुए हैं- उसको चुनाव से 8 महीने पहले पुरस्कृत किया जाए। इससे लगता है कि सिद्धू जो कुछ बोल रहे थे वह पार्टी हाईकमान की मर्जी और रजामंदी से बोल रहे थे। एक-एक कर अगर राज्यों में कांग्रेस की हालत खराब होती जा रही है तो उसका बड़ा कारण यही है वहां राजनीतिक ढंग से सोचने वालों का नितांत अभाव है। ऐसे लोग है ही नहीं जो रणनीतिक रूप से यह सोच सकें पार्टी के लिए क्या फायदेमंद है और किस बात से पार्टी को नुकसान हो सकता है। वहां फैसला अब इस बात से होता है कि हाई कमान की पसंद का और वफादार कौन है? यदि कोई व्यक्ति उसकी पसंद का और वफादार है तो फिर वह चाहे पार्टी के लिए नुकसानदेह हो या पार्टी को डुबोने वाला हो- कोई फर्क नहीं पड़ता है।

बाकी लोगों के लिए रास्ता बंद

कांग्रेस में जो हो रहा है वह अगर बाहर से लोगों को दिखाई दे रहा है तो कांग्रेस के अंदर से लोगों को क्यों दिखाई दे रहा है। इधर कैप्टन ने एक काम यह किया प्रकाश सिंह बाजवा- जो उनके प्रतिद्वंद्वी थे, जिनको हटाकर 2017 के चुनाव से पहले वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने थे- वे दोनों एक साथ आ गए। पार्टी में कैप्टन के खिलाफ लोगों को भी दिख रहा है कि जिस तरह से सिद्धू को मजबूत किया जा रहा है उससे जाहिर है कि बाकी लोगों के लिए रास्ता बंद किया जा रहा है। सिद्धू वोट दिला सकते हैं, यह उन को साबित करना है। कैप्टन अमरिंदर सिंह वोट दिला सकते हैं यह वह साबित कर चुके हैं।
कांग्रेस हाईकमान में फैसले कौन लेता है सोनिया, राहुल या प्रियंका… जानने के लिए नीचे दिए वीडियो पर क्लिक करें।