नेपाल में सुशीला कार्की की ताजपोशी।

पुष्प रंजन।
अंततः, नेपाल में राष्ट्रपति कार्यालय ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नेतृत्व में नई सरकार के गठन पर आम सहमति बना ली। इसकी घोषणा होते ही, शपथ में किसी तरह की विलम्ब की गुंजाईश नहीं छोड़ी गई। 12 सितंबर को भारतीय समयनुसार रात पौने नौ बजे, और नेपाल में रात नौ बजे शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ।
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के प्रेस सलाहकार किरण पोखरेल के अनुसार, “पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया जा रहा है। शपथ ग्रहण समारोह शुक्रवार रात 9 बजे निर्धारित है।”
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे से एक राजनीतिक शून्य पैदा हो गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रबंधन के अलावा, नेपाली सेना ने भी आम सहमति बनाने की प्रक्रिया में सहयोग दिया।
सुशीला कार्की ने नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने का कीर्तिमान स्थापित किया था। एक ईमानदार, निष्पक्ष और साहसी न्यायाधीश के रूप में जानी जाने वाली सुशीला कार्की भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े फैसले लेने और न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए जानी जाती हैं।
निडर स्वभाव और सादा जीवन शैली अपनाने वाली कार्की न्यायिक क्षेत्र में एक स्थापित और स्वच्छ छवि वाली हस्ती हैं। उनके कार्यकाल के दौरान कई बड़े मामलों में ऐतिहासिक फैसले हुए। इनमें माँ के नाम पर नागरिकता प्राप्त करने का आदेश, बड़े राजनेताओं के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामलों में कड़े फैसले और 2017 में तत्कालीन नेपाली कांग्रेस सांसद मोहम्मद आफताब आलम को गिरफ्तार करने और जाँच का आदेश शामिल है।
NEPALI HI*LER Minister Who B*rnt 22 Men Alive | Mohammad Aftab Alam |
रौतहट के दबंग सांसद व नेपाली कांग्रेस के मंत्री मोहम्मद आफताब की शह पर एक विस्फोट में घायल लोगों को ईंट-भट्ठे में फेंककर ज़िंदा जला देने का क्रूरतम काण्ड 2008 में हुआ था, ताकि कोई चश्मदीद न बचे। 2008 में पहली संविधान सभा के चुनावों में इस क्रूरतम काण्ड की लीपापोती एक दशक तक चलती रही। अपराधी बचते रहे। सीजेआई सुशीला कार्की के आदेश पर न्यायिक जांच और मोहम्मद आफताब पर कार्रवाई का आदेश जारी हुआ था।
यह वीभत्स घटना राजपुर में हुई थी और नेपाल की पहली संविधान सभा चुनाव की पूर्व संध्या पर हुई इस क्रूरता ने पूरे देश को झकझोर दिया था। यह घटना नेपाल के हालिया इतिहास का एक काला अध्याय बन गई।
राजनीतिक ताकतों ने कार्की के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव भी लाया था, लेकिन न्यायिक स्वतंत्रता के प्रति जन समर्थन के कारण वह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जनता के बीच न्यायपालिका की छवि को पुनर्स्थापित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी की प्रशंसक हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)