अजय गोस्वामी।
“इस कुर्सी के साथ एक समस्या है। जो कोई भी इस पर बैठता है वह भ्रष्ट हो जाता है। तो अगर कल को इस आंदोलन के लोग इस कुर्सी पर बैठते हैं, तो क्या वे भी भ्रष्ट हो जाएंगे? यह हमारे लिए एक बड़ी चिंता का विषय है।”
पर कट्टर ईमानदार केजरीवाल ने 2013 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भारी मतों से हराकर राष्ट्रीय राजधानी के दूसरे सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बना डाला। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, पर आंदोलन में पानी पी-पीकर जिस कांग्रेस को भ्रष्टाचार के लिए कोसा था, सरकार उसी कांग्रेस के समर्थन से बनाई थी। यह कट्टर ‘ईमानदार’ भ्रष्टाचार का पहला बड़ा अवसर था, हालांकि उन्होंने तब 49 दिन तक भी सरकार नहीं चलाई थी। 2014 के लोकसभा चुनावों में वह वाराणसी से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी चुनाव लड़े थे, पर बेचारे हार गए थे। 2015 में केजरीवाल अपनी पार्टी की भारी जीत दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतकर सत्ता में लौटे और 14 फरवरी 2015 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। 2020 में वह तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। अरविंद केजरीवाल की निगाहें तो कहीं और रहीं पर निशाने पर हमेशा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के एलजी रहे। अब वह भारत के सबसे प्रमुख कट्टर ‘ईमानदार’ भ्रष्टाचार राजनेताओं में से एक हो चुके हैं। यह तो इस बात से मानना चाहिए आपको कि सीएम केजरीवाल ने 2006 में सूचना के अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता के रूप में अपनी भूमिका निभाई जिसके लिए उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया था। पर उन लोगों पर तरस आ रहा है जो केजरीवाल को कट्टर ‘ईमानदार’ नहीं मान रहे हैं। मान लो ने भाई क्या बुराई है, केजरीवाल तो छाती ठोंक ठोंककर कहते रहे हैं आम आदमी पार्टी की तीन विचारधारा है. कट्टर ईमानदारी, कट्टर देशभक्ति और इंसानियत। बस उनकी इतनी ही तो गलती है कि कट्टर ‘ईमानदार’ भ्रष्टाचार नहीं कह पाए।
केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर फिर बोला जर्मनी, भारत ने कहा- हमारी न्यायिक प्रक्रिया में दखल न दें
अरविंद केजरीवाल कट्टर ‘ईमानदार’ भ्रष्टाचार कह देते तो हो सकता ईडी उनके पीछे नहीं वे ईडी के पीछे पड़े होते पर
हाय रे वक्त। कहने वाले ने कहा है वक्त से दिन और रात, वक्त से कल और आज,, वक्त की हर शय गुलाम, वक्त का हर शय पर राज। बस वक्त ने ईडी को मौका दिया और कथित दिल्ली शराब घोटाले में सीएम अरविंद केजरीवाल के पीछे नहा-धोकर पड़ गया, मुंह-हाथ धोकर पड़ता तो क्या चला जाता। ईडी ने केजरीवाल को एक नहीं नौ समन भेजे। 2 नवंबर 2023, 21 नवंबर, 3जनवरी, 18 जनवरी, दो फरवरी, 19 फरवरी, 26 फरवरी और 4 मार्च और 21 मार्च को तो ईडी समन लेकर खुद ही धमक गया। न आव देखा न ताव देखा 2-3 घंटे तक ताबड़तोड़ कार्रवाई की और दूल्हा बनाकर ससुराल ले गए। इनके बाराती मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन पहले से इनके इंतजार में बैठे हुए थे। (एएमएपी)