डॉ. मयंक चतुर्वेदी।
राहुल गांधी ने एक बार फिर देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की दिशा में पहल की है। बताया गया है कि उन्होंने अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और फिर लंदन में एक मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म मॉनिटर ग्रुप के साथ अपना प्रोफेशनल सफर शुरू किया। भारत लौटने के बाद अपनी एक टेक्नोलॉजी आउटसोर्सिंग फर्म Backops Services Private Ltd शुरू की, जिसके डायरेक्टर वह खुद बने। ऐसा नहीं कि उन्हें यह नहीं पता शेयर मार्केट जोखिमों के अधीन है? व्यक्ति को अपना रिस्क स्वयं से उठाना होता है। आर्थिक लाभ यदि हुआ तो वह उसका है और नुकसान भी हुआ तो वह भी उसके स्वयं के लिए निर्णय पर आधारित है। इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता। फिर भी उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर शेयर मार्केट के नीचे जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराया। राहुल गांधी ही यह सब कर सकते हैं।
दरअसल, इससे लगता यही है कि वे पिछली एनडीए-नीत भाजपा की मोदी सरकार को लेकर आमजन के बीच फैलाए गए तमाम झूठ के बाद अब देश के उद्योग-व्यापार से जुड़े वर्ग को भ्रमित कर देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, ताकि भविष्य में नई गठित सरकार पर वे अधिक आक्रामक हो सकें। लेकिन अपने राजनीतिक सत्ता के स्वार्थ के चलते वे ये नहीं सोचना चाह रहे आखिर इससे नुकसान किसका होगा? एक सशक्त विपक्ष देश ने इंडी गठबंधन के रूप में दिया है, फिर क्यों वह भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने पर तुले हैं? स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस की सीटें बढ़ने से उनमें अहंकार भी बढ़ गया है, वह मोदी को घेरने के लिए किसी भी विषय पर कुछ बोल रहे हैं! हालाँकि यह उनकी पुरानी आदत है पर अब इसकी फ्रेक्वेंसी और बढ़ गई है।
शेयर मार्केट के नीचे जाने के लिए उनके निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। राहुल का आरोप है, ‘प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, उनके लिए काम कर रहे एग्जिट पोल्स्टर्स और मित्र मीडिया ने मिलकर देश के सबसे बड़े ‘स्टॉक मार्केट स्कैम’ की साजिश रची है। 5 करोड़ छोटे निवेशक परिवारों के 30 लाख करोड़ रुपये डूब गए हैं। इसलिए जेपीसी गठित कर इस ‘क्रिमिनल एक्ट’ की जांच की जाए। जिन फर्जी चुनावी एजेंसियों ने गलत एग्जिट पोल्स दिए उनकी भी इस घोटाले में भूमिका है। इसकी जांच के लिए एक जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) गठित की जानी चाहिए।’
राहुल के इस बयान के तीन मुख्य अर्थ निकल रहे हैं। एक- मोदी, शाह ने एक बड़ा स्कैम किया है। दो- इसमें मीडिया भी शामिल है। तीन- एग्जिट पोल्स करनेवाली एजेंसियां भी इस स्कैम को रचनेवाली हैं। और सबसे बड़ी बात यह कि राहुल इस पूरे घटनाक्रम को बड़े ‘स्टॉक मार्केट स्कैम’ व ‘क्रिमिनल एक्ट’ करार दे रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी से यह जरूर पूछना चाहिए कि जो निवेशक थे, वह क्या मीडिया संस्थानों और पत्रकारों से पूछ-पूछ कर कंपनियों के शेयर खरीद रहे थे? जिन एग्जिट पोल्स एजेंसियों को राहुल जूठा करार दे रहे हैं, सच तो यह है कि भले ही कम-ज्यादा हुई हैं, पर अधिकांश ने यही कहा, तीसरी बार मोदी सरकार आनेवाली है। … और आई।
राहुल गांधी आज शेयर मार्केट को लेकर जो कह रहे हैं, आमजन एवं देश के उद्योग जगत के बीच धारणा इसके उलट भी तो हो सकती है। देश स्थायी और सशक्त सरकार चाहता था। इंडी गठबंधन जैसा माहौल बना रहा था और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रविवार (2जून) को इंडी गठबंधन को लेकर साफ बताया था कि वे 295 सीटें जीत रहे हैं। तब यह संभावना क्यों नहीं हो सकती कि शेयर मार्केट राहुल के स्थायी सरकार देने से दावे से ऊपर चढ़ा हो। जब बाजार ने देखा कि कमजोर सरकार बनने जा रही है तो शेयर धड़ाम हो गए हों। फिर क्यों न इस पूरे मामले में राहुल गांधी एवं इंडी गठबंधन के नेताओं को ही दोषी ठहराया जाए! जिन्होंने जीत के बड़े-बड़े दावे किए और आमजन को अपनी दम पर स्थायी सरकार देने का भरोसा दिया था?
वैसे सच तो पीयूष गोयल ने बताया। उन्होंने कहा, कांग्रेस नेता निवेशकों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी के आरोप निराधार इसलिए हैं क्योंकि भारतीय खुदरा निवेशक भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों के बाजार पूंजीकरण में 2014 में ₹67 लाख करोड़ से बढ़कर अब ₹415 लाख करोड़ कमाने पर आ गए हैं। यह मोदी के शासन के दस सालों की देन है। इसी वक्त में भारतीय खुदरा निवेशक सबसे बड़े लाभार्थी रहे। भारतीय निवेशकों ने वास्तव में चुनावी मतगणना के दिन सहित पिछले कुछ दिनों में बाजार में उतार-चढ़ाव से (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की कीमत पर) व्यापारिक लाभ कमाया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी मूल्यांकन (बाजार पूंजीकरण) के नुकसान का जिक्र कर रहे थे, जो उन दिनों लेनदेन किए गए शेयरों के मूल्य से लाभ या हानि से अलग था।
यहां कोई राहुल गांधी से पूछे; जब 2004 में शेयर बाजार में 129 साल के इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट आई थी, कारोबार कई बार रोक देना पड़ा था क्योंकि निवेशक इस बात को लेकर चिंतित थे कि कम्युनिस्ट पार्टियां, सोनिया गांधी की आगामी गठबंधन सरकार की नीति को कैसे प्रभावित करेंगी। उस दौर में जो कई हजार करोड़ का देश के आम नागरिकों को नुकसान हुआ था, क्या उसके लिए राहुल गांधी देश से माफी मांगेंगे? या उसकी जांच की मांग भी कभी करेंगे? क्योंकि तत्कालीन समय में शेयर बाजार की कीमतें खुलने के 20 मिनट के भीतर ही 10 प्रतिशत से अधिक गिर गईं। आगे फिर बार-बार गिरती हुई देखी गईं।
पिछले तीन दिन लगातार मार्केट ने जो वापिसी की है, उसका श्रेय क्या बड़े मन से नए एनडीए गठबंधन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राहुल गांधी देंगे? क्यों कि मार्केट को फिर से पंख लग गए हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों वाले दिन मार्केट करीब 12 फीसद गिरा था, किंतु देश की राजनीतिक स्थिति साफ होते ही अगले ही दिन मार्केट ने रिकवर करना शुरू कर दिया। एक ही दिन में निवेशकों को करीब 8 लाख करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा। दूसरे और तीसरे दिन भी जितना नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई करते हुए मार्केट तेजी के साथ नए लाभ की ओर बढ़ा। क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी केंद्र में फिर से मोदी सरकार के आने से शेयर मार्केट में देखने को मिल रही बढ़ोतरी के लिए भाजपा और मोदी का आभार व्यक्त करेंगे?
फिलहाल तो शेयर मार्केट ने दोबारा 75 हजार का आंकड़ा ही पार नहीं किया, बल्कि वह एक बड़े लाभ को दर्शा रहा है। मोदी सरकार के शपथ ग्रहण के दूसरे दिन बाजार खुलते ही जैसे पूरी दुनिया शेयर बाजार के माध्यम से भारत की इस नई सरकार पर अपना भरोसा दिखाती नजर आ रही थी। सोमवार को शेयर बाजार में मोदी 3.0 को रिस्पांस देने का आलम यह रहा कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 323.64 अंक की जोरदार तेजी के साथ पहली बार 77,000 के स्तर को पार कर गया। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी इंडेक्स ने भी बाजार में धूम मचाई, इसने 105 अंकों से लेकर आगे कई अंकों की उछाल लगाई।
बीएसई आज भी 76 हजार के ऊपर और निफ्टी 23 हजार से आगे के स्तर पर कारोबार करता दिख रहा है। मोदी सरकार बनने के बाद से निवेशकों को कई लाख करोड़ का लाभ हुआ है। जिस गिरावट और उस पर जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) गठित किए जाने की मांग राहुल गांधी कर रहे थे और प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, एग्जिट पोल्स्टर्स, मीडिया पर मिलकर देश के सबसे बड़े ‘स्टॉक मार्केट स्कैम’ की साजिश का आरोप लगाते हुए पांच करोड़ छोटे निवेशक परिवारों के कई करोड़ रुपये डूब जाने की बात कह रहे थे- अब तो ये निवेशक अपनी डूबी राशि की तुलना में कई गुना अधिक लाभ कमा चुके हैं। ऐसे में क्या राहुल गांधी इस ताजा अपडेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उनकी आर्थिक नीतियों के लिए पूरे एनडीए की प्रशंसा करने का सामर्थ्य रखते हैं? क्या वे अपने बिछाए झूठ के जाल के लिए देश से माफी मांगेंगे?
(लेखक ‘हिदुस्थान समाचार न्यूज़ एजेंसी’ के मध्य प्रदेश ब्यूरो प्रमुख हैं)