आपका अखबार ब्यूरो। 
तमिल फिल्म स्टार रजनीकांत की अस्वस्थता से उनकी नई पार्टी के बारे में एक बार फिर सवालिया निशान लग गया है। जनवरी के पहले हफ्ते में रजनीकांत अपनी नई पार्टी की घोषणा करने वाले हैं। उनके रक्तचाप में ज्यादा उतार-चढ़ाव के कारण उन्हें हैदराबाद के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डाक्टरों के मुताबिक उनका रक्तचाप अभी भी अधिक है।

वाकई राजनीति में आएंगे?

रजनीकांत तेरह दिसम्बर से हैदराबाद में अपनी फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं। उनकी फिल्म यूनिट के चार लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। उसके बाद उन्होंने अपने को आइसोलेट कर लिया था। रजनीकांत का भी कोरोना टेस्ट हुआ लेकिन वे नेगेटिव पाए गए। पर उनके रक्तचाप की समस्या के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। रजनीकांत की नई फिल्म तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के दौरान ही आने की उम्मीद है। बहुत से राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि रजनीकांत वास्तव में राजनीति में आना नहीं चाहते। वे राजनीतिक दल बनाने और राजनीति में आने की बातें सिर्फ अपनी नई फिल्म के प्रमोशन के लिए कर रहे हैं।

अगले कदम का इंतजार

तमिलनाडु के राजनीतिक दलों की निगाह रजनीकांत के अगले कदम पर है। फिल्म अभिनेता कमल हासन कह चुके हैं कि उनकी और रजनीकांत की भावी पार्टी में तालमेल हो सकता है। पर रजनीकांत के खेमे से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। रजनीकांत राजनीति में उतरने का औपचारिक फैसला करते हैं तो जयललिता और करुणानिधि की अनुपस्थिति में वे इस चुनाव के सबसे बड़े स्टार होंगे। इसलिए सभी राजनीति दलों को उनके अगले कदम का इंतजार है।

अभी बन्द मुट्ठी हैं रजनीकांत

रजनीकांत ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कई सवाल लोगों के जेहन में हैं। वे किसी राजनीतिक दल के साथ जाएंगे या अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगे। खुद रजनीकांत ने पूरी व्यवस्था ही बदलने की बात कही है। एक बात तो साफ नजर आ रही है कि वे द्रमुक के साथ नहीं जाएंगे। इसके बावजूद द्रमुक के लोग उन पर हमलावर नहीं हैं। बात यह है कि रजनीकांत राजनीति और खासतौर से चुनावी राजनीति में अभी बंद मुट्ठी की तरह हैं। उनकी सिनेमाई लोकप्रियता चुनावी कामयाबी में बदल पाएगी या नहीं, किसी को पता नहीं है। कुछ भी हो लेकिन कोई रजनीकांत की उपेक्षा करने का जोखिम मोल नहीं लेना चाहता। वैसे चुनावी राजनीति में द्रमुक के एमके स्टालिन और अन्नाद्रमुक के नेता द्वय मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री की क्षमता की परीक्षा होना भी अभी बाकी है।

सबसे ज्यादा उम्मीद भाजपा को

रजनीकांत से सबसे ज्यादा उम्मीद भाजपा को है। भाजपा को लगता है कि रजनीकांत का साथ मिल गया तो वह तमिलनाडु की राजनीति में मुख्यधारा की पार्टी बन सकती है। पर राजनीतिक हलकों में अब पूछा जा रहा है कि रजनीकांत का स्वास्थ्य क्या उन्हें राजनीति में आने की इजाजत देगा। खासतौर से कुछ महीने में होने वाले चुनाव को देखते हुए। सवाल यह भी है कि उन्होंने पार्टी बना भी ली तो क्या जिस तरह के धुआंधार चुनाव प्रचार की जरूरत है, वे कर पाएंगे। सवाल तो बहुत हैं लेकिन जवाब कोई नहीं मिल रहा।