हिंदू दिखने का नाटक, वह भी आधा अधूरा

#pradepsinghप्रदीप सिंह।
देश में पिछले 10 सालों में जो हुआ है उसका असर अब दिखाई देना शुरू हुआ है- यानी हिंदू जागरण। हिंदू जागृति का असर आपको सबसे पहले दिखाई देगा कांग्रेस पार्टी पर। कांग्रेस पार्टी जो आजादी के बाद से, बल्कि आजादी के थोड़ा पहले से ही मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति पर चल रही थी उसको अब लगने लगा है कि हिंदुओं की उपेक्षा बड़ी महंगी पड़ सकती है। वह हिंदुओं के लिए कोई चिंता कर रहे हों ऐसा नहीं है। हिंदू दिखने का नाटक करना शुरू किया और वह भी आधा अधूरा। हिंदुओं के साथ, हिंदुओं की संवेदना के साथ, सनातन धर्म के साथ या सनातन संस्कृति के साथ कोई जुड़ाव या उसके महत्व को समझने की कोई कोशिश नहीं हो रही है।

कांग्रेस पार्टी और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी पिछले 20 साल से संसदीय जीवन में हैं। 2004 में वह पहली बार सांसद बने थे। उसके बाद का उनका जीवन देखिए और उसके पहले का भी, हालांकि सार्वजनिक जीवन में नहीं थे उससे पहले। उनके निजी जीवन की बात इसलिए क्योंकि वह सेलिब्रिटी हैं। गांधी परिवार भारत का प्रथम राजनीतिक परिवार माना जाता है। उनको एक तरह से अघोषित रूप से इस जनतंत्र में राज परिवार का दर्जा हासिल है। गांधी परिवार के छोटे मोटे कामों, छोटे-मोटे समारोहों के भी चित्र आमतौर पर अब सोशल मीडिया और उससे पहले अखबारों, मैगजींस में दिखाई देते थे। आप याद कीजिए कि कब आपने देखा कि राहुल गांधी ने देश को रक्षा बंधन के त्यौहार की बधाई दी हो। 2024 में पहली बार यह हुआ है। इससे पहले परिवार के किसी व्यक्ति ने ऐसा नहीं किया। जवाहरलाल नेहरू की भी बहने थीं। उन्होंने कभी अपनी बहनों से राखी बंधवाई हो या राखी पर देश को बधाई देने का कोई संदेश जारी किया हो यह कम से कम मुझे तोदिखाई नहीं दिया। अगर आप लोगों में से किसी ने देखा हो तो जरूर बताइएगा, मैं अपनी बात में सुधार कर लूंगा। जवाहरलाल नेहरू को हिंदू के रूप में दिखाने का एक ही चित्र है कांग्रेसियों के पास। वह चित्र है कि कुंभ में संगम में स्नान करते हुए। उसके अलावा उनका इस तरह का कोई चित्र आपको दिखाई नहीं देगा।

लेकिन ईमानदारी से इतना भी मानना चाहिए कि जवाहरलाल नेहरू का जाली वाली टोपी पहने हुए भी चित्र आपको कभी नहीं दिखाई दिया होगा। जवाहरलाल नेहरू ने रोजा इफ्तार की दावतों का सिलसिला नहीं शुरू किया। जिस कांग्रेस के नेता ने रोजा इफ्ता की दावतों की शुरुआत की उनका नाम था हेमती नंदन बहुगुणा। लखनऊ के नदवा में जब एक इस्तेमा हुआ था तब उन्होंने उस पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसवाए थे। वह दिन देखिए और आज। आज जब सावन में कांवड़ यात्रा शुरू होती है तो योगी आदित्यनाथ की सरकार कावड़ियों पर पुष्प वर्षा करती है।

यह फर्क आया है देश में और इस फर्क का आज जिक्र इसलिए कर रहा हूं कि ‘एक्स’ (पूर्व ट्वीटर) पर राहुल गांधी के हैंडल से और कांग्रेस के हैंडल से भी एक चित्र आया है। चित्र में राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका वाड्रा के साथ हैं। उनके सामने राखी रखी हुई है और रक्षाबंधन की बधाई का संदेश दिया गया है। जैसा की मैंने शुरू में कहा कि राहुल गांधी का हिंदू दिखने का जो नाटक है वह आधा अधूरा है। आधा अधूरा क्यों? इसलिए कि रक्षाबंधन का त्यौहार है, भाई बहन साथ में हैं, तो एक फोटो जिसमें बहन भाई को राखी बांध रही है, यह आपको कहीं नहीं मिलेगा और इस नाटक में भी नहीं मिला। प्रियंका वाड्रा राहुल गांधी को
राखी बांध रही हों ऐसा चित्र कांग्रेस पार्टी या राहुल गांधी के हैंडल से नहीं आया तो इसलिए मान सकते हैं कि उन्होंने राखी नहीं बांधी। आप इससे यह निष्कर्ष भी निकाल सकते हैं कि राखी का त्यौहार गांधी परिवार में नहीं मनाया जाता। किसी के पास इसके विपरीत कोई जानकारी हो तो वह अवश्य बताए। एक्स पर राहुल गांधी की पोस्ट पर लोगों के कमेंट्स की भरमार है। बानगी के तौर पर एक यूजर HardikBhavsar@Bitt2DA ने का कमेंट देखिए- राखी बांधते हुए फोटो कहां है? 52 वर्ष में एक बार भी न ली फोटो?

हिंदू विरोध की तो इतनी कहानियां इस परिवार से जुड़ी हुई हैं जिसका अंतहीन सिलसिला है। मुस्लिम तुष्टीकरण, हिंदू कोड बिल का लाना। हिंदू कोड बिल के बारे में एक महत्वपूर्ण बात यह है की जब 1951 में यह लाया जा रहा था तब देश के पहले राष्ट्रपति थे डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने जवाहरलाल नेहरू को चिट्ठी लिखी थी  इसका विरोध किया था। हालाँकि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने हिन्दू कोड बिल का विरोध उस तरह से नहीं किया था। उन्होंने कहा था कि इस तरह की जल्दबाजी ठीक नहीं है। उन्होंने लिखा था कि 1951-52 में अब कुछ ही महीनों में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। एक बार आपको जनादेश मिल जाए फिर कोई भी प्रस्ताव, कोई भी कानून संसद से बनाइए। अभी आपको उस तरह का जनादेश प्राप्त नहीं है। लेकिन नेहरू ने नहीं सुना। इतना ही नहीं उन्होंने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को चिट्ठी लिखी और एक तरह से चेतावनी दी कि इस चिट्ठी को किसी को दिखाइएगा मत, सार्वजनिक मत करिएगा वरना इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने अनुशासन का सम्मान रखा। प्रधानमंत्री की बात का सम्मान रखा और उस पत्र को सार्वजनिक नहीं किया। लेकिन वह पत्र दस्तावेज के तौर पर सार्वजनिक रूप से मौजूद है ,आप इसे पढ़ सकते हैं, देख सकते हैं। उसका जिक्र पहली बार मैंने मशहूर पत्रकार दुर्गादास की किताब ‘इंडिया फ्रॉम कर्जन टू नेहरू एंड आफ्टर’ में पढ़ा। उस किताब में उस पत्र के पूरे मजमून का जिक्र है कि डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने क्या लिखा था और उसके जवाब में जवाहरलाल नेहरू ने उनको क्या लिखा था। तो कांग्रेस के हिन्दू विरोध का सिलसिला वहां से शुरू कीजिए। हालांकि सिलसिला और पहले से खिलाफत आंदोलन से शुरू हो सकता है। मुस्लिम तुष्टीकरण का जनक अगर किसी को कहा जा सकता है तो वह महात्मा गांधी को कहा जा सकता है। लेकिन उस परंपरा को जवाहरलाल नेहरू ने पूरी तरह से आगे बढ़ाया।

और इंदिरा गांधी ने क्या किया? हालांकि वह बड़ा पूजा पाठ करती थीं, मंदिरों में जाती थीं और शंकराचार्य और अन्य संत महात्मा का बड़ा सम्मान करती थीं. लेकिन उन्होंने अपने जीवन का सबसे बड़ा पाप किया और मैं मानता हूं कि कांग्रेस के इतिहास का सबसे बड़ा पाप किय। वह है गोरक्षा आंदोलन के समय हुई फायरिंग। करपात्री जी महाराज के बारे में आपको बताने की जरूरत नहीं है। उन्होंने इंदिरा गांधी से मिलकर यह मांग की थी कि गोकशी पर प्रतिबंध लगाया जाए, उसके लिए कानून बनाया जाए। इंदिरा गांधी ने उनको आश्वासन दिया कि मैं चुनाव जीतकर आ जाऊंगी तो यह कानून पास करूंगी। चुनाव जीतने के बाद वह एक तरह से अपने आश्वासन से मुकर गई या आप कहिए कि उन्होंने कानून ऐसा नहीं बनाया। सीधे-सीधे मना नहीं किया कि हम नहीं बनाएंगे, लेकिन बनाया भी नहीं। मजबूरन करपात्री जी महाराज को संतों के साथ गोरक्षा आंदोलन शुरू करना पड़ा और उस आंदोलन के तहत संसद का घेराव किया गया। संत महात्मा और गोरक्ष वे लोग थे जिन्होंने संसद का घेराव किया और उन पर पुलिस फायरिंग हुई। हताहतों की आधिकारिक रूप से तो आंकड़े जारी नहीं किए गए लेकिन अनधिकृत रूप से कहा जाता है कि सैकड़ों-हजारों की संख्या में संत महात्मा और गोरक्ष मारे गए। करपात्री जी महाराज ने संतों के शव उठाते हुए इंदिरा गांधी को श्राप दिया था कि जैसे आज साधु संतों पर गोली चली है, उनके शरीर को छलनी किया गया है, यही हश्र तुम्हारा भी होगा.. और एक दिन तुम्हारे परिवार का भी यही हश्र होगा। जिस दिन गोली चली थी उस दिन गोपाष्टमी थी। इसे आप इत्तफाक मान सकते हैं या करपात्री जी महाराज के श्राप का असर मान सकते हैं कि इंदिरा गांधी की हत्या जिस दिन हुई उस दिन भी गोपाष्टमी थी। संजय गांधी की मौत जिस दिन हुई उस दिन भी कहते हैं गोपाष्टमी थी और राजीव गांधी की हत्या जिस दिन हुई उस दिन भी गोपाष्टमी थी।

हिंदू धर्म के खिलाफ कांग्रेस के रिकॉर्ड को कहने के लिए अगर कोई शब्द इस्तेमाल करना चाहें तो वह ‘इग्ज़ेम्प्लरी’ है। मुझे नहीं लगता कि उससे ज्यादा किसी ने सोचा भी होगा, करने की तो बात बहुत दूर की है। हिंदू विरोध कांग्रेस पार्टी के डीएनए में है। विडंबना देखिए, यह उस पार्टी का हाल हुआ जिसको आजादी के आंदोलन के दौरान हिंदुओं की पार्टी माना जाता था। मुसलमानों की पार्टी मुस्लिम लीग ने कांग्रेस को ‘हिंदू पार्टी’ का तमगा दिया था। उस पार्टी में यह हाल हुआ और खोज खोज कर जितने हिंदुत्ववादी या सनातन धर्म के समर्थक थे उन सबको जवाहरलाल नेहरू और उनके बाद इंदिरा गांधी के समय में एक तरह से पार्टी से बाहर कर दिया गया।

विस्तार से जानने के लिए यह वीडियो देखें।


(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अख़बार’ के संपादक हैं)