(22 दिसंबर विशेष)
रामानुजन की गणितीय प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महज 32 साल के जीवन में उन्होंने गणित के चार हजार से ज्यादा ऐसे प्रमेय (थ्योरम) पर रिसर्च की, जिन्हें समझने में दुनियाभर के गणितज्ञों को भी सालों लग गए। रामानुजन के प्रमुख गणितीय कार्यों में एक है किसी संख्या के विभाजनों की संख्या ज्ञात करने के फार्मूले की खोज। उदाहरण के लिए संख्या 5 के कुल विभाजनों की संख्या 7 है। इस प्रकार : 5, 4 1, 3 2, 3 1.1, 2 2 1, 2 1 1 1, 1 1 1 1 1। रामानुजन के फार्मूले से किसी भी संख्या के विभाजनों की संख्या ज्ञात की जा सकती है। उदाहरण के लिए संख्या 200 के कुल विभाजन होते है – 3972999029388, हाल ही में भौतिक जगत की नई थ्योरी ‘सुपरस्ट्रिंग थ्योरी’ में इस फार्मूले का काफी उपयोग हुआ है। रामानुजन ने उच्च गणित के क्षेत्रों जैसे संख्या सिद्धांत, इलिप्टिक फलन, हाईपरज्योमैट्रिक श्रेणी इत्यादि में अनेक महत्वपूर्ण खोज की है।
1919 में वह लंदन से भारत लौट आए। रामानुजन को टीबी हो गई और एक साल बाद ही 1920 में उनका निधन हो गया। रॉबर्ट कैनिगल ने ‘द मैन हू न्यू इन्फिनिटी: अ लाइफ ऑफ द जीनियस रामानुजन’ नाम से उनकी जीवनी लिखी है। 2015 में उन पर एक फिल्म ‘द मैन हू न्यू इन्फिनिटी’ भी बनी। फिल्म में देव पटेल ने उनका किरदार निभाया था। ये रामानुजन पर लिखी गई जीवनी पर आधारित थी।
और यह भी दिलचस्प है कि भारत में जो सबसे पहली रेल चलाई गई थी, वह एक मालगाड़ी थी। यह रुड़की से पिरान कलियर के बीच 22 दिसंबर, 1851 के दिन चलाई गई थी। इसके लगभग दो साल बाद 1853 में मुंबई (तब बॉम्बे) से ठाणे के बीच चलाई गई ट्रेन भारत की पहली यात्री ट्रेन थी। यह रहस्योद्घाटन वर्ष 2002 में ‘द हिन्दू’ में छपी एक रिपोर्ट में एक किताब के हवाले से किया गया था। ‘रिपोर्ट ऑन गंगा कैनाल’ नामक इस रपट में स्पष्ट दर्ज है कि 22 दिसंबर, 1851 के दिन रुड़की से पिरान कलियर तक बिछाये गये रेलवे ट्रैक पर भाप के इंजन से संचालित दो बोगियों वाली मालगाड़ी चलाई गई थी। इसलिए भारतीय रेल युग की शुरुआत साल 1853 से नहीं बल्कि 22 दिसंबर, 1851 से मानी जाएगी। (एएमएपी)