क्या इलेक्टोरल बॉन्ड का फैसला गलत था?

नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री।
चुनाव में खर्च तो होता ही है- कोई इंकार नहीं कर सकता है। मेरी पार्टी भी करती है। सब पार्टियां करती हैं। कैंडिडेट भी करते हैं। मैं चाहता था कि हम कुछ कोशिश करें कि इस काले धन से हमारे चुनाव को कैसे मुक्ति मिले? इलेक्टोरल बॉन्ड ना होते तो किस व्यवस्था में ताकत है वो ढूंढ के निकालते कि पैसा कहाँ से आया और कहाँ गया।
यह तो इलेक्टोरल बॉन्ड की सक्सेस स्टोरी है कि इलेक्टोरल बॉन्ड थे तो आपको ट्रेल मिल रहा है मनी का- कि किस कंपनी ने दिया, कैसे दिया, कहां दिया। अब उसमें अच्छा हुआ, बुरा हुआ वह विवाद का विषय हो सकता है। इसकी चर्चा हो। मुझे जो चिंता है वह मैं यह कभी नहीं कहता हूं निर्णय में कोई कमी नहीं होती है। तो चर्चा कर सीखते हैं, सुधारते हैं। इसमें भी सुधार के लिए बहुत संभावना है। लेकिन आज हमने देश को पूरी तरह काले धन की तरफ धकेल दिया है। और इसलिए मैं कहता हूं सब लोग पछताएंगे। जब बाद में ईमानदारी से सोचेंगे सब लोग पछताएंगे।

अभी मैंने एक नेता का भाषण सुना। उन्होंने कहा एक झटके में मैं गरीबी हटा दूंगा। एक झटके से हिंदुस्तान से हम गरीबी को मिटा देंगे। अब जिनको पांच-पांच छह-छह दशक देश का राज करने को मिला वो जब आज कहेंगे कि मैं एक झटके में गरीबी हटा दूंगा तो देश सोचता है ये क्या बोल रहे हैं जी। तो, मुझे लगता है पॉलिटिकल लीडरशिप क्वेश्चनेबल होती जा रही है। ऐसे में प्राण जाए पर वचन न जाई- हम यह महान परंपरा से निकले हुए लोग हैं। (गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में लिखा: रघुकुल रीत सदा चलि आई। प्राण जाई पर बचन न जाई।) मैं मानता हूं नेताओं को ओनरशिप, जिम्मेवारी लेनी चाहिए। मैं यह जो बोल रहा हूं मतलब यह मेरी जिम्मेवारी है। यह कोई करेगा ऐसा करेगा- ऐसे नहीं चलता है। और उसमें से मैंने बल दिया है ‘गारंटी’ का।

PM Narendra Modi exclusive interview with India Today: Issue is the delay in abrogating Article 370, says Prime Minister - India Today

यूक्रेन में जब युद्ध चल रहा था तो भारत के जो वहां पर छात्र थे उन्हें सुरक्षित रूप से वापस भारत लाया गया। यह एक एक दिल हिलाने वाला किस्सा था। इसमें आपने होस्टिलिटीज रोकने के लिए पर्सनल हस्तक्षेप किया था, पर्सनल इंटरवेंशन किया था- यह सुनने में आया है।

यूक्रेन की चर्चा जरा ज्यादा हुई लेकिन 2014 से लेकर अब तक ऐसी कई घटनाएं हैं। भारत की रिक्वेस्ट पर एक पीरियड रहता था जिस पीरियड में बॉम्बार्डिंग नहीं होता था। और उस समय हम हवाई जहाज में हमारे लोगों को निकालते। यमन से करीब 5000 लोगों को हम लाए थे। उसी प्रकार से यूक्रेन में। मेरा यूक्रेन से उतना ही घनिष्ठ नाता है, मेरा रशिया से भी उतना ही घनिष्ठ नाता रहा है। मेरी क्रेडिबिलिटी है। और जब मैंने कहा भारत के इतने लोग, हमारे नौजवान फंसे हुए हैं और मुझे आपकी मदद चाहिए। भारत के तिरंगे की ताकत इतनी थी कि विदेशी व्यक्ति भी भारत का तिरंगा हाथ में रखता था तो उसके लिए जगह मिल जाती थी। आज आप देखिए कि हम जो बात कहते हैं उस पर लोगों का भरोसा है। 370 हटाऊंगा… भले हमारी पार्टी का जब जन्म हुआ तब से हम कह रहे थे। हमारे श्याम प्रसाद मुखर्जी ने बलिदान दिया था। लेकिन हम उस पर पक्के मन से लगे हुए थे। जब मेरा मौका आया मैंने पूरी हिम्मत दिखाई। 370 गई… और आज जम्मू कश्मीर का भाग्य बदल गया।

अन्नामलाई का आकर्षण

तमिलनाडु में अन्नामलाई एक बहुत ही अच्छे आर्टिकुलेट हैं, बहुत यंग हैं। अपनी आईपीएस कैडर में बहुत बड़ी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़ कर के आए हैं। दूसरे लोग सोचते कि यार इतना बड़ा होनहार करियर छोड़ के आया आदमी तो डीएमके एडीएमके में चला जाता। उसकी तो जिंदगी बन जाती। वो नहीं गया। वो बीजेपी में आया तो लोग सोचे ये बीजेपी में गया मतलब कुछ मेटल है। कुछ अच्छे इरादे वाला इंसान लगता है। तो स्वाभाविक रूप से उसके आकर्षण का केंद्र बना है और मेरी पार्टी की विशेषता है हम हर स्तर के हर छोटे मोटे कार्यकर्ता, जिसमें क्षमता है, उनको अवसर देते हैं। हमारी कोई परिवारवादी पार्टी तो है नहीं। परिवार से चलित पार्टी नहीं है… कि जिन पार्टियों में ऑफ द फैमिली, बाय द फैमिली एंड फॉर द फैमिली होता है और इसलिए हमारे यहां तो हर एक को अवसर मिलता है।

क्या हम भारत में टेस्ला कार स्टार लिंक यह सब देखेंगे और इससे जुड़ा एक सवाल था कि क्या इस जब ऐसे कंपनीज भारत में आएंगे तो क्या नौकरियां बढ़ेंगी क्योंकि बहुत से लोग चाहते हैं कि और थोड़ा बह भी है कि जब यह इंटरनेशनल कंपनीज भारत आएंगी तो क्या भारत में नौकरियां होंगी नहीं होंगी इन दोनों पर पूछना चाहती हूं मैं

देखिए पहली बात है एलन मस्क मोदी के प्रशंसक हैं वो अपनी जगह पर है। मूलतः वो भारत के प्रशंसक हैं। और मैं अभी उनको मिला ऐसा नहीं। मैं 2015 में उनकी फैक्ट्री देखने गया। वह कहीं बाहर थे। तो स्पेशली अपने सारे कार्यक्रम कैंसल करके वह वापस आए। मुझे सब चीज खुद ने अपनी फैक्ट्री में दिखाई और उनका विजन क्या है वह मैंने उनसे समझा। मैं अभी गया तो दोबारा भी उनसे मिला था और अभी वह भारत आने वाले भी हैं। देखिए, भारत में पिछले 10 साल में दुनिया भर से हर क्षेत्र में पूंजी निवेश हो रहा है। अब हमारा ईवी मार्केट इलेक्ट्रिक व्हीकल का मार्केट कितना बड़ा बना है… आपको जान कर के हैरानी होगी कि कितना बदलाव आया…  लोग पकड़ नहीं पाते…  2014-15 में हमारे देश में दो हजार इलेक्ट्रिक व्हीकल बिके थे। 2023-24 में 12 लाख इलेक्ट्रिक व्हीकल बिके हैं। कहां 2000 और कहां 12 लाख। इसका मतलब इतना बड़ा चार्जिंग स्टेशन का नेटवर्क बना है। पर्यावरण को बहुत बड़ी मदद मिली है। यानी एक प्रकार से और उसको लेकर के हमने इसे एक पॉलिसी का रूप दिया है। हमने दुनिया को कहा कि भारत बहुत तेजी से ईवी पर जा रहा है। मैन्युफैक्चरिंग करना चाहते हैं। वो आना चाहे। आइए। इतना ही नहीं, मैं चाहता हूं हिंदुस्तान में निवेश आना चाहिए क्योंकि भारत में वो चीजें बनें जिसमें भले पैसा किसी का भी लगा हो पसीना मेरे देश का लगना चाहिए। उसके अंदर सुगंध मेरे देश की मिट्टी की आनी चाहिए ताकि मेरे देश के नौजवानों को रोजगार मिले।

ईडी, सीबीआई नहीं, पाप का डर

ईडी, सीबीआई केसों की बात। ईडी वगैरह का आप देखेंगे, या इलेक्शन कमीशन… अपने यहाँ कहावत है नाच न जाने आंगन टेढ़ा और इसलिए कभी ईवीएम का बहाना निकालेंगे, कभी। मूलतः पराजय के लिए वह कुछ रीजनिंग अभी से सेट करने में लगे हैं। ताकि पराजय उनके खाते में ना चढ़ जाए।

वो कह रहे हैं लड़ें कैसे, आप या तो अपोजिशन लीडर्स को जेल में डाल रहे या फिर अगर वो आपकी पार्टी में आ गए तो सारे पाप धुल गए।

कितने अपोजिशन लीडर जेल में हैं- कोई मुझे बताए। और क्या यही अपोजिशन लीडर उनकी सरकार चलाते थे।

या जेल का डर है

डर तो पाप का होता है जी। ईमानदार को क्या डर होता है। मेरे यहां भी तो, जब गुजरात का सीएम था, उन्होंने मेरे होम मिनिस्टर सबको जेल में डाल दिया था। अच्छा जो ईडी की बात करते हैं,  देश को समझना चाहिए ईडी ने जितने केस किए उसमें सिर्फ 3% ही पॉलिटिकल लोग इवॉल्व हैं। जिन पर ये केस हुए। 97% ऐसे लोगों पर केस हुआ है जिनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं। ऐसे लोगों पर केस हुआ है जिनमें कोई ड्रग माफिया है, कुछ अफसर हैं जो करप्शन करते हैं। कुछ अफसर हैं जो बेनामी संपत्ति बनाकर बैठे हुए थे। 97% केस उन पर हुए हैं, जेलो में वो लोग गए हैं। अब मजा देखिए ईडी एक स्वतंत्र संस्था को काम करने देना चाहिए कि नहीं करने देना चाहिए। बनाई क्यों गई।

राम मंदिर का राजनीतिकरण

पहली बात है कि इसका राजनीतिकरण किसने किया। और इसको आज की घटनाओ से मत देखिए। जब हमारा जन्म भी नहीं हुआ था, हमारी पार्टी पैदा भी नहीं हुई थी, उस समय अदालत में यह मामला निपटाया जा सकता था। समस्या का समाधान हो सकता था। भारत विभाजन हुआ तो विभाजन के समय यह तय कर सकते थे- चलो इतनी इतनी चीज ऐसा कर लो। वह नहीं किया गया। क्यों? क्योंकि एक ऐसा हथियार हाथ में है जो हथियार वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए मजबूती का एक दांव है। इसलिए उसको पकड़ के रखा गया और बार-बार उसको भड़काया गया। अब जब अदालत के अंदर ये मामला चल रहा था। अदालत से अभी जजमेंट न आए, यहाँ तक कोशिश की गई। समाधान न्यायिक प्रक्रिया से होना चाहिए यह हमारा संविधान हमें कहता है और सरकार की तो जिम्मेवारी है। लेकिन उसमें भी अड़ंगा डालना। यह क्यों? क्योंकि उनके लिए यह राजनीतिक हथियार था।

‘हैव वी कम टू दिस सिचुएशन’ जहां पहले बोला जाता था कि इंदिरा इज इंडिया इंडिया इज इंदिरा और अब है मोदी इज भारत भारत इज मोदी। क्या उस लेवल पर पहुंच गए हैं।

ऐसा है कि देश यह कहता है और जो मैं खुद भी फील करता हूं कि- ये मां भारती का बेटा है, ये मां भारती की संतान है। उससे ज्यादा न लोग मेरे लिए सोचते हैं, न ही मेरे लिए बोलते हैं। भारत मां की संतान है, मां की सेवा कर रहा है- तो इतना ही बहुत है।

मोदी 3.0

देखिए मैं जो विकसित भारत की बात करता हूं उसके साथ साइमलटेनियस किसका भविष्य जुड़ा हुआ है- जो आज 20 साल का, 22 साल का है। वो 2047 में- उसकी पूर्ण जिंदगी का एक कालखंड है एक प्रकार से- तब वो 40, 45, 50 का होगा। मतलब भारत के विकसित भारत बनने की प्रक्रिया और उसकी जिंदगी की प्रक्रिया, दोनों साथ हैं। गोल्डन अपॉर्चुनिटी है उसके साथ। आज का जो फर्स्ट टाइम वोटर है वह 2047 का सबसे बड़ा बेनिफिशियरी बनने वाला है। यह बात मैं उसको समझा रहा हूं कि भाई मैं तेरा भविष्य बना रहा हूं, तुम मेरे साथ जुड़ जाओ। और मैं मानता हूं वो जुड़ेगा। दूसरा फर्स्ट टाइम वोटर परंपरागत चीजों से बाहर आना चाहता है। अब आप देखिए विपक्ष का घोषणा पत्र पूरी तरह इकोनॉमी को फेल करने वाला घोषणा पत्र है। विपक्ष के घोषणा पत्र का इकोनॉमिक प्रोग्राम एक प्रकार से देश के फर्स्ट टाइम वोटर, या पिछले फर्स्ट टाइम वोटर जिनकी उम्र 25 से कम है, उनके भविष्य को रौंदने वाला है।

(प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार के कुछ अंश)