बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने बीते गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली पर संसद के विशेष सत्र के दौरान सांप्रदायिक और आपत्तिजनक बयान दे दिया. इस मामले के बाद से बीजेपी विपक्षी पार्टियों के निशाने पर आ गई है. रमेश बिधूड़ी की भी काफी आलोचना हो रही है. उनके बयानों को संसदीय रिकॉर्ड से हटा दिया गया है, लेकिन मामले में अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है

क्या बिधूड़ी के खिलाफ नहीं हो सकती कोई कार्रवाई?

ऐसा नहीं है कि बिधूड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है. सांसदों को उनके व्यवहार के लिए सदन में दंड दिया जा सकता है या उन्हें फटकार भी लगाई जा सकती है. इस तरह के आचरण के लिए सांसद को निलंबित, निष्कासित या  जेल भी भेजा जा सकता है।

लोकसभा में कार्य संचालन नियम 374 के तहत इस तरह के व्यवहार पर लोकसभा अध्यक्ष एक प्रस्ताव रख सांसद को निलंबित करने का प्रस्ताव दे सकते हैं. इस प्रस्ताव पर सदन मतदान करता है. निलंबन बचे हुए सत्र के लिए हो सकता है, लेकिन बिधूड़ी ने ये टिप्पणी विशेष सत्र के दौरान दी है इसलिए उन पर ये नियम लागू नहीं हो सकता है।

संसद में सांसदों के पास विशेषाधिकार हैं इसलिए सदन में “कमेटी ऑफ प्रिविलेज” की व्यवस्था की गई है. नियम 227 के तहत सदन के अध्यक्ष विशेषाधिकार के दुरुपयोग की जांच के लिए विशेषाधिकार समिति को भेज सकते हैं. इस तरह अब ये मामला पूरी तरह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर निर्भर है कि वो इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।

भाजपा सांसदों ने दानिश अली पर लगाए थे आरोप

रमेश बिधूड़ी के बयान के बाद काफी हंगामा हुआ और कई राजनीतिक पार्टियों के सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। भाजपा सांसदों ने आरोप लगाया कि दानिश अली ने रमेश बिधूड़ी को उकसाया और वह बिधूड़ी के संबोधन के दौरान बार-बार पीएम मोदी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी रमेश बिधूड़ी के बयान की निंदा की लेकिन ये भी कहा कि दानिश अली ने ही उन्हें उकसाया था।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें मिली शिकायतों को लोकसभा की विशेषाधिकार समिति को भेज दिया था। विशेषाधिकार समिति की अध्यक्षता भाजपा सदस्य सुनील कुमार सिंह कर रहे हैं। हाल ही में रमेश बिधूड़ी ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि हर जनप्रतिनिधि का जनता के प्रति दायित्व बनता है। सदन के किसी खास सदस्य के प्रति लगातार कमेंट करते रहना और पीएम मोदी और लोकसभा स्पीकर पर टिप्पणी करना अच्छी बात नहीं है। रमेश बिधूड़ी ने कहा कि अगर उन्हें (दानिश अली) मेरी बात बुरी लगी तो वो मुझे फोन करते, मामला तुरंत समाप्त हो जाता लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बदले उन्होंने केजरीवाल जैसी रणनीति अपनाई। उन्होंने मेरे मुद्दे पर राजनीति की। दानिश अली और ओवैसी जैसे लोग मुस्लिम तुष्टीकरण कर रहे हैं।

आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर भाजपा सदस्य रमेश बिधूड़ी के खिलाफ को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा और मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का आग्रह किया। अली ने पत्र में कहा है कि वह भाजपा सांसद बिधूड़ी के खिलाफ नियम 222, 226 और 227 के तहत नोटिस देना चाहते हैं।  बसपा सांसद मुताबिक, बिधूड़ी ने लोकसभा में उनके खिलाफ ‘आतंकवादी’, ‘उग्रवादी’ और कई आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। उत्तर प्रदेश के अमरोहा से लोकसभा सदस्य ने पत्र में कहा, ”मैं आपसे आग्रह करता हूं कि नियम 227 के तहत इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा जाए…मेरा आग्रह है कि इस मामले में जांच का आदेश दिया जाए।” दानिश अली का कहना है कि इस मामले में कार्रवाई जरूरी है ताकि देश का माहौल और दूषित न हो।

क्या होता है विशेषाधिकार हनन?

संसदीय विशेषाधिकार सांसदों को दिए गए हैं। भारतीय संसद के किसी भी सदन और उसके सदस्यों और समितियों की शक्तियां और विशेषाधिकार संविधान के अनुच्छेद 105 में निर्धारित हैं। हालांकि, यह तय करने के लिए कोई स्पष्ट, अधिसूचित नियम नहीं हैं कि विशेषाधिकार का हनन क्या है और इसके लिए क्या सजा दी जाएगी। आम तौर पर सदन के दौरान कार्यवाही या सदन के किसी भी सदस्य पर उसके चरित्र या आचरण के संबंध में भाषण देना या मानहानि छापना या प्रकाशित करना सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन और अवमानना है।

कैसे मिलती है सजा?

यदि प्रत्यक्ष तौर पर विशेषाधिकार हनन और अवमानना का मामला पाया जाता है तो अध्यक्ष या सभापति उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए इसे विशेषाधिकार समिति को भेज देंगे। समिति इस बात की जांच करेगी कि क्या उनके द्वारा दिए गए बयानों से सदन और उसके सदस्यों का अपमान हुआ है और क्या जनता के सामने उनकी छवि खराब हुई है। समिति के पास अर्ध-न्यायिक शक्तियां हैं। समिति सभी संबंधित पक्षों से स्पष्टीकरण मांगेगी, जांच करेगी और निष्कर्षों के आधार पर सदन को विचार के लिए अपनी सिफारिश पेश करेगी।

प्रिविलेज कमेटी कर रही मामले की जांच

बता दें कि संसद के विशेष सत्र के दौरान बिधूड़ी ने दानिश अली पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इस पर जमकर विवाद हुआ था. लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बिधूड़ी मामले से जुड़ी सभी शिकायतों को प्रिविलेज कमेटी को भेज दिया था. स्पीकर को बिधूड़ी और दानिश अली दोनों के खिलाफ शिकायतें मिलीं थीं. दोनों के गाली-गलौज का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

क्या है पूरा मामला?

पिछले महीने नई संसद में चंद्रयान-3 की सफलता के दौरान दानिश अली और रमेश बिधूरी में वॉक युद्ध छिड़ गया था. इस दौरान बीजेपी के सांसद रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली को अपशब्द कह दिया. उनके खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की. रमेश बिधूड़ी की आपत्तिजनक टिप्पणी पर संसद के भीतर जबरदस्त हंगामा हुआ. दानिश अली ने सोकसभा स्पीकर ओम बिरला को बिधूड़ी पर कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा था. कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने भी रमेश बिधूड़ी को सस्पेंड करने की मांग की।

दानिश अली ने PM मोदी को लिखी थी चिट्ठी

रमेश बिधूड़ी की आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर बसपा सांसद दानिश अली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में दानिश ने लिखा था कि पीएम मोदी हर छोटी-छोटी घटनाओं पर बात करते हैं, लेकिन इस मामले पर वो शांत हैं. अगर बिधूड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो यह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. अगर इस घटना पर प्रधानमंत्री चुप्पी साधते हैं तो इससे बाकी लोगों का भी हौसला बढ़ेगा।

इंदिरा गांधी भी जा चुकी हैं जेल

विशेषाधिकार हनन के साथ-साथ कई अन्य मामले में कभी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी जेल जाना पड़ गया था। बात उस वक्त ही है जब इमरजेंसी के खत्म होने के बाद तत्कालीन गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाया। चरण सिंह ने इंदिरा के खिलाफ इमरजेंसी के दौरान की गई कई ज्यादतियों को लेकर जस्टिस शाह आयोग की रिपोर्ट को अपना आधार बनाया। चरण सिंह ने इंदिरा गांधी पर काम में बाधा डालने, कुछ अधिकारियों को धमकाने, शोषण करने और झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप लगाया। इसके तहत वह दोषी भी पाई गईं। उनके खिलाफ मुकदमा का दौर चला, जिसका ताल्लुक चुनावों में उनके द्वारा सरकारी जीपों के दुरुपयोग से था। इस सभी मामलों में इंदिरा गांधी को जेल भी जाना पड़ा।(एएमएपी)