आज पूरा भारत दशहरा मना रहा है. दशहरा की शाम हर तरफ आपको रावण जलता हुआ नजर आएगा. दरअसल, पूरा भारत रावण को बुराई का प्रतीक मानकर दशहरा के दिन जलाता है. लेकिन इसी देश में एक ऐसी जगह है जहां रावण की पूजा होती है। यहां तक कि इस जगह के लोग रावण को अपना दामाद मानते हैं. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस जगह से रावण का इतना गहरा संबंध कैसे है और क्यों लोग रावण को आज भी अपना दामाद मानते हैं।

कहां है ये जगह?

हम जिस जगह की बात कर रहे हैं वो मध्य प्रदेश में है. दरअसल, मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण को लोग अपना दामाद मानते हैं, यही वजह है कि यहां लोग इसकी पूजा करते हैं. कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का मंदसौर में घर था, इसीलिए यहां के लोग आज भी रावण को अपना दामाद मानते हैं।

रावण के पुतले की पूजा होती है

एक तरफ जहां पूरे देश में दशहरा की शाम रावण का का दहन किया जाता है. मंदसौर में इस पुतले की पूजा होती है. वहीं मंदसौर के रूंडी में तो रावण की एक मूर्ती भी बनी हुई है जिसकी पूजा होती है. यहां लोग रावण को फूल माला चढ़ा कर उसकी पूजा करते हैं. मंदसौर के अलावा कई और जगहें भी हैं जहां रावण की पूज होती है. भारत के अलावा और श्रीलंका में भी कई जगह रावण की पूजा होती है।

यहां अभी मौजूद है रावण का शव

ऐसा माना जाता है कि श्रीलंका के रगैला के जंगलों में करीब 8 हजार फीट की ऊंचाई पर रावण का शव रखा गया है. लोगों का मानना है कि यहां रावण के शव को ममी के रूप में संरक्षित रखा गया है. श्रीलंका घूमने जाने वाले लोगों के लिए ये जगह और रावण का महल बहुत बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन है. यही वजह है कि हर साल इस जगह से श्रीलंका सरकार को काफी फायदा होता है।
रावण की पूजा
श्रीमाली गोधा ब्राह्मणों का कहना है की रावण एक महान संगीतज्ञ विद्वान होने के साथ ही ज्योतिष शास्त्र का प्रकांड पंडित भी था. ऐसी मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी जोधपुर के मंडोर की रहने वाली थी. इसलिए रावण को जोधपुर का दामाद भी माना जाता है. जोधपुर के मेहरानगढ़ किला रोड पर स्थित मंदिर में रावण और मंदोदरी की मूर्ति आमने सामने स्थापित है. इस मंदिर का निर्माण भी गोधा गौत्र के श्रीमाली ब्राह्मणों ने ही करवाया है. इनका मानना है कि रावण की पूजा करने से इच्छा की प्राप्ति होती है. वही हमें बुरी नजर से बचाते भी हैं।

मंदोदरी की आराधना

पंडित कमलेश कुमार बताते हैं कि,” रावण दहन के बाद स्नान करना अनिवार्य होता है”. पहले जलाशय होते थे तो हम सभी वहां स्नान करते थे, लेकिन अब हम घरों के बाहर ही स्नान कर लेते हैं. साथ ही इस दौरान जनेऊ बदलना भी अनिवार्य होता है. इसके अलावा मंदिर में रावण और शिव की पूजा भी की जाती है. इस दौरान देवी मंदोदरी की भी आराधना की जाती है।

दशानन एक महान संगीतज्ञ और विद्वान था

रावण मंदिर के पुजारी अजय श्रीमाली ने बताया कि, “हम रावण के वंशज हैं जब उनका विवाह हुआ था, तब उनके साथ बाराती बन कर आए थे. कुछ लोग यहीं बस गए थे, जिनकी संतान हम हैं. उनके अनुसार रावण एक महान संगीतज्ञ, विद्वान और ज्योतिषि पुरुष था. रावण मायावी भी था. इसलिए छात्र दूर दूर से उसके दर्शन के लिए आते हैं. रावण की मूर्ति के दर्शन मात्र से इंसान में आत्मविश्वास बढ़ जाता है. जोधपुर के टूरिस्ट गाइड डॉ. मदनलाल जांगिड़ ने बताया कि,” रावण हमेशा अपने पत्नी मंदोदरी का बेहद ख्याल रखता था. जोधपुर घूमने आने वाले टूरिस्ट मंडोर भी जाते हैं. रावण का मंदिर भी देखने आते हैं।  (एएमएपी)