वैश्विक विकास धीमा रहने का जताया अनुमान
धीमा रहेगा वैश्विक विकास
आरबीआई (RBI) की तरफ से हर महीने इस बुलेटिन को जारी किया जाता है। RBI ने कहा कि दुनिया के केंद्रीय बैंकों को यह पता लगाने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है कि अगर वैश्विक विकास धीमा पड़ता है, तो उन्हें क्या करना चाहिए। अगर महंगाई ऊंची बनी रही, तो उनका सबसे बुरा डर सच में बदल जाएगा।
वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगेगा झटका
आरबीआई ने अपने मंथली बुलेटिन में भारत और विदेश दोनों में आर्थिक विकास को लेकर जानकारी दी गई है। बुलेटिन में कहा गया कि कई झटकों के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था में साल 2023 के दौरान महत्वपूर्ण रूप से आर्थिक विकास कम होने का अनुमान है। हाल ही में, कोरोना महामारी के प्रतिबंधों में ढील के बाद मार्केट में तेजी देखने को मिली है। वही महंगाई को कम करने के लिए RBI ने कई ठोस कदम उठाए है। इसके बाद कुछ बैंकों ने अपनी ब्याज दर में इजाफा कर दिया है।
इतनी रहेगी जीडीपी
वही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के लिए वित्त वर्ष 2022-23 और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के अनुमान को क्रमशः 6.8 प्रतिशत और 6.1 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। आईएमएफ का कहना है कि, भारत में जीडीपी विकास दर 2022-23 में 6.8 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 6.8 प्रतिशत तक पहुंचने से पहले 2023-24 में 6.1 प्रतिशत हो जाएगा।
रेपो रेट में हुई बढ़ोतरी
देश में खुदरा महंगाई दर अप्रैल 2022 में 7.79 फीसदी पर जा पहुंची थी, जिसके बाद आरबीआई ने छठी बार मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में महंगाई पर काबू पाने के लिए रेपो रेट में बढ़ोतरी की। आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की। रेपो रेट को 6.25 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया है। इसके चलते कर्ज महंगा हो गया है। इससे लोगों की ईएमआई महंगी हो गई है। उम्मीद है कि महंगे हो रहे कर्ज का सिलसिला अब रुक जाएगा।(एएमएपी)