-खुशवंत सिंह।

ओशो के प्रवचनों ने मुझे विस्मय विमुग्ध किया है। एक तो उनका हिंदी बोलने का लहजा मुझे अच्छा लगा। दूसरे जब आप उनकी वाणी सुनते हैं तो आपका मन यहां वहां भटकता नहीं है। वे आपको बांधकर रखते हैं।


 

मैंने भी जपुजी का अंग्रेजी अनुवाद किया है लेकिन मैंने देखा कि ओशो नानक के हर सूत्र की कितने विभिन्न पहलुओं से व्याख्या करते हैं। उनके प्रवचन सुनकर मुझे लगा कि मैं जपुजी के बारे में कितना कम जानता था। और हम लोग सारी जिंदगी जपुजी का पाठ करते रहते हैं। सबसे कीमती बात जो मुझे ओशो की लगी वह यह कि वे हर श्लोक को, उपनिषद को, सूफी कहानियों को न जाने कितने किस्म की पृष्ठभूमि देकर प्रस्तुत करते हैं।

 

मैंने तो सिर्फ शब्दश: अनुवाद किया हुआ था। ओशो ने जपुजी को इतना नया संदर्भ दे दिया कि उसे एक नया अर्थ प्राप्त हुआ है। और मेरा अपने ही गुरु के प्रति आदर कई गुना बढ़ गया।

अब तक मैं नानक को अर्द्ध शिक्षित संत कहता था। लेकिन ओशो की व्याख्या सुनने के बाद मुझे महसूस हुआ कि गुरु नानक तो प्रतिभाशाली कवि थे और उनके शब्दों में गहरे विचार छिपे हुए थे।

ओशो ने जो सबसे महत्वपूर्ण काम किया वह था धर्म को दुख और उदासी से मुक्त करना। उन्होंने धर्म को उत्सव और मुक्ति का रूप दिया।

बेबाक खुशवंत के बारे में कुछ जरूरी बातें

खुशवंत सिंह (Khushwant Singh) (2 फरवरी 1915 से 20 मार्च 2014) आजीवन अपनी बेबाक जीवनशैली के लिए जाने जाते रहे। वे कट्टर नहीं थे। सिख होने पर गर्व करते थे। कई खंडों में सिखों का इतिहास लिखा। जपजी साहिब का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया। लेकिन शायद ही कभी गुरुद्वारे जाते हों। अकाली सिख थे पर गायत्री मंत्र पढ़ते थे। उनके घर के प्रवेश द्वार पर गणपति की प्रतिमा लगी थी। कृपालु जी महाराज उनके पसंदीदा साधु थे। उन्होंने किसी मजहब का मजाक नहीं उड़ाया। किसी का अपमान नहीं किया। अपनी बात को रखा मगर साथ में उसकी इज्जत भी की।

वे अपना समाधि लेख भी स्वयं लिख गए थे- ‘यहां एक ऐसा मनुष्य लेटा है, जिसने इंसान तो क्या भगवान को भी नहीं बख्शा। उसके लिए अपने आंसू व्यर्थ न करो। वह एक प्रॉब्लमेटिक आदमी था। शरारती लेखन को वह बड़ा आनंद मानता था। खुदा का शुक्र है कि वह मर गया।’

इलेस्ट्रेड वीकली जैसी अंग्रेजी पत्रिका का संपादन करने के अलावा वह राज्यसभा सदस्य भी रहे और सौ से ज्यादा महत्वपूर्ण किताबें लिखीं।


जितने भी जीने के दो नम्बरी तरीके हैं उनसे एकदम
अलग हूं