28 से अधिक आईसीएमआर केंद्रों पर शुरू होगा अध्ययन।
जानकारी मिली है कि देश भर में फैले आईसीएमआर के करीब 28 संस्थान मिलकर इस अध्ययन को पूरा करेंगे जिसमें वायरल इंफेक्शन की रोकथाम को लेकर नई तकनीकों पर काम किया जाएगा। साथ ही, इन बीमारियों की समय पर जांच और उपचार किस तरह किया जाए? इसके बारे में भी पता लगाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत खोज, विकास या वितरण पर ध्यान देने के साथ उच्च वैज्ञानिक प्रभाव वाली परियोजनाएं और प्रौद्योगिकियों को प्राथमिकता दी जाएगी। आईसीएमआर के अनुसार, जिस प्रकार कोरोना महामारी में देश के सभी अनुसंधान केंद्रों ने मिलकर सहयोग दिया था।
कितने तरह का इंफेक्शन? यह पता करना जरूरी
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीरज अग्रवाल का कहना है कि देश की आबादी में कितने तरह का वायरल इंफेक्शन प्रसारित है? इसके बारे में कोई सही आंकड़ा मौजूद नहीं है। जन स्वास्थ्य के लिहाज से यह प्रोजेक्ट कई मायने में अहम है जिसे हाल ही में टास्क फोर्स की अनुमति मिली है। उन्होंने बताया कि आईसीएमआर के अधीन सभी अनुसंधान केंद्रों को पत्र जारी कर सूचना दी गई है। साथ ही, इसके लिए एक टीम गठित करने की अपील भी की है।
जन स्वास्थ्य में अहम बदलाव
- अध्ययन के परिणामों को अलग अलग श्रेणी में रखा जाएगा। जैसे, जांच तकनीक का पता चलने के बाद इसे निजी क्षेत्र को हस्तांतरित किया जाएगा ताकि किट तैयार हो सकें।
- उपचार तकनीक का पता लगने के बाद नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की मदद लेते हुए देश भर के अस्पतालों के साथ साझा किया जाएगा और एक उपचार प्रोटोकॉल बनाया जाएगा।
- विषाणु संक्रमण के प्रसार की रोकथाम को लेकर एक रणनीति बनेगी जिसे आईसीएमआर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सहयोग से सभी राज्यों के स्वास्थ्य विभागों के साथ साझा करेगा। (एएमएपी)