पत्रकार सुरेंद्र किशोर को पद्मश्री सम्मान
हरिवंश।
सुरेंद्र किशोर जी को पद्म सम्मान देने की घोषणा हुई है। उन्हें हार्दिक बधाई। शुभकामनाएं। यह हिंदी पत्रकारिता में विलुप्त होती गौरवशाली परंपरा का सम्मान है। अपनी ईमानदारी, गांधीवादी जीवनशैली और प्रामाणिकता के लिए देश के पत्रकारों में सर्वोच्च नैतिक प्रतीक के रूप में पहचान व आदर रखते हैं। सुरेंद्र जी पत्रकारिता में लगभग 55 वर्षों से सक्रिय हैं। देश की हिंदी पत्रकारिता की पहचान हैं। इन्हें हम पत्रकारिता जगत से जुड़े लोग वर्षों से चलता-फिरता ‘इनसाइक्लोपीडिया’ मानते हैं।
देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक इतिहास का गहरा ज्ञान है। इनके दस्तावेजीकरण और समृद्ध निजी लाइब्रेरी को हिंदी पट्टी में, खासकर पत्रकारिता जगत में विशिष्ट माना जाता है। इनकी निजी लाइब्रेरी को हिंदी के मशहूर साहित्यकार नामवर सिंह, मशहूर पत्रकार प्रभाष जोशी जैसे लोगों ने दुर्लभ और विशिष्ट कहा।
Surendra Kishore from Bihar is a veteran Hindi journalist with a career spanning over 50 years. He served as Editor of prominent newspapers. He has been awarded Padma Shri for his contributions to the field of Literature & Education – Journalism.#PeoplesPadma#PadmaAwards2024… pic.twitter.com/XMv5rfCqY7
— MyGovIndia (@mygovindia) January 26, 2024
शंभूनाथ शुक्ल जैसे वरिष्ठ हिंदी पत्रकार ने लिखा है, ‘सुरेंद्र किशोर सिर्फ बिहार नहीं बल्कि देश के विलक्षण पत्रकार हैं। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है और आज भी सीख रहा हूं।’
सुरेंद्र जी, हिंदी पत्रकारिता में तथ्यों की जांच-पड़ताल करने के लिए एक रेफरेंस सेंटर की तरह भी हैं, इनके पास पिछले पांच दशक की खबरों, पत्र-पत्रिकाओं का सुव्यवस्थित दस्तावेजीकरण है। वह स्वयं इसका उपयोग अपने लेखन में संदर्भ रूप में प्रामाणिकता के साथ करते हैं।
पटना से सटे गांव कोरजी में इनके घर जाकर इनकी सादगी को देखा जा सकता है। गांधीवादी तरीके से न्यूनतम संसाधन के साथ रहना। कोई दिखावा नहीं। 1969 से पत्रकारिता की शुरुआत की। तब से, अब तक सतत इस पेशे में ही सक्रिय हैं।
Five decades of unwavering integrity and exceptional reporting have earned #Bihar‘s Shri Surendra Kishore, a veteran Hindi journalist, the #PadmaShri in the field of literature and journalism.#PadmaAwards2024 #PeoplesPadma pic.twitter.com/Zbx8yKUAtu
— Bihar Foundation (@biharfoundation) January 25, 2024
इस दौरान इन्होंने ‘प्रतिपक्ष’(नई दिल्ली), लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पत्रिका ‘जनता’, प्रसिद्ध हिंदी दैनिक ‘आज’, प्रसिद्ध पत्रिका ‘धर्मयुग’, ‘माया’, ‘दिनमान’, ‘रविवार’, ‘अवकाश’, ‘श्रीवर्षा’, ‘नई दुनिया’, ‘नवभारत टाइम्स’ आदि में लगातार लिखा। 1983-2001 तक दैनिक ‘जनसत्ता’ के बिहार संवाददाता रहे। 2001-2007 तक दैनिक ‘हिन्दुस्तान’, पटना में राजनीतिक संपादक रहे। 2013 – 2016 तक ‘दैनिक भास्कर’ के पटना संस्करण में संपादकीय सलाहकार रहे। अब स्वतंत्र पत्रकार, स्तम्भकार के रूप में नियमित लेखन करते हैं। इनके लेख, रिपोर्ट, विचार, तथ्यपरक विश्लेषण देश भर में चर्चित रहे हैं।
जयप्रकाश आंदोलन में सुरेंद्र किशोर व उनकी पत्नी, दोनों अग्रिम मोर्चे पर सक्रिय रहे। ये दोनों जेपी के आत्मीय रहे। इमरजेंसी में इनकी पत्नी को जेल की सजा काटनी पड़ी। ‘प्रतिपक्ष’ पत्रिका में लिखने के कारण इन्हें भी सजा मिली।
समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस के साथ बड़ौदा डायनामाइट केस में प्रमुख सहयोगी के रूप में इनका नाम आया। यह फरार रहे, तत्कालीन सरकार आपातकाल में देशव्यापी सघन खोज के बाद भी गिरफ्तार नहीं कर सकी। जेल से निकलने के बाद पत्नी ने जीवनयापन के लिए सरकारी नौकरी की। सुरेंद्र जी ने राजनीतिक प्रस्ताव छोड़कर पत्रकारिता को चुना। सुरेंद्र किशोर आज भी सामयिक विषयों पर सबसे प्रामाणिक व तथ्यपूर्ण बातें नियमित तौर पर सोशल मीडिया के माध्यम से सामने रखते हैं, जिन्हें लोग खूब पढ़ते हैं।
नयी पीढ़ी को राजनीतिक, सामाजिक इतिहास से परिचित कराते हैं। पत्रकारिता जिस दौर से गुजर रही है, उसमें Surendra Kishore जी जैसे पत्रकार राह दिखाते हैं कि पत्रकारिता की क्या परंपरा रही है? पत्रकारिता में ईमानदारी, विश्वसनीयता, तटस्थता से, मर्यादा की सीमा में अपनी बात रखना ही पत्रकारिता है।
(लेखक जाने-माने पत्रकार हैं और वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हैं)