रविवार को आ रहे चुनाव परिणामों के रुझानों में भी कांग्रेस को बढ़त दिखाई जा रही है. राज्य की 119 सीटों में से कांग्रेस 66 और बीआरएस 45 सीटों पर आगे चल रही है। कुल मिलाकर कांग्रेस स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ रही है। अगर ये रुझान परिणामों में बदलते हैं तो तेलंगाना में पहली ग़ैर टीआरएस (अब बीआरएस) सरकार बनेगी।
तेलंगाना में कांग्रेस का चेहरा
तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजों से एक दिन पहले जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचे तो उनके समर्थन में ‘सीएम-सीएम’ कहकर नारे लगाए गए। रेवंत रेड्डी ही वो शख़्स हैं जो तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का चेहरा बने रहे।
चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी नज़र आते थे तो उनके साथ रेवंत रेड्डी ज़रूर दिखते थे। 2013 में तेलंगाना के गठन के बाद से राज्य में केसीआर के अलावा कोई मुख्यमंत्री नहीं बना है। अगर कांग्रेस जीतती है तो क्या रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बनेंगे?
#WATCH | Telangana: On defeating Incumbent CM K. Chandrashekar Rao and State Congress chief Revanth Reddy from Kamareddy seat, BJP leader Katipally Venkata Ramana Reddy says “I took both of them as normal candidates. People have supported me a lot and this is the reason I won… pic.twitter.com/6SH6SCIVRv
— ANI (@ANI) December 3, 2023
इस सवाल पर रेड्डी पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस तेलंगाना में 80 से ज़्यादा सीटें जीतेगी और इस पद (मुख्यमंत्री) के लिए 80 से ज़्यादा उम्मीदवार होंगे।
कौन हैं रेवंत रेड्डी
अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर ज़िले में साल 1969 में पैदा हुए अनुमुला रेवंत रेड्डी ने राजनीति की शुरुआत अपने छात्र जीवन से ही कर दी थी। उस्मानिया विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन करने वाले रेड्डी उस समय एबीवीपी से जुड़े हुए थे। बाद में वो चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए। टीडीपी के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने साल 2009 में आंध्र प्रदेश की कोडांगल विधानसभा सीट से चुनाव जीता था।
साल 2014 में वो तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता चुने गए। साल 2017 में वो कांग्रेस में शामिल हो गए. हालांकि कांग्रेस में जाना उनके लिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में वो टीआरएस उम्मीदवार से हार गए। केसीआर ने चुनाव से एक साल पहले विधानसभा भंग करके पहले ही चुनाव करवा दिया था।
विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से टिकट दिया जिसमें उन्होंने सिर्फ़ 10,919 वोटों से जीत दर्ज की साल 2021 में कांग्रेस ने उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष चुना।
इस सवाल पर रेड्डी ने कहा कि 20 साल उन्हें राजनीति करते हुए हो गए हैं और पिछले 15 सालों से वो विपक्ष में हैं और इसने उन्हें जनता से जोड़ा और एक पहचान दी। तेलंगाना में कांग्रेस के सिर्फ़ 8 विधायक रह गए हैं और बहुमत का आंकड़ा 60 का है। इसी बीच तेलंगाना में बीजेपी भी काफ़ी मज़बूत हुई है और एआईएमआईएम भी कांग्रेस के ख़िलाफ़ हमलावर रही है।
रेड्डी कहते हैं कि तेलंगाना की जनता जान चुकी है कि केसीआर और बीजेपी मिले हुए हैं जबकि एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी दोनों के बीच कॉर्डिनेटर के तौर पर काम करती है। “बीआरएस बीजेपी को प्रोटेक्शन मनी दे रही है और जब जब कोर्डिनेशन की ज़रूरत होती है तो ओवैसी जी आकर दोनों दलों के बीच यह भूमिका निभाते हैं।”
कांग्रेस कैसे बना सबसे बड़ा दल
कांग्रेस ने वादा किया है कि उसने तेलंगाना में सरकार बनाई तो वो हर बेरोज़गार युवा को चार हज़ार रुपये प्रति माह, महिलाओं को ढाई हज़ार रुपये प्रति माह, बुज़ुर्गों के लिए चार हज़ार रुपये प्रति माह पेंशन, किसानों को 15 हज़ार रुपये देगी। रेवंत रेड्डी कहते हैं कि ‘वेलफ़ेयर मॉडल और डिवेलपमेंट मॉडल कांग्रेस सरकार की दो आंखें रही हैं, काबिल लोगों को अवसर देना हमारी नीति है, जो लोग दूसरों पर निर्भर हैं, उनको सहारा देना भी सरकार की ज़िम्मेदारी है।’
तेलंगाना में केसीआर सरकार ने जनता को बहुत सी वेलफ़ेयर योजनाएं दी हैं और कांग्रेस पर आरोप लगते हैं कि वो उन्हीं योजनाओं में पैसे बढ़ाकर जनता को देगी।
इस सवाल पर रेड्डी कहते हैं कि “2004 से 2014 तक हम लोगों ने जो पेंशन दी वो हमारी योजना थी। क़र्ज़ छूट, इंदिरा आवास योजना, बेरोज़गार को पैसा देने की योजना हमारी ही थी. हमने एक साल में 2 लाख नौकरी देने का वादा किया है। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस के इन्हीं वादों का प्रचार किया. इसके साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान वो इस बात को दोहराते रहे कि तेलंगाना का गठन कांग्रेस ने ही किया था। कांग्रेस के चुनाव प्रचार के दौरान केसीआर के कथित भ्रष्टाचार का मामला उठाया जाता रहा. साथ ही ये कहा जाता रहा कि उनकी बीजेपी के साथ सांठ-गांठ है। रेवंत रेड्डी दो सीटों कोडांगल और कामारेड्डी से चुनाव लड़ रहे हैं। कोडांगल उनकी पारंपरिक सीट रही है जबकि कामारेड्डी में उनका मुक़ाबला सीधे मुख्यमंत्री केसीआर से है।
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क्या कांग्रेस ने उन्हें फंसा दिया है? इस सवाल पर वो बीबीसी हिंदी से कहते हैं, “इंदिरा जी हारीं, एनटीआर जी हारे, तीसरा मौक़ा केसीआर के हारने का होगा। कांग्रेस ने अगर तेलंगाना विधानसभा चुनाव जीता तो क्या रेवंत रेड्डी नए मुख्यमंत्री होंगे क्योंकि इस दौरान कई और नाम भी मुख्यमंत्री पद के सामने आए हैं?
इस सवाल पर वो कहते हैं कि वो कोशिश कर रहे हैं कि 85 उम्मीदवार मुख्यमंत्री पद की रेस में हों क्योंकि मुख्यमंत्री बनना है तो पहले ख़ुद विधानसभा सीट जीतनी होगी और ‘मुझे 85 सीट जीताने की ज़िम्मेदारी दी गई है।(एएमएपी)