नौसेना की संगोष्ठी 23 जुलाई को।

आपका अखबार ब्यूरो।
भारतीय नौसेना का युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो (WDB) 23 जुलाई 2025 को नई दिल्ली स्थित मानेकशॉ सेंटर में ‘जहाज निर्माण के माध्यम से राष्ट्र निर्माण’ विषय पर एक उच्चस्तरीय संगोष्ठी का आयोजन करेगा। यह संगोष्ठी भारतीय नौसेना द्वारा देश के सामरिक, औद्योगिक और तकनीकी सशक्तिकरण में जहाज निर्माण क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित करने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है।
इस आयोजन की पृष्ठभूमि में हाल ही में भारतीय नौसेना को सौंपे गए 100वें स्वदेशी युद्धपोत ‘उदयगिरि’ (वाई-12652) की ऐतिहासिक डिलीवरी है, जो WDB की छह दशक लंबी यात्रा में एक मील का पत्थर है। 1964 में केंद्रीय डिज़ाइन कार्यालय के रूप में आरंभ हुआ यह संगठन 1970 में नौसेना डिज़ाइन निदेशालय और अब युद्धपोत डिज़ाइन ब्यूरो के रूप में विकसित होकर, आज भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं का प्रमुख आधार बन चुका है।
अब तक WDB ने समुद्री रक्षा नौकाओं से लेकर विमानवाहक पोतों तक, कुल 20 श्रेणियों के युद्धपोतों के डिज़ाइन और निर्माण में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। ‘उदयगिरि’ की डिलीवरी न केवल तकनीकी उत्कृष्टता का प्रमाण है, बल्कि भारत की समुद्री आत्मनिर्भरता की दिशा में निर्णायक प्रगति भी है।

संगोष्ठी के प्रमुख उद्देश्य

इस संगोष्ठी का उद्देश्य जहाज निर्माण क्षेत्र में नीति निर्धारण, प्रौद्योगिकी विकास, उद्योग-शिक्षा समन्वय और वैश्विक मानकों के अनुरूप उत्पादन क्षमताओं पर केंद्रित संवाद को प्रोत्साहित करना है। इसमें सरकार, नौसेना, सार्वजनिक एवं निजी शिपयार्ड, वर्गीकरण समितियों, रक्षा क्षेत्र के उद्योगों तथा शिक्षाविदों सहित प्रमुख हितधारक भाग लेंगे।
प्रतिभागी इस अवसर पर भविष्य की वैश्विक तकनीकों पर विचार विमर्श करेंगे, भारतीय शिपयार्डों को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों तक पहुंचाने में आ रही चुनौतियों की पहचान करेंगे और उनकी रणनीतिक क्षमताओं को सुदृढ़ बनाने हेतु संभावित समाधान तलाशेंगे।

राष्ट्र निर्माण में जहाज निर्माण की भूमिका

स्वदेशी युद्धपोत निर्माण न केवल देश की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करता है, बल्कि आर्थिक विकास, तकनीकी नवाचार, और रोज़गार सृजन में भी सहायक होता है। यह क्षेत्र देशभर में MSME, स्टार्टअप्स और सहायक इको-सिस्टम को भी गति प्रदान करता है, जिससे दीर्घकालिक राष्ट्रीय समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
जहाज निर्माण को लेकर भारत सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट है– यह केवल रक्षा परियोजना नहीं, बल्कि ‘राष्ट्र निर्माण की आधारशिला’ है। भारतीय नौसेना की यह पहल निश्चित रूप से ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को और अधिक बल प्रदान करेगी।