ओबीसी कोटा को खतरे में डाले बिना मराठों को आरक्षण मिले।
मराठाओं के बहुसंख्यक महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा इन दिनों तेजी से पनप रहा है, सरकार को भी अल्टीमेटम दिया गया है कि हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो इसका जवाब पाने के लिए आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा-नए शिवसेना गठबंधन को तैयार रहना चाहिए।
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) (अजित पवार गुट) के अध्यक्ष और सांसद सुनील तटकरे ने स्पष्ट किया कि मराठा समुदाय के लिए आरक्षण पर उनकी पार्टी की स्थिति अपरिवर्तित रहेगी। उन्होंने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को खतरे में डाले बिना मराठों को आरक्षण दिया जाना चाहिए।
तटकरे ने कहा कि वह सरकार से बिहार की तर्ज पर जातिवार जनगणना कराने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि मराठा समुदाय के सदस्य केवल आज ही आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। वास्तव में, आज सभी समुदाय आरक्षण की मांग कर रहे हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि आज एक अलग स्थिति में महाराष्ट्र में आरक्षण को लेकर एक तरह के असंतोष की तस्वीर बन रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कुल मिलाकर माहौल यह है कि उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन किसी और के हिस्से से नहीं।
तटकरे ने कहा, ‘आज, हम श्री अजीत पवार के नेतृत्व में काम कर रहे हैं और चुनाव आयोग उनके द्वारा उठाए गए रुख से 100 प्रतिशत सहमत होगा।’मराठाओं की धरती महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा भड़का हुआ है। जालना में एक सितंबर को भड़की हिंसा के बाद राजनीति गरमाई हुई है। मराठाओं के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग करने वाले हजारों प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद हिंसा भड़की थी। जिसके बाद हिंसा बड़े पैमाने पर जुलूस, प्रदर्शन और बंद के रूप में महाराष्ट्र के कई जिलों में फैल गई।
आखिर मराठा आरक्षण क्यों मांग रहे हैं?
मराठा समुदाय के लोगों की मांग है कि हमें नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए, जैसे पिछड़ी जातियों को मिला हुआ है। मराठाओं का दावा है कि समुदाय में एक छोटा तबका है तो समाज में ऊंची पैठ रखता है, लेकिन समुदाय के बाकी लोग गरीबी में जी रहे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट इस बात से इनकार कर चुका है कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है।
सु्प्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि मराठाओं को आरक्षण लागू करने की जरूरत नहीं है। संविधान के आर्टिकल 16 के तहत अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया गया है। यानि उन लोगों के लिए सीटें आरक्षित रखी गई हैं, जो सामाजिक और शैक्षिक स्तर पर पिछड़ी हुई हैं।मराठों की आर्थिक स्थिति क्या है?
मराठा समुदाय राज्य की कुल आबादी का करीब 30 फीसदी है। सामाजिक और आर्थिक दोनों रूप से ये समुदाय काफी पिछड़ा हुआ है। खासकर उच्च शिक्षा संस्थानों में मराठा समुदाय का अधिक प्रतिनिधित्व नहीं है। नौकरियों और उद्योग के क्षेत्र में भी मराठा समुदाय का यही हाल है। यहां भी प्रतिनिधित्व काफी कम है। हालांकि मराठाओं का एक तबका ऐसा भी है जो आर्थिक रूप से संपन्न है। इन लोगों के पास जमीन और राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण है।(एएमएपी)