आपका अख़बार ब्यूरो।
रूस ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में प्रस्तुत एक प्रस्ताव को वीटो कर दिया है जिसमें यूक्रेन के चार क्षेत्रों को अपनी सीमाओं में मिलाने के प्रयासों को अवैध क़रार दिया गया है। प्रस्ताव में रूस की इस कार्रवाई को “अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा के लिये एक ख़तरा” बताया गया है और इस निर्णय को तत्काल व बिना शर्त पलटने की माग भी की गई है।
रूस ने यूक्रेन में पहले से ही अपने क़ब्ज़े वाले चार क्षेत्रों को, औपचारिक रूप से रूस के क्षेत्र में मिलाने की घोषणा करने के लिये, शुक्रवार को, राजधानी मॉस्को में एक समारोह भी आयोजित किया। सूरक्षा परिषद इस प्रस्ताव का प्रारूप संयुक्त राज्य अमेरिका और यूक्रन ने वितरित किया था, जिसे 15 में से 10 सदस्यों का समर्थन हासिल हुआ, रूस ने इस प्रस्ताव पर वीटो किया।
चार सदस्यों – ब्राज़ील, चीन, गैबॉन और भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इस प्रारूप में, यूक्रेन के चार क्षेत्रों में रूस द्वारा कराए गए तथाकथित जनमत संग्रह को, अवैध क़रार देने के साथ-साथ, उसे यूक्रेन की अन्तरारष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमाओं में बदलाव करने का एक प्रयास बताया गया। रूस ने अब इन चार क्षेत्रों – लुहान्स्क, दोनेत्स्क, ख़ेर्सॉन, और ज़ैपोरिझझिया को सम्प्रभु क्षेत्र घोषित कर दिया है।
रूस तत्काल वापिस हटे
प्रस्ताव के प्रारूप में, दुनिया के तमाम देशों, अन्तरराष्ट्रीय संगठनों, और एजेंसियों से, रूस की इस “हरण घोषणा” को मान्यता नहीं देने का आहवान किया गया है। साथ ही रूस से, यूक्रेन के तमाम क्षेत्रों से अपनी तमाम सेनाओं को, तत्काल, पूर्ण रूप से और बिना किसी शर्त, हटाने की भी पुकार लगाई गई है।
यूएन महासभा ने अप्रैल 2022 में एक नई प्रक्रिया पारित की थी, जिसके प्रावधानों के अनुसार, अब रूस ने चूँकि इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया है तो, 10 दिनों के भीतर, सम्पूर्ण महासभा की बैठक आयोजित होगी, जिसमें सभी 193 देश, इस प्रस्ताव की समीक्षा करके, इस पर मतदान कर सकेंगे। सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्यों में से किसी एक द्वारा भी वीटो का प्रयोग करने पर, इस तरह की बैठक की स्थितियों के लिये रास्ता खुलता है।
सुरक्षा परिषद में, संयुक्त राज्य अमेरिका की राजदूत लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले कहा कि यूक्रेन के क्षेत्र में रूस द्वारा कराया गया जनमत संग्रह जाली था, जिसे रूस ने पहले ही निर्धारित कर दिया था और “जो रूसी बन्दूकों के ज़ोर पर कराया गया”।
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने गुरूवार को, यूक्रेन के चार हिस्सों को अपने क्षेत्र में मिलाने की रूस की इस कार्रवाई को, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन क़रार दिया था। उन्होंने साथ ही आगाह करते हुए ये भी कहा था कि ये सात महीने से चल रहे युद्ध की आग में घी डालने के समान है। यूएन प्रमुख ने कहा था, “यूएन चार्टर स्पष्ट है। किसी एक देश द्वारा धमकी या बल प्रयोग करके, किसी अन्य देश के किसी हिस्से का हरण, यूएन चार्टर के सिद्धान्तों का उल्लंघन है।”
पवित्र सिद्धान्तों की हिफ़ाज़त: अमेरिका
अमेरिकी राजदूत लिण्डा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने कहा, “सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखण्डता के पवित्र सिद्धान्तों की हिफ़ाज़त करना, हम सभी के हित में है, हमारे आधुनिक विश्व में शान्ति की हिफ़ाज़त करने के हित में भी।”
“अगर इन सिद्धान्तों को नज़रअन्दाज़ किया जाता है तो हम सभी, अपनी ख़ुद की सीमाओं, अपनी ख़ुद की अर्थव्यवस्ताओं और अपने ख़ुद के देशों के लिये, इनके नतीजों को समझते हैं।” उन्होंने कहा, “ये हमारी सामूहिक सुरक्षा के बारे में, है, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा क़ायम रखने की हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी के बारे में है।।। यही तो है जिसके लिये ये सुरक्षा परिषद यहाँ वजूद में है।”
अब क़दम पीछे नहीं हटेंगे: रूस
राजदूत वैसिली नेबेन्ज़या ने रूस की प्रतिक्रिया देते हुए, इस प्रस्ताव के प्रायोजकों पर “निम्न स्तर की भड़काऊ कार्रवाई” का आरोप लगाया, और उनके देश को वीटा का प्रयोग करने के लिये विवश किया।
उन्होंने कहा, “पश्चिम की तरफ़ से इस तरह के शत्रुतापूर्ण कार्य खुलेआम किया जाना, संवाद में शामिल होने से इनकार, और सुरक्षा परिषद में सहयोग करने से इनकार है, जोकि इतने वर्षों के दौरान हासिल की गई परम्पराओं और अनुभव को भी नकारना है।”
रूसी राजदूत ने कहा कि यूक्रेन के उन चार क्षेत्रों में, रूस के लिये भारी समर्थन रहा है जो अब रूस का हिस्सा बन चुके हैं। “इन क्षेत्रों के निवासी अब यूक्रेन में वापिस नहीं लौटना चाहते हैं। उन्होंने सोच-समझकर और अपनी पसन्द के साथ ये फ़ैसला किया है – हमारे देश के समर्थन में।” उन्होंने कहा कि तथाकथित जनमत संग्रह के परिणामों को, अन्तरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों से मान्यता मिली है, और अब रूसी संसद द्वारा स्वीकृति के बाद, और राष्ट्रपति का आदेश जारी होने के बाद, “क़दम वापिस नहीं लौटेंगे, जैसाकि आज के प्रस्ताव मसौदे ने थोपने की कोशिश की।”
(संयुक्त राष्ट्र समाचार से साभार)