ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि शास्त्रों, पुराणों और वेदों के अनुसार सावन का महीना बाबा भोलेनाथ को समर्पित है। पवित्र श्रावण मास के दौरान भगवान शिव की पूजा आराधना कर उनसे आशीर्वाद लेने का सबसे अच्छा समय माना जाता है। इस बार श्रावण मास बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि इस बार सावन का महीना 30 नहीं बल्कि 59 दिनों का रहेगा। महादेव के भक्तों को इस बार उनकी उपासना के लिए चार नहीं बल्कि आठ सोमवार मिलेंगे। ऐसा इसलिए हो रहा हैं क्योंकि हिंदू पंचांग विक्रम संवत 2080 के अनुसार इस साल अधिक मास पड़ रहा है जिसमें पूरे 13 महीने होंगे। उन्होंने बताया कि 19 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार सौर मास और चंद्र मास के आधार पर साल 354 दिनों का होता है जबकि सौर मास 365 दिन का होता है। ऐसे में दोनों में कुल 11 दिनों का अंतर आता है और हर 3 साल बाद यह अंतर 33 दिनों का हो जाता है, जिसे अधिक मास के नाम से जाना जाता है। इसी वजह से श्रावण दो महीने का रहेगा। पंडित शर्मा ने बताया कि इस बार सावन के महीने में मणिकांचन योग बन रहा है जो बेहद दुर्लभ है। इस बार मलमास में ही रक्षाबंधन का त्यौहार भी मनाया जाएगा।
सावन मास के सोमवार
पहला सोमवार 10 जुलाई, दूसरा सोमवार 17 जुलाई, तीसरा सोमवार 24 जुलाई, चतुर्थ सोमवार 31 जुलाई, पांचवा सोमवार 7 अगस्त, छठा सोमवार 14 अगस्त, सातवां सोमवार 21 अगस्त, आठवां सोमवार 28 अगस्त।
क्या होता है मलमास?
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि इस साल सावन मास के बढ़ने के पीछे मलमास यानी अधिक मास है। शास्त्रों के मुताबिक जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं पड़ती और बढ़ती-घटती तिथियों को मिलाकर एक मास यानी 1 महीना तैयार होता है उस माह को मलमास या अधिक मास और पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। इस दौरान शादी, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। हालांकि, मलमास में भगवान का स्मरण एवं पूजन करना शुभ माना जाता है। अधिक मास में किए गए दान पुण्य को आत्मा की शुद्धि एवं मन की पवित्रता से भी जोड़कर देखा जाता
सावन मास की पूजा विधि
उन्होंने बताया कि सावन महीने में सोमवार के दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें और किसी मंदिर या घर पर ही शिवलिंग और शिव परिवार पर गंगाजल चढ़ाएं। इसके बाद ऊं नमः शिवाय मंत्र का जप करते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक करें। इसके अलावा शिवलिंग पर सफेद फूल, अक्षत, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र आदि चढ़ाएं।(एएमएपी)