जीडीआर मैनिपुलेशन का मामला
⚡️Tracxn Technologies Ltd: A Micro Cap company providing Database services
⚡️Unravelling the power of a database company shaping the tech landscape
⚡️Company Analysis🧵👇 pic.twitter.com/MECrvuTddF
— Raghav Wadhwa | SEBI RA (@raghavwadhwa) November 28, 2023
इस साल जुलाई के महीने में ही सेबी ने हीरन ऑर्गोकेम के ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी करने में हुई हेरा-फेरी के लिए पंचारिया पर 25 करोड़ रुपये और मुकेश चौरड़िया पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, लेकिन अरुण पंचारिया इस जुर्माना राशि को चुकाने में विफल रहे। इसके बाद अब सेबी ने अरुण पंचारिया को 15 दिन के अंदर 26.25 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हीरन ऑर्गोकेम ने मई 2010 में एक करोड़ डॉलर के 15.38 लाख ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी किए, जिसकी कीमत कंपनी के 4.61 करोड़ शेयरों से तय की गई थी। मतलब मई 2010 में 4.61 करोड़ अंडरलाइंग इक्विटी शेयर के बदले एक करोड़ डॉलर के 15.38 लाख ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी किए गए। इस मामले में हेरा-फेरी का आरोप लगने के बाद सेबी ने इसकी जांच की। जांच में पता चला कि अरुण पंचारिया ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट जारी होने के हर चरण में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे।
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जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि इस मामले में कर्ज लेकर फर्जी तरीके से ग्लोबल डिपॉजिट रिसीट हासिल किया गया। इसके बाद कर्ज को चुकाए बिना ही ग्लोबल डिपॉजिट रिसीट को शेयर में बदल कर इसे बेच दिया गया। इस पूरे मामले में मुकेश चौरड़िया भी एक पक्ष बने हुए थे। इसलिए उन पर भी सेबी ने 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। सेबी का आरोप है कि अरुण पंचारिया और मुकेश चौरड़िया ने प्रोहिबिशन ऑफ फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज रूल्स (पीएफयूटीपी) में दिए गए प्रावधानों का उल्लंघन किया।(एएमएपी)