चुनाव आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की तारीखों का एलान कर दिया है। इसी के साथ राजनीतिक सरगर्मी और भी तेज हो गई। भाजपा ने अब तक 267 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया है, जबकि कांग्रेस अभी तक केवल 82 उम्‍मीदवार ही घोषित कर पायी । कांग्रेस के सामने उम्‍मीदवारों के चयन को लेकर बड़ी मुश्किलें आ रही है। कर्नाटक में कुछ मंत्रियों और विधायकों के लोकसभा चुनाव लड़ने में अनिच्छा जताने के बाद कांग्रेस के लिए ‘‘जीतने योग्य’’ उम्मीदवारों की तलाश करना कठिन हो गया है। कांग्रेस को सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा किए 10 दिन बीत गए हैं लेकिन बाकी की 21 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

21 सीटों पर होने हैं उम्मीदवारों के नाम की घोषणा

कांग्रेस को सात सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा किए 10 दिन हो चुके हैं, जबकि शेष 21 सीटों के लिए उम्मीदवारों को चुनने की प्रक्रिया जारी है। कांग्रेस की आठ मार्च को जारी पहली सूची में किसी भी मंत्री और विधायक का नाम नहीं था। पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कुछ मंत्रियों और विधायकों को चुनाव लड़ने के लिए मनाने का प्रयास कर रहा है। क्योंकि पार्टी को कई क्षेत्रों में जीतने योग्य उम्मीदवारों की पहचान करने में समस्या आ रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री जी परमेश्वर ने हाल में कहा था कि पार्टी में सात से आठ मंत्रियों को मैदान में उतारने पर चर्चा चल रही है।

पार्टी के सामने ये हैं मुश्किलें

कहा जाता है कि कुछ मंत्री चुनाव लड़ने के बजाय अपने परिवार के सदस्यों की उम्मीदवारी के लिए जोर दे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर उनके परिजनों को मैदान में उतारा गया तो इससे जनता में क्या संदेश जाएगा। हालांकि मंत्रियों या उनके परिवार के सदस्यों को उतारने पर फैसला अब अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेतृत्व पर छोड़ दिया गया है।

19 या 20 को हो सकती है उम्‍मीदवारों की घोषणा

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने शनिवार को कहा कि उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच गई है। उनका कहना है, ‘राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा शनिवार को समाप्त हो गई है। रविवार को इंडिया ब्लॉक के नेताओं की जनसभा है और 19 मार्च को हमारी बैठक उम्मीदवारों के नाम तय करने के लिए है। 19 मार्च की रात या 20 मार्च की सुबह हमारे सभी उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।’ सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस चामराजनगर से एच सी महादेवप्पा, कोलार से के एच मुनियप्पा, बेल्लारी से बी नागेंद्र, बेलगाम से सतीश जारकीहोली, बीदर से ईश्वर खांद्रे और बंगलूरू उत्तर से कृष्णा बायरे गौड़ा को चुनाव मैदान में उतारना चाहती है।

चुनाव लड़ने से हिचकिचा रहे मंत्री

हालांकि, लगभग मंत्री चुनाव लड़ने से हिचकिचा रहे हैं। कुछ के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के नाम सुझाए हैं, इस आश्वासन के साथ कि वे अपनी जीत सुनिश्चित करेंगे। बताया जाता है कि गौड़ा ने पार्टी नेतृत्व से कहा है कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते। वह 2019 में बंगलूरू उत्तर से और 2009 में बंगलूरू दक्षिण से हार गए थे। वहीं, महादेवप्पा अपने बेटे सुनील बोस के लिए चामराजनगर टिकट की मांग कर रहे हैं। परमेश्वर, जो पहले पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे, ने हाल ही में कहा था, ‘वह (महादेवप्पा) कह रहे हैं कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं और टिकट उनके बेटे को दिया जाना चाहिए। पार्टी अंतत: फैसला करेगी कि महादेवप्पा का बेटा होगा या कोई और। अगर वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं तो उन पर दबाव नहीं डाला जा सकता।’

एक अन्य वरिष्ठ मंत्री मुनियप्पा, सात बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री, जो 2019 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद राज्य की राजनीति में लौटे, कहा जाता है कि उन्होंने कोलार सीट के लिए अपने दामाद शशिधर जेई को मैदान में उतारा है। इसी तरह, चिक्कोडी के लिए सतीश जारकीहोली की बेटी प्रियंका जारकीहोली, बेलगाम के लिए लक्ष्मी हेब्बालकर के बेटे मृणाल हेब्बालकर, बेल्लारी के लिए नागेंद्र के भाई वेंकटेश प्रसाद और बीदर के लिए ईश्वर खांद्रे के बेटे सागर खांद्रे के नाम पर चर्चा है।

संतोषजनक रिपोर्ट नहीं मिली

कांग्रेस ने शुरू में मंत्रियों को संभावित उम्मीदवारों की पहचान करने का काम सौंपा था, लेकिन शिवकुमार ने कहा था कि प्राप्त रिपोर्ट संतोषजनक नहीं थीं। उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी ने जीतने योग्य उम्मीदवारों की पहचान करने के लिए एक और सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है। विधानसभा कार्यकाल के बीच में नेतृत्व में बदलाव की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को छिपाए बिना मुख्यमंत्री बने शिवकुमार के लिए इस चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन एक और महत्वपूर्ण परीक्षा है।

खीरी लोकसभा सीट बनी वीआईपी, भाजपा-सपा के बीच होगा दिलचस्‍प मुकाबला

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था जबकि वह राज्य में जनता दल (सेक्यूलर) के साथ गठबंधन में सत्ता में थी। इसे देखते हुए कई वरिष्ठ नेता लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की संभावनाएं अब भी आशाजनक नहीं दिख रही हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एम मल्लिकार्जुन खरगे, वीरप्पा मोइली और मुनियप्पा समेत कई शीर्ष नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था।

2019 के चुनाव का यह रहा था नतीजा

भाजपा पहले ही 20 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। पार्टी ने अभी आठ सीटों के लिए घोषणा नहीं की है जिनमें से तीन मांड्या, हासन और कोलार के गठबंधन सहयोगी जेडीएस की झोली में जाने की संभावना है। कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 सीटें हैं। भाजपा ने 2019 के आम चुनावों में 25 सीटें जीती थीं जबकि पार्टी द्वारा समर्थित एक निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी रहा था। कांग्रेस और जेडीएस, जो उस समय गठबंधन सरकार चला रहे थे और एक साथ चुनाव लड़ रहे थे, ने एक-एक सीट हासिल की थी।(एएमएपी)