इसके लिए पार्टी ने सांसद सुले को पंजाब और हरियाणा की भी जिम्मेदारी दी है। सीनियर पवार के इस्तीफे के ऐलान के बाद से ही सुले का नाम चर्चा में था। उनके अलावा भतीजे अजित पवार और एनसीपी के महाराष्ट्र प्रमुख जयंत पाटिल को भी बड़ा दावेदार माना जा रहा था। पार्टी कैडर ने पवार से इस्तीफा नहीं देने की अपील की थी।
पवार पहले ही दे चुके थे संकेत
साल 2020 में एक इंटरव्यू के दौरान भी पवार ने बेटी को बड़ी भूमिका देने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था, ‘वह राष्ट्रीय राजनीति और संसद में काम करने में ज्यादा दिलचस्पी रखती हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से भी नवाजा गया था। सबकी अपनी पसंद की एक फील्ड होती है। उनकी भी है।’

अजीत पवार के लिए झटका
बीते कुछ महीनों से एनसीपी में पवार और भतीजे अजीत के बीच तकरार की खबरें सामने आ रही थीं। कहा जा रहा था कि अजित महाविकास अघाड़ी से अलग होकर एनसीपी को भारतीय जनता पार्टी के साथ ले जाना चाहते थे। उस दौरान पार्टी के दोनों बड़े नेताओं के बीच विधायकों का समर्थन जुटाने की कोशिश की बात भी सामने आई। ऐसे में यह फैसला अजित के लिए झटका हो सकता है।
पार्टी को लेकर साफ है रणनीति
शरद पवार राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। वह हर कदम बेहद सोच समझ कर उठाते हैं। पवार अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अभी से पार्टी में टिकट बंटवारों के लेकर स्थिति साफ कर चुके हैं। पवार ने इस महीने के शुरू में साफ कर दिया था कि अगले लोकसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे के दौरान ‘जीत की संभावना’ के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जाएगा। पवार ने इस महीने पार्टी की एक समीक्षा बैठक भी की थी। बैठक में पवार ने पार्टी कार्यकर्ताओं को फटकारते हुए कहा था कि कि अगर इकाई में अंतर कलह जारी रहा तो वह कार्रवाई करेंगे।(एएमएपी)



