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आज शरद पूर्णिमा है। यो तो सभी पूर्णिमाएं महत्वपूर्ण हैं लेकिन शरद पूर्णिमा बेहद खास इसलिए है कि यह हमें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर अधिक मजबूत बनाती है। खासकर इस कोरोना-काल में हमें शारीरिक और मानसिक रूप से ऊर्जावान बने रहने की अधिक आवश्यकता है।


 

शरद पूर्णिमा शरद ऋतु के आगमन की सूचना है। इसीलिए इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत बरसता है। चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा को तमाम लोग किताबों में कहा गया किस्सा भर मान सकते हैं लेकिन आयुर्वेद में इसका विस्तार से उल्लेख है। आधुनिक विज्ञान भी अब इसे मान्यता देता है।

आप भी नहाइएगा चांद की रोशनी में

मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी समस्त 16 कलाओं से परिपूर्ण होते हैं और पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करते हैं। आशय यह है कि चंद्रमा की किरणें पवित्र अमृत के समान हो जाती हैं। चांद की चमकती किरणें जब पेड़-पौधों और धरती के एक एक कण पर पड़ती हैं तब उनमें भी शुभता का संचार हो जाता है।

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एक अध्ययन में कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा का स्नान करना चाहिए। रात्रि 10 से 12 बजे तक का समय उपयुक्त बताया गया है। कम और हल्के वस्त्र पहनकर घूमने से आपके शरीर से चंद्रमा की किरणों का प्रभाव अधिक पड़ता है।

शरद पूर्णिमा की शुरुआत ही वर्षा ऋतु के अंत में होती है। इस दिन चांद धरती के सबसे करीब होता है। रोशनी सबसे ज्यादा होने के कारण इनका असर भी अधिक होता है। रोशनी अधिक होने पर भी तीव्रता या तीक्ष्णता नहीं होती। इसलिए आपकी आंखों पर उसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। यूं समझ लें कि हमारे घरों के कमरे में जो ट्यूबलाइट जलती है उसकी किरणों की तीव्रता चंद्रमा की किरणों की तीव्रता से हजार गुना अधिक होती है।

बड़ी चमत्कारी है यह खीर

भारतीय मान्यताओं का मजाक उड़ाते तमाम पढ़े लिखे लोग आपको यहां वहां इफरात में मिलते होंगे। खासकर शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखने और सुबह उसे खाने की परंपरा को ढकोसला तो आज भी एक वर्ग बताता ही है। क्या सच में यह ढकोसला ही है, या इसका कोई सकारात्मक प्रभाव है?

लोगों की आस्था है कि रात में चंद्रमा से बरसने वाला अमृत खीर को भी पावन कर देता है। सुबह प्रसाद के रूप में इसे खाया जाता है। माना जाता है कि इस खीर को खाने से तमाम रोगों से मुक्ति मिलती है और आयु लंबी होती है। यह खीर शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ व्यक्ति को मानसिक रूप से भी मजबूत बनाती है।

दूध में लैक्टिक अम्ल और अमृत तत्व होता है। यह तत्व चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है। चावल में स्टार्च होने के कारण यह प्रक्रिया और आसान हो जाती है।

आयुर्वेद के जानकार शरद पूर्णिमा को खीर को रात भर चांद की रोशनी में रखने के बाद ही खाने की सलाह देते हैं। इसमें दालचीनी, काली मिर्च, घिसा हुआ नारियल, किशमिश, छुहारा आदि का होना जरूरी बताया गया है। रात भर चांदनी में रखने से इसके प्रभाव में वृद्धि होती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

तमाम रोगों का निदान

चंद्रमा की रोशनी इंसान के पित्त दोष को कम करती है। एक्जिमा, गुस्सा, हाई बीपी, सूजन और शरीर से दुर्गंध जैसी समस्या होने पर चांद की रोशनी का सकारात्मक असर होता है।


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