आपको बता दें कि इसी साल संपन्न हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 224 में से 135 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं, भाजपा को सिर्फ 66 सीटें मिली हैं। उन्होंने कहा, “मजबूत और प्रभावी स्थानीय नेतृत्व होने के कारण और स्थानीय मुद्दों पर जोर देने से कांग्रेस को कर्नाटक में जीत हासिल करने में मदद मिली है।”
उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे खुद कर्नाटक से हैं। राहुल और प्रियंका गांधी भी चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्थानीय नेताओं ने नेतृत्व किया। स्थानीय मुद्दों, आर्थिक मुद्दों, बैंगलुरू में बुनियादी ढांचे के विकास के मुद्दों पर जोर दिया गया।”

बीजेपी को मिली हार का करण बताते हुए थरूर ने कहा, भाजपा का चुनावी अभियान केंद्र द्वारा संचालित था। उन्होंने कहा, “स्थानीय स्तर पर भाजपा कमजोर थी। लोग यह बात जानते थे कि पीएम मोदी और अमित शाह कर्नाटक आकर सरकार चलाने नहीं जा रहे हैं। लोगों ने सोचा कि बदलाव की जरूरत है।” थरूर के मुताबिक, हिजाब, हलाल, टीपू सुल्तान और मुसलमानों पर हमलावर होना जैसे मुद्दों का सीमित उपयोग है।
कांग्रेस के नेताओं के बीच दरार पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मतभेद स्वाभाविक हैं। थरूर ने कहा, “राजनीति में लोगों की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं होना स्वाभाविक है। वे पार्टी की विचारधारा और पार्टी के समग्र एजेंडे के लिए प्रतिबद्ध हो सकते हैं। लेकिन हर व्यक्ति यह महसूस कर सकता है कि वह उस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए बेहतर है।” (एएमएपी)



