लक्ष्मण पार्वती पटेल/ कहानी वाला।
आपके घर सारा दिन काम करने वाली बाई आपके घर का toilet उसकी नेचर काल पर उपयोग करती होगी ना!
आज की कहानी वाला की कहानी जन्मी है जयपुर की एक लेखिका स्वर्ण कांता की एक पोस्ट से उपजे एक सवाल से। उनकी पोस्ट में जब एक माँ से उनकी बेटी ने अचानक सवाल पूछा- मम्मा, संजना दीदी हमारे यहां टॉयलेट कर सकती है?

छोटे से सवाल से जोर का झटका लगा उस माँ को!
सुरु घर खेलने आई अपनी दोस्त के बारे में पूछ रही थी… संजना… वो हमारे सामने वाली बिल्डिंग के चौकीदार की 10 साल की बेटी है। उससे माँ ने पूछा- आखिर तुमने ये सवाल क्यों किया… तुम्हारी दूसरी कई दोस्त आती हैं तब तो कभी ऐसा नहीं पूछती तुम… कि मम्मा फलां फलां कह रही है कि टॉयलेट यूज कर लूं।
सुरु बोली- मम्मा, मैं कहां सवाल कर रही थी। वो तो संजना ने खुद कहा कि पहले पूछ लो कहीं… तुम्हारी मम्मी गुस्सा तो नहीं होगी? और मम्मा मैं भी यही सोच रही हूं कि संजना दीदी ने ऐसा क्यों पूछा?
उस चौकीदार की मासूम बेटी ने ये सवाल क्यों पूछा? जवाब दीजिए ना। आप तो इजाज़त देते होंगे ना आपके किसी भी नौकर को अगर उसे toilet यूज करना है आपके घर का। आपकी बेटी उसका जवाब तुरंत देगी ना येस यू  केन यूज। पूछना क्यों इतनी सी बात उसने।

पर शायद न तो हममें से अधिकांश ने कभी ये जवाब किसी नौकर को दिया न ही अपने बच्चे को इस तरह देना सिखाया भी। क्योंकि हम पड़े लिखे अमीर लोग है। हमारे toilet को वो नौकर यूज करेंगे तो गंदा कर देंगे ना …भगवान ने हमारा तरीक़ा अलग और उन तमाम नौकर के toilet करने का तरीक़ा अलग बनाया है। तभी तो उन्हें मालिक के घर के बाहर जाकर टॉयलेट करके आना होता है, ये उन्हें खुद पता होता है।
एक क़िस्सा हमारे घर का भी है। आपको toilet की बात निकली है तो मैं उसे आपको बताता हूँ ..बैंगलोर के डॉक्टर मनन लाहोटी ने बोला।


रविवार था उस दिन। घर में कुछ दोस्तों की लंच पार्टी थी।
अचानक हमारी हाउस हेल्प हेमा ( खाना बनाने वाली बाई ) तेज़ी से पाखी ( वाइफ़ ) के पास आई और कुछ बोली धीरे से कान में। और उसने हाँ में इशारा कर दिया, वो लगभग भागते हुए घर से बाहर निकली।
मुझे लगा कोई इमर्जेन्सी होगी तभी वो ऐसे भागी।
उत्सुकता से मैंने पूछा क्या हुआ कोई दिक़्क़त? पर पत्नी ने खाना खाते खाते बोला नहीं बस नीचे गई है जल्दी आ जाएगी कुछ काम था।
थोड़ी देर में ही वो आ भी गई।
उसके बनाए खाने में इतना स्वाद होता था कि जो भी हमारे घर से कुछ भी खा कर जाता वो कितने दिन तक उस स्वाद की तारीफ़ करते थकता नहीं था।
सब दोस्त लोग घर से चले गए और हम भी दोनों आराम से टीवी देख रहे थे तब मैंने पूछा कुछ परेशान दिख रही थी हेमा आज , कोई ज़रूरत हो तो उसकी हेल्प कर देना। ‘आप भी ना कुछ समझते तो हो नहीं और पैसे दे दो, बस ये कर दो बोल देते हो’- पत्नी झल्ला कर बोली।
अरे तो क्या हुआ था जो वो भाग कर गईं नीचे , मैंने पूछा। सब बात आपको बताऊँ ये कोई ज़रूरी नहीं , हम औरतों की बात है आप बीच में मत बोला करो।
अब मुझे भी थोड़ा ग़ुस्सा आ गया था।
इसमें औरत, मर्द की बात कहाँ से आ गई।
हमारे यहाँ सालो से काम करती है , घर के सदस्य जैसी है तो उसकी तकलीफ़ पर चिंता तो होगी ना।
अरे आप भी ना छोटी बात को खींच देते हो, वो भी तैश में आकर बोली।
कुछ नहीं हुआ उसको toilet में जाना था। वो पूछने आई थी की नीचे करके आती हूँ दीदी।
मैंने हाँ कह दी- अब इतनी बात को आपने कितना उलझा दिया।
अरे वो नीचे क्यों गई? हमारे यहाँ 4 toilet हैं- उनको यूज़ कर लेती।
अरे ये लोग हमारे toilet में नहीं जाते हैं। आप भी ना जानते कुछ हो नहीं। हमारी पूरी कालोनी में ये बाई लोग कालोनी के पब्लिक toilet में ही जाते है।
ये क्या बात हुई- हमें दूसरों से क्या लेना देना। हमारा घर है हम अपने हिसाब से रहते हैं।
तुम भी तो रोज़ उसको गर्म खाना खिलाती हो कि नहीं। उसका टिफ़िन भी लाने नहीं देती। तब तुम सोचती हो क्या? जैसा दूसरे लोग सोचते है।

मतलब हद है वो काम वाली बाईं toilet हमारा उपयोग करेगी तो वो गंदा हो जाएगा , है ना ये बात। हमारा स्टैंडर्ड कम हो जाएगा उसके जाने से .,सब लोग यही घटिया तरीक़े से सोचते है तो हम भी ऐसा ही सोचे क्या? काम वाले लोगों को नीचे ही toilet करना होगा , हमारे घर पर उन्हें allow नहीं है कमाल है इस छोटी सोच की।
हम दोनो पती पत्नी में बहस होते होते भयंकर झगड़ा हो गया।
ऐसी तमाम सोच जो हमारे अपने काम वाले लोगों और हम में इतना अपमानजनक भेद करे बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं, मनन बोला।
अगर आज जब दुनिया कहां से कहां निकल गई तब भी इतना हम भारतीय परिवार इतने निम्न स्तर पर जाकर सोचेंगे- भेद करेंगे छोटे-गरीब और नौकर-मालिक में …तो इन महँगे घरों को गिरा देना चाहिए, वो भी तुरंत।
ऐसे तमाम लोगों को ईश्वर इतना सक्षम ही न करे की वो नौकर रख सकें और उन बेचारों का भेदभाव करके अपमान कर सकें। मनन ने अपनी भावना बताई।

यक़ीनन, तभी तो उस मासूम सुरु ने चौकीदार की बेटी संजना के उनके घर का toilet उपयोग कर ले क्या- वाला सवाल पूछा। क्योंकि वो बिना बोले भी जान गईं थी की हम पढ़े लिखे मॉडर्न लोग toilet जाने में भी इतना बड़ा फ़र्क़ करते है तो ज़िन्दगी की रोजाना की बातों में क्या जुल्म, भेद भाव नहीं करते होंगे।
बिटिया सुरु का यह सवाल हम सो कॉल्ड लिटरेट, उच्च वर्गीय, सम्मानित लोगों को इसके जवाब के लिए अपने अपने गिरेबान में झाँकने को मजबूर तो कर ही देगा। अगर आप भी अपने घर में अपने नौकर, बाई को उनकी ज़रूरत पर toilet यूज करने नहीं देते तो आपका पढ़ा लिखा, सभ्य दिखना महज़ धोखा है society के सामने, और कुछ नहीं।
(सोशल मीडिया से)