बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का पांचवीं बार सत्ता संभालने का रास्ता साफ हो गया। रविवार को हुए 12वें संसदीय आम चुनाव में उनकी पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग को जनादेश मिला है। बांग्लादेश निर्वाचन आयोग ने मतगणना के नतीजों की घोषणा कर दी। अवामी लीग ने 223 सीटों पर जीत हासिल की है। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गोपालगंज-3 निर्वाचन क्षेत्र में भारी जीत हासिल की। संसद सदस्य के रूप में यह उनका आठवां कार्यकाल होगा। 76 वर्षीय हसीना वर्ष 2009 से सत्ता में हैं और उनकी पार्टी अवामी लीग ने दिसंबर 2018 में पिछला चुनाव भी जीता था। उनका इस एकतरफा चुनाव में लगातार चौथी बार और कुल मिलाकर पांचवीं बार सत्ता में आना पहले से ही तय माना जा रहा था।

अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक जनता ने किसी भी राजनीतिक दल के बजाय स्वतंत्र उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। 63 स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। आयोग के अनुसार, जातीय पार्टी 300 सीटों में से केवल 11 सीटें हासिल करने में सफल रही। हालांकि, शेख हसीना की जीत कोई चौंकाने वाली बात नहीं है, क्योंकि कहीं न कहीं इसका अंदाजा सभी को था। पर इन सबके बीच ध्यान जाता है विपक्ष पर। छिटपुट हिंसा और मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) तथा उसके सहयोगी दलों के बहिष्कार के बीच हुए चुनाव में देखा जा सकता है कि जातीय पार्टी से आगे निर्दलीय उम्मीदवार रहे।

महज 40 फीसदी हुई वोटिंग

बांग्लादेश में 2018 में हुए चुनाव में रिकॉर्ड 80 फीसदी मतदान हुआ था। लेकिन इस बार हुए आम चुनाव का विपक्षी पार्टियों ने बायकॉट कर दिया था। नतीजा ये हुआ कि चुनाव में महज 40 फीसदी वोट ही पड़े। वहीं, आवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादिर ने दावा किया कि लोगों ने वोट देकर बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी की बायकॉट को खारिज कर दिया। चुनाव से पहले बांग्लादेश में कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुई थीं। बताया जा रहा है कि इस बार लोगों में वोटिंग को लेकर उत्साह नहीं था। पोलिंग बूथ पर भी लंबी कतारें नहीं थीं।

बांग्लादेश संसद

बांग्लादेश में एक संसद है जिसे जातीय संसद यानी हाउस ऑफ द नेशन कहा जाता है। इस संसद में 350 सदस्य होते हैं। इन 350 सदस्यों में से 300 सदस्य वोटिंग के माध्यम से चुने जाते हैं और 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित वोट शेयर के आधार पर बांटी जाती है। अब बांग्लादेश में सरकार बनाने के लिए किसी भी राजनीतिक पार्टी को 151 सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी होता है और इस देश के संसदीय चुनाव हर पांच साल में होते हैं।

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बांग्लादेश का इतिहास

बांग्लादेश साल 1947 से पहले भारत का हिस्सा था। उस वक्त बांग्लादेश को ईस्ट बंगाल कहा जाता था। भारत पाकिस्तान के विभाजन के 8 साल बाद यानी साल 1955 में ईस्ट बंगाल के नाम को बदलकर ईस्ट पाकिस्तान रख दिया गया था। फिर साल 1971 के भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बाद ईस्ट पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया था। उस वक्त देश की सत्ता अवामी लीग पार्टी के हाथों में आई और शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री भी बने। उन्हें बांग्लादेश का संस्थापक भी कहा जाता है। वह 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। लेकिन उसी दिन उनकी हत्या हुई थी।

मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद अवामी लीग पार्टी की बागडोर उनकी बेटी शेख हसीना ने संभाली थी। साल 1981 में शेख हसीना आवामी लीग पार्टी की नेता चुनी गईं। इसके बाद उन्होंने साल 1996 से 2000 और 2008 से 2013 तक दो बार प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। साल 2014 के चुनाव में जब विपक्षी दल ने चुनाव लड़ने से बहिष्कार कर दिया था, उस वक्त भी शेख प्रधानमंत्री पद पर कार्यरत थी। बता दें कि 1971 में पाकिस्तान से आजाद होने के बाद बांग्लादेश में 12 आम चुनाव हो चुके हैं। (एएमएपी)