मयमंत्री शिंदे के इस्तीफे की अटकलें खारिज।

अजित पवार की एंट्री से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कैंप में बढ़े तनाव पर अब  विराम लगता नजर आ रहा है। पार्टी का कहना है कि वह सरकार में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शामिल होने से नाराजगी नहीं है। हालात इतने बिगड़ चुके थे कि सीएम शिंदे के इस्तीफे की अटकलें भी लगाई जा रही थीं। हालांकि, पार्टी ने इन्हें भी खारिज कर दिया है।महाराष्ट्र सरकार में मंत्री उदय सामंत ने शिंदे के इस्तीफे की अफवाहों को खारिज किया है। खास बात है कि एनसीपी के आने से अपने नेताओं में नाराजगी के बीच सीएम शिंदे ने आनन फानन में बैठक बुलाई थी। इतना ही नहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में सीएम शिंदे की गैरमौजूदगी ने भी काफी सवाल खड़े कर दिए थे।

सामंत ने कहा, ‘सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में आगामी लोकसभा सत्र, महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के संबंध में एक बैठक हुई थी।’ उन्होंने बताया कि बैठक में इस पर भी बात हुई कि विधायकों, सांसदों, एमएलसी को भविष्य में क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमारे विधायकों में कहीं भी नाराजगी नहीं है। हम सभी को एकनाथ शिंदे पर भरोसा है…। उनके इस्तीफे की जानकारी अफवाहें हैं…। सभी चुनाव एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे।’

शिंदे ने क्या कहा

वर्षा बंगला में हुई बैठक के दौरान सबसे पहले मुख्यमंत्री शिंदे ने अपने इस्तीफे की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि मुझे पता है कि कौन खबरें प्लांट कर रहा है। शिंदे ने बैठक में शामिल सभी विधायकों, मंत्रियों और सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक घटनाक्रम है इससे घबराने की

महाराष्ट्र सरकार समझें

फिलहाल, महाराष्ट्र कैबिनेट में शिवसेना के मंत्रियों की संख्या 10 है और इतने ही मंत्री भाजपा कोटे से हैं। एनसीपी की एंट्री के साथ ही आंकड़ा 29 पर पहुंच गया। राज्य में कुल मंत्रिजरूरत नहीं है। शिंदे ने एनसीपी मामले पर बैठक में मौजूद सभी नेताओं से कहा कि खुद को असुरक्षित महसूस न करें। उन्होंने कहा कि बाबा आंबेडकर ने जो संविधान दिया, उसका आदर करना चाहिए।यों की संख्या 43 तक जा सकती है।

एनसीपी में क्या हैं हाल

एक ओर जहां दिग्गज राजनेता शरद पवार दावा कर रहे हैं कि उन्हें विधायकों का समर्थन हासिल है। वहीं, अजित पवार की मीटिंग में 30 से ज्यादा विधानसभा सदस्य पहुंच गए। रविवार को अजित को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनया गया। साथ ही 8 और विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई थी। फिलहाल, पवार परिवार में बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है।

निर्वाचन आयोग का रुख

इधर, एनडीए सरकार में शामिल होने के बाद अजित ने भारत निर्वाचन आयोग का रुख कर लिया है। अब वह एनसीपी पर भी नियंत्रण की तैयारी कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने आयोग को पत्र लिखा था, जिसमें खुद को एनसीपी का अध्यक्ष बताया था। साथ ही उन्होंने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ पर दावेदारी पेश कर दी थी।(एएमएपी)