पंजाब में आम आदमी पार्टी को बुधवार को जबरदस्त झटका लगा। पार्टी के इकलौते सांसद सुशील कुमार रिंकू भाजपा में शामिल हो गए हैं। रिंकू को पार्टी जालंधर से टिकट दे चुकी थी। उनके साथ ही जालंधर वेस्ट से आप विधायक शीतल अंगुराल भी बीजेपी में शामिल हुए। इससे पहले शीतल अंगुराल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इन दोनों नेताओं ने दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता ली। दोनों को भाजपा महासचिव विनोद तावड़े और पंजाब के पार्टी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी मौजूद थे।केंद्रीय मंत्री पुरी ने कहा भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। हर क्षेत्र से जुड़े लोग भाजपा जॉइन कर रहे हैं और परिवार का हिस्सा बन रहे हैं। सुशील कुमार रिंकू और शीतल अंगुराल का मैं स्वागत करता हूं। उन्होंने कहा कि पंजाब में स्थितियां अब बदल रही हैं। हम सभी मिलकर भारत को 2047 तक विकसित देश बनाने के लिए काम करेंगे। सुशील कुमार रिंक और शीतल से पहले मंगलवार को ही लुधियाना से कांग्रेस के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भाजपा में आ गए थे। उनके दादा बेअंत सिंह पंजाब के सीएम रहे थे और उनकी कट्टरपंथियों ने हत्या कर दी थी। रवनीत सिंह बिट्टू का भी अपना जनाधार रहा है और वह खालिस्तान के खिलाफ मुखर चेहरों में से एक रहे हैं। उनका पार्टी में आना भाजपा के लिए बड़ी ताकत के तौर पर देखा जा रहा है।

भाजपा में शामिल होने के बाद सुशील कुमार रिंकू ने कहा कि यह सच है कि मैंने जालंधर के लोगों से जो वादे किए थे, वे पूरे नहीं हुए क्योंकि मेरी पार्टी (आप) ने मेरा समर्थन नहीं किया। मैं पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की कार्यशैली से प्रभावित हूं।  रिंकू पिछले साल जालंधर उपचुनाव जीतकर सांसद बने थे। वह लोकसभा में आप के एकमात्र सांसद हैं। रिंकू पहले कांग्रेस में थे। 27 अप्रैल, 2023 को वे आप में शामिल हो गए थे और एक दिन बाद उन्हें जालंधर संसदीय क्षेत्र से आप का उम्मीदवार घोषित किया गया था।

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मिल सकता है भाजपा से टिकट!

यही नहीं भाजपा में अंदरखाने चर्चा है कि रवनीत सिंह बिट्टू को लुधियाना से टिकट मिल सकता है। इसके अलावा सुशील कुमार रिंकू भी अब भाजपा के टिकट पर उतर सकते हैं। पंजाब में भाजपा इस बार अकेले ही लोकसभा चुनाव में उतर रही है, उसका अकाली दल के साथ गठबंधन नहीं हो सका है। अब पंजाब में चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति होगी। इसकी वजह यह है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में भी पंजाब में गठजोड़ नहीं हो सका है, जबकि दोनों दल इंडी अलायंस का हिस्सा हैं।(एएमएपी)