उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का सूर्योदय हो रहा है। श्रीराम जन्मभूमि का संघर्ष विश्व का सबसे लंबा संघर्ष है। विश्व हिन्दू परिषद का सबसे बड़ा आंदोलन राम मंदिर के निर्माण के लिए ही किया गया, जो 35 वर्ष तक अनवरत चला और लगभग 16 करोड़ रामभक्तों ने इसमें प्रत्यक्ष भाग लिया। उन्होंने कहा कि जिस उत्साह से दो वर्ष पूर्व सकल हिन्दू समाज ने मन्दिर निर्माण निधि समर्पण अभियान में हिस्सा लिया उससे दुगने उत्साह से वो प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में जुटा हुआ है। आगामी 22 जनवरी को भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के दिन संपूर्ण विश्व के 5 लाख से अधिक मंदिरों में संपन्न होने वाले कार्यक्रमों के लिए हम 12.5 करोड़ों से अधिक परिवारों को श्रीराम जन्मभूमि में पूजित पीले अक्षत (चावल) देकर निमंत्रित करेंगे।
उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड के 16 हजार से अधिक ग्रामों के 20 लाख परिवारों में 1 से 15 जनवरी तक पहुंचकर हम संघ परिवार, अन्य हिन्दू और सामाजिक संगठनों के साथ इस भव्य आयोजन के साक्षी बनने का निमंत्रण देने वाले हैं। उत्तराखंड के चारधाम सहित प्रत्येक ग्राम, शहर, स्थान के मंदिरों में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के दिन भव्य आयोजन किए जायेंगे। इसके लिए सभी मठ-मंदिर के पुजारियों से संपर्क स्थापित किया गया है।
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विश्व प्रसिद्ध संस्था गंगा सभा हरिद्वार तीन दिवसीय विशेष गंगा आरती के साथ दीपोत्सव के कार्यक्रम का आयोजन करेंगी। उत्तराखंड में नानकमत्ता स्थित सिखों के पवित्र गुरुद्वारा में भव्य आयोजन किया जाएगा। 14 वर्ष वनवास के पश्चात अयोध्या आगमन का समाचार उत्तराख की विकट परिस्थितियों वाले दूरस्थ क्षेत्रों में एक माह पश्चात पहुंचा था, तो ईगास बग्वाल के रुप में देव दीपावली का भव्य त्योहार मनाया गया था, जो आज तक मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि 22 जनवरी के बाद श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति में भाग लेने वाले सेनानियों और उनके परिवार को श्रीराम लला के दर्शन करायेंगे। ये सौभाग्य हैं कि सर्वप्रथम देवभूमि के लोगों को ही अवसर प्राप्त होगा। 27 जनवरी को वे दर्शन करेंगे। उन्होंने अयोध्या के श्रीराम मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को भारत के इतिहास का एक गौरवशाली दिवस एवं देव दीपावली जैसा बताया और इस शुभ दिन को हिन्दू समाज द्वारा विशेष उत्सव के रूप में मनाने व प्रत्येक सनातनी के घर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, आश्रम, मन्दिर तथा सार्वजनिक स्थलों पर इस शुभ अवसर पर दीपदान करने का आह्वान किया।(एएमएपी)