दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता को जमानत देने से इनकार कर दिया है। शराब घोटाले में कथित घोटाले को लेकर सीबीआई की ओर से दर्ज केस में सिसोदिया की ओर से दायर याचिका को खारिज किया गया है। कोर्ट ने सिसोदिया की अपील ठुकराते हुए सबूतों की चिंता जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि गवाहों और सबूतों को प्रभावित किए जाने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। हाई कोर्ट से झटका लगने के बाद सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।

 

फरवरी से ही जेल में बंद मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार करते हुए जस्टिस दीनेश शर्मा ने कहा कि वह प्रभावशाली स्थिति में हैं और सबूतों से छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि अधिकतर गवाह सरकारी नौकरी वाले हैं। जज ने यह भी कहा कि आरोपों की प्रकृति बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा कि गवाहों को प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

2020-21 के लिए बनाई गई आबकारी नीति में शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाकर बदले में रिश्वत लेने का आरोप लगने के बाद सीबीआई और ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की थी। सीबीआई ने इसी साल 26 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद 9 मार्च को ईडी ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया था। सिसोदिया तब से तिहाड़ जेल में बंद हैं।

भाजपा बोली, ‘सेवा करने वाले ही दिल्ली को लूट रहे थे

केन्द्रीय मंत्री, भाजपा सांसद एवं प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने आज पत्रकार वार्ता में आम आदमी पार्टी को शराब घोटाला मामले में घेरा। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन लोगों से कानून की रक्षा करने और उन्हें बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है, वे कानून के उल्लंघनकर्ता बन गए हैं। जिसे दिल्ली की सेवा करनी थी, वह दिल्ली को लूटने के लिए भ्रष्ट आचरण करने के अलावा कुछ नहीं कर रहा था।

अध्यादेश के विषय पर केन्द्रीय मंत्री लेखी ने कहा कि सरकार को इसे लाना जरूरी हो गया था। सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद केजरीवाल सरकार भ्रष्टाचार उजागर करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी। उन्हें बचाने के लिए जल्दबाजी में अध्यादेश लाया गया। ऐसा नहीं होता तो सरकार पहले कानून को संसद में पारित कराती।(एएमएपी)