प्रदीप सिंह।

बचपन में या थोड़ा बड़े होने पर कभी आपने यह अनुभव किया है कि घुप अंधेरे में चल रहे हों और आपको डर लग रहा हो। ऐसे समय में बहुत से लोग या तो हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ते हैं या फिर जोर से गाना गाने लगते हैं। एक फिल्मी गाना भी है- डर लगे तो गाना गा। मैं यहां राजनीति की बात कर रहा हूं। कुछ लोगों को डर लगता है तो वे जोर-जोर से बोलते हैं- बहादुरी दिखाने की कोशिश करते हैं- आरोप लगाने की कोशिश करते हैं- और फिर आक्रमण करने की कोशिश करते हैं। इन सबके जरिये दिखाना चाहते हैं कि हम डरते नहीं हैं। दरअसल, वे अंदर से बहुत डरे हुए होते हैं। जो बहुत डरा हुआ होता है वह पहले डराने की कोशिश करता है। वह इस बात का आभास सामने वाले को नहीं होना देना चाहता है कि वह डरा हुआ है। उसको मालूम है कि जैसे ही सामने वाले को यह विश्वास हो गया कि मैं डरा हुआ हूं उसकी विजय हो जाएगी। उसकी विजय को रोकने के लिए वह नहीं डरने का आडंबर करता है। यही हाल इस समय दो नेताओं का है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी।

Satyendar Jain Arrest: HC To Hear Ed's Plea Against Lawyer's Presence During Probe | Nation

ईडी (इन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट) ने जब से सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया है अरविंद केजरीवाल बौखलाए हुए हैं। टीवी पर आकर सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं कि मोदी जी आप एक-एक को क्यों गिरफ्तार कर रहे हैं, हम सबको एक साथ गिरफ्तार कर लीजिए, हम सबको जेल भेज दीजिए। मोदी जी न तो किसी को गिरफ्तार करते हैं और न जेल भेजते हैं। गिरफ्तार करने का काम जांच एजेंसी का है और जेल भेजने का काम अदालत का होता है। मोदी जी तो आपकी तरह नहीं हैं कि किसी पर आरोप लगे और उसे तुरंत क्लीन चिट दे दें। आप तो झूठे आरोप लगाकर घर के सामने प्रदर्शन करने वाले लोग हैं। किसी ने अगर मुकदमा कर दिया तो अदालत में जाकर माफी मांग लेते हैं। जिन्होंने मुकदमा नहीं किया है उनके बारे में आप एक शब्द नहीं बोलते हैं कि हमने झूठ बोला था हमें माफ कर दीजिए। लेकिन मुकदमा हो जाए और जेल जाने की नौबत आ जाए या- यह डर लग जाए कि जेल जा सकते हैं- तब आप अरविंद केजरीवाल का नया रूप देखिएगा। जिस तरह से माफी मांगते हैं, जिस तरह से माफी का संदेश भेजते हैं कि समझौता कर लीजिए मैं माफी मांगने के लिए तैयार हूं, आप मुकदमा वापस ले लीजिए- ये सब करते हैं। वही डर इस समय सता रहा है कि अगला नंबर किसका आएगा। खुद बता रहे हैं कि अब मनीष सिसोदिया को जेल भेजने की तैयारी हो रही है। किसी जांच एजेंसी ने नहीं कहा है कि ऐसा हो रहा है और न ही फिलहाल ऐसी कोई संभावना है।

रिमांड ने बिगाड़ा खेल

satyendra jain arrest delhi cm arvind kejriwal says its a fake case | Satyendra Jain Arrest: ఇదో ఫేక్ కేసు... రాజకీయ దురుద్దేశంతోనే అరెస్ట్.. సత్యేంద్ర అరెస్టుపై కేజ్రీవాల్జాతీయం ...

जिस दिन सत्येंद्र जैन गिरफ्तार हुए थे अगर उसी दिन वे जेल भेज दिए जाते तो शायद इतना डर नहीं होता। ये जो 10 दिन की रिमांड मिली है ईडी को- उसने सारा खेल बिगाड़ दिया है। 10 दिन का रिमांड बहुत महत्वपूर्ण है। जब केंद्रीय जांच एजेंसियां सच उगलवाने के लिए अपने पर आती हैं तो बड़े-बड़े टूट जाते हैं। बड़े-बड़े अपराधी अपना गुनाह कबूल करने के लिए तैयार हो जाते हैं। सत्येंद्र जैन के खिलाफ जो मामला है वह तो अलग मुद्दा है लेकिन सत्येंद्र जैन क्या-क्या बता देंगे डर इस बात का है। अरविंद केजरीवाल और सोनिया गांधी में बड़ी समानताएं भी हैं। दोनों अपनी पार्टी के सर्वोच्च नेता हैं। दोनों अपनी पार्टी में विरोध का स्वर बर्दाश्त नहीं करते हैं। अपनी-अपनी पार्टियों में अंतिम फैसले यही दोनों लेते हैं। दोनों की मर्जी के खिलाफ पार्टी में कुछ नहीं हो सकता है। दोनों अधिनायकवादी प्रवृत्ति वाले नेता हैं जो किसी भी तरह का विरोध, किसी भी तरह का असंतोष किसी भी तरह के अलग स्वर को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं हैं। दोनों में एक समानता और है। पंजाब विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद से अरविंद केजरीवाल को लगता है कि वे चक्रवर्ती सम्राट हो गए हैं। अब उनका अश्वमेध का घोड़ा निकल गया है। यह जहां पहुंचेगा वहीं का सम्राट उनके सामने समर्पण कर देगा।  उनको लगता है कि जिस राज्य में भी वे चुनाव लड़ेंगे वहां उनकी सरकार बन जाएगी। वह कह रहे हैं कि सत्येंद्र जैन को इसलिए गिरफ्तार किया गया कि हिमाचल प्रदेश में हम जीतने वाले थे। सत्येंद्र जैन हिमाचल के प्रभारीहैं। सत्येंद्र जैन वहां के प्रभारी नहीं रहेंगे तो आप हार जाएंगे क्या।

भेद खुलने का सता रहा डर

उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सब कागज देख लिए हैं। कागज देखकर क्लीन चिट देने वाले आप कौन हैं? अब तो यह मांग हो रही है कि आपने कागज देख लिए हैं तो वह कागज सबको दिखाइए। जिन कागजों के आधार पर आप सत्येंद्र जैन को क्लीन चिट दे रहे हैं वह कागज जनता को भी तो देखना चाहिए। सबको पता चलना चाहिए कि सत्येंद्र जैन को निर्दोष साबित करने वाले कागज कौन से हैं। और आपने उन्हें ईडी को क्यों नहीं दिखाए। अगर आप सत्येंद्र जैन को निर्दोष साबित करना चाहते हैं तो वो कागज अदालत में तो दिखाना ही पड़ेगा। तब तो वह सार्वजनिक हो ही जाएगा। केजरीवाल प्रधानमंत्री से हाथ जोड़कर अपील कर रहे हैं कि हम सबको गिरफ्तार कर लीजिए- मतलब विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं। जैसे ही आपकी गलती पकड़ी जाए आप तुरंत रोना शुरू कर दीजिए। कुछ लोग रोने लगते हैं- कुछ लोग अपनी गरीबी का, अपनी जाति का, अपने धर्म का हवाला देते हैं। कुछ अमीर-गरीब का मामला उठाते हैं। अरविंद केजरीवाल इस समय विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं कि देखिए हमें केंद्र सरकार सता रही है, हमें मोदी सता रहे हैं। सवाल यह है कि अगर आपको ये सता रहे हैं तो अदालत का दरवाजा तो खुला हुआ है। अदालत में तो सब बराबर हैं। अभी एक डेढ़ महीने पहले की बात है जब सीबीआई ने कहा कि मामला बंद कर रहे हैं, पता नहीं बंद किया या नहीं। इस पर विवाद है कि सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट लगाई है या नहीं। मान लीजिए कि लगाई है- तब आप सर्टिफिकेट बांट रहे थे कि देखिए सत्येंद्र जैन के खिलाफ कुछ नहीं मिला एजेंसी को। तब एजेंसी मोदी के इशारे पर नहीं चल रही थी। अब गिरफ्तारी हुई है तो एजेंसी मोदी की हो गई, उनके इशारे पर चल रही है। मोदी के इशारे पर एजेंसी चल सकती है, आपकी बात मान ली- लेकिन अदालत में तो ऐसा नहीं होगा। अदालत में तो जो सुबूत, दस्तावेज पेश किए जाएंगे उन्हीं के आधार पर फैसला होगा।

ईमानदारी का ढोंग

नए चक्रवर्ती सम्राट को लग रहा है कि ये हो क्या रहा है मेरे साथ। मैं चक्रवर्ती सम्राट हूं और मेरे लोगों के खिलाफ हाथ लगाने की हिम्मत कैसे हुई किसी की- तो उनकी यह बौखलाहट है। दिल्ली के बारे में कहते थे कि यहां पुलिस उनके हाथ में नहीं है। अब तो पुलिस वाला राज्य मिल गया है उसके बाद कैसे ऐसा कर सकते हैं। दूसरा, ये जो सेंसऑफ इनटाइटलमेंट है कि हम भ्रष्टाचार विरोधी रथ पर सवार होकर आए हैं तो हमारे बारे में आप भ्रष्टाचार का आरोप कैसे लगा सकते हैं, हमारी ईमानदारी पर सवाल कैसे उठाया जा सकता है। हम दूसरों की ईमानदारी पर सवाल उठा सकते हैं, दूसरों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा सकते हैं लेकिन हमारे ऊपर कोई नहीं लगाएगा क्योंकि यह तो बेमानी हो जाएगी। हम तो आंदोलन से निकल कर आए हैं। आंदोलन तो भ्रष्टाचार के खिलाफ ही था। यह अलग बात है कि जो आंदोलन का नेता था सबसे पहले हमने उसी को दगा दिया। पार्टी से ईमानदारों को बाहर कर दिया। अरविंद केजरीवाल का यह हाल है।

कट्टर ईमानदार क्या होता है

अरविंद केजरीवाल को पिछले सात सालों में- 2015 से उनकी सरकार है- तब से अब तक यह याद नहीं आया कि सत्येंद्र जैन ने ऐसा काम किया है जैसा दुनिया में किसी ने नहीं किया है। जैसे ही ईडी ने गिरफ्तार किया, अरविंद केजरीवाल को याद आया कि सत्येंद्र जैन ने तो बहुत बड़ा काम किया है मोहल्ला क्लीनिक खोलने का। इसके लिए उन्हें पद्म विभूषण मिलना चाहिए। ये वही केजरीवाल हैं जिन्होंने अभी कुछ दिन पहले ही कहा था कि जो भ्रष्टाचार करता है वह देशद्रोही है। पंजाब का स्वास्थ्य मंत्री भ्रष्टाचार करते हुए पकड़ा गया है। जेल गया है लेकिन उसे पार्टी से अभी तक नहीं निकाला गया है। देशद्रोही आपकी पार्टी में क्यों है? सत्येंद्र जैन आरोपी बन गए हैं तो उनको देशभक्त बता रहे हैं, कट्टर ईमानदार बता रहे हैं। कट्टर ईमानदार क्या होता है- यह विशेषण ईमानदारी के साथ पहली बार सुना है। हो सकता है कि आम आदमी पार्टी में कट्टर ईमानदार होते होंगे क्योंकि वे भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से आए हैं। जिसके लिए आप पद्म विभूषण की मांग रहे हैं अगर वह कट्टर ईमानदार भ्रष्ट साबित हो गया तो फिर क्या होगा- फिर आपका कदम क्या होगा? ये जो हल्ला-हंगामा है, ये जो आक्रोश है सब नकली है। यह डर से उपजा हुआ आक्रोश है। इसलिए जोर से चिल्ला रहे हैं।

सोनिया गांधी को जेल जाने की आशंका

Constitutional Institutions Are Under Threat. Public Under Fear. Polarization Is On By BJP-RSS: Sonia Gandhi | | The Tripura Post

अब सोनिया गांधी को देखिए। उनको लगता है कि वे तो खानदानी चक्रवर्ती सम्राट हैं, केजरीवाल कहां से आ गए। कांग्रेसियों का नारा है, “नक्कालों से सावधान, असली दुकान यही है।” उन्हें लगता है कि चक्रवर्ती सम्राट तो इसी परिवार में होते हैं। इस परिवार में जो पैदा हुआ, इस परिवार में जिसकी शादी हुई वही चक्रवर्ती सम्राट है। उन्हें लगता है कि भारत के लोगों का मतिभ्रम हो गया है या उनकी याददाश्त कमजोर हो गई है कि उनके परिवार ने कितना बलिदान दिया है। जब बलिदान की बात करते हैं तो जोर-जोर से बोलते हैं, गिनती कराते हैं। सही बात है, कराना भी चाहिए। लेकिन उसकी एवज में कितना सत्ता सुख भोगा है- कितने फायदे उठाए हैं- इसकी गिनती नहीं कराते हैं। न्याय की बात या संतुलन की बात तो तभी होगी जब दोनों पक्षों की बात की जाए कि बलिदान दिया है और क्या-क्या पाया है उसके बदले में- या अभी और क्या पाने की इच्छा है। ये मानकर चल रहे हैं कि भले ही जनता ने उन्हें सत्ता से हटा दिया हो लेकिन सत्ता के असली अधिकारी तो वही हैं। सोनिया गांधी ने शायद जीवन में कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि इतना बड़ा बलिदान, इतना बड़ा त्याग कि प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ दी- उसके बाद उन्हें ईडी का समन आएगा। अदालत में पेश होना पड़ेगा। जमानत लेनी पड़ेंगी। अब उन्हें डर सता रहा है कि जेल भी जाना पड़ सकता है। जेल जाने की आशंका मात्र से 24 घंटे भी नहीं हुए कि सोनिया जी को कोरोना हो गया। हालांकि कोरोना किसी को भी हो सकता है। इसके लिए आप ईडी से पेशी की नई तारीख मांग सकते थे लेकिन बहादुरी दिखाने की कोशिश हो रही है। ये जो अंदर का डर है वह मजबूत करता है बहादुरी दिखाने के लिए। बहादुरी दिखाने के लिए कहा गया कि कुछ भी हो जाए 8 जून को सोनिया जी ईडी के सामने जरूर पेश होंगी। अगर उनको कोरोना हुआ है तो ईडी के लोग उन्हें ऐसे ही आने नहीं देंगे। कौन चाहेगा कि वो आएं और बाकी लोगों को भी संक्रमित करके जाएं।

एक गिरती हुई और एक उठती हुई पार्टी

No alliance with Congress now and we're totally serious: AAP | Delhi News - Times of India

कुल मिलाकर ये जो दो नेता हैं- एक गिरती हुई पार्टी के और एक उठती हुई पार्टी के, एक कितना उठेगी कोई नहीं जानता- दूसरी कितना गिरेगी कोई नहीं जानता है- इनके दोनों नेता अंदर से डरे हुए हैं। डरे हुए आदमी का जैसा व्यवहार होता है- इस मामले में कहना चाहिए कि वे बड़े स्वाभाविक ढंग से वैसी ही प्रतिक्रिया दे रहे हैं जैसे कोई भी डरा हुआ व्यक्ति देता है। तीसरे सज्जन राहुल गांधी अभी विदेश में हैं। उनका अभी तक कोई बयान आया नहीं है। हर छोटी-बड़ी बात पर ट्वीट आ जाता है लेकिन इस पर कोई ट्वीट नहीं आया है। मुझे आशंका है कि उनकी छुट्टी और बढ़ जाए। मेरी धारणा गलत भी हो सकती है। हो सकता है वो जल्दी आ जाएं। वह जिस कार्यक्रम के लिए ऑक्सफोर्ड गए थे वह कब का खत्म हो गया। उसके बाद उन्होंने अपनी विदेश यात्रा का समय बढ़ा लिया है। जब भी आएंगे ईडी के सामने पेश तो होना ही पड़ेगा- उसके सवालों का सामना तो करना ही पड़ेगा। उन सवालों के जवाब पर तय होगा कि वहां से लौट कर घर जाएंगे- या अदालत में पेश किए जाएंगे- या ईडी की कस्टडी में जाएंगे। यह कानूनी प्रक्रिया है। जो भी किसी जांच एजेंसी या पुलिस के शिकंजे में आएगा उसको इस प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ेगा। इन नेताओं के लिए यह परिस्थिति बिल्कुल अकल्पनीय है। इसलिए इनकी प्रतिक्रिया बिल्कुल अलग है। जितना होना चाहिए उससे ज्यादा है और आने वाले दिनों में यह और बढ़ने वाला है।