आपका अखबार ब्यूरो।
कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें केंद्रीय कृषि कानून को रोकने के लिए नया कानून बनाएंगी। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के सभी मुख्यमंत्रियों को ऐसा निर्देश दिया है। कांग्रेस इस समय राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और पुदुचेरी में सत्ता में है। महाराष्ट्र और झारखंड में वह गठबंधन में जूनियर पार्टनर है।
कांग्रेस के रुख पर अचरज
जब किसी बात का विरोध सिर्फ विरोध के नाम पर हो तो उसका खोखलापन उजागर होने में ज्यादा देर नहीं लगती। केंद्र सरकार के किसानों से संबंधित कानून का कांग्रेस पार्टी विरोध कर रही है। यों तो नरेन्द्र मोदी सरकार का कोई ऐसा काम नहीं है जिसका कांग्रेस ने विरोध न किया हो। पर कृषि से संबंधित तीनों कानूनों के विरोध पर थोड़ा अचरज होता है। ये तीनों कानून ऐसे हैं जिनको लाने का वादा कांग्रेस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने घोषणापत्र में किया था।
विरोध की विचित्र राजनीति
राजनीति बड़ी विचित्र चीज है। खासतौर से अपने देश में। अपने यहां किसी मुद्दे का समर्थन या विरोध इस बात पर निर्भर करता है कि ऐसा करने वाली पार्टी सत्ता में है या विपक्ष में। कांग्रेस विरोध की राजनीति के जूनून में यह भी भूल गई है या याद रखना नहीं चाहती कि भारत में एक संविधान भी है। देश उसी संविधान से चलता है।
राज्य को संशोधन का अधिकार
भारत के संविधान के मुताबिक कोई भी राज्य सरकार समवर्ती सूची ( ऐसे विषय जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं) के विषय पर बने केंद्रीय कानून में संशोधन कर सकती है। संविधान में कृषि को समवर्ती सूची में रखा गया है। इसलिए राज्य सरकार को इस कानून में संशोधन का संवैधानिक अधिकार है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक मशहूर वकील और वरिष्ठ कानूनविद अभिषेक मनु सिंघवी ने नये कानून के मसौदे को मंजूरी दे दी है।
सारी कार्यवाही पाखंड भर
पर बात यही पर आकर नहीं रुकती। संविधान का अनुच्छेद 254(2) कहता है कि केंद्र के बनाए कानून में संशोधन या उसे लागू करने से रोकने वाला राज्य का कानून तभी लागू होगा जब उसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिलेगी। कांग्रेस को अच्छी तरह पता है कि उसकी राज्य सरकारों के कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिलने वाली। इसलिए यह सारी कार्यवाही पाखंड भर है। वास्तव में कुछ होने वाला नहीं है। महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार ने तो केंद्र के कानून के मुताबिक अपने यहां शासकीय दिशा निर्देश भी जारी कर दिए हैं। इसके अलावा कांग्रेस के इस प्रस्ताव के प्रति किसी और गैर भाजपा सरकार ने कोई रुचि नहीं दिखाई है।
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