कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश से लोकसभा के सियासी संग्राम में उतर सकती हैं। जबकि कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की संभावना अभी खत्म नहीं हुई है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी रायबरेली व अमेठी में पूरी तत्लीनता से जुट गई हैं। गांधी परिवार के लिए अन्य संभावित सीटों पर भी गुणा- गणित शुरू हो गया है।कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी पिछले चार लोकसभा चुनाव से रायबरेली से सांसद हैं। पिछले दिनों उनके सियासत से संन्यास लेने की चर्चा शुरू हो गई, लेकिन पार्टी के नेता इस चर्चा को एक सिरे से खारिज कर रहे हैं। क्योंकि विधानसभा चुनाव में भले ही रायबरेली के वोटर दूसरे दलों की ओर कदम बढ़ा दें, लेकिन लोकसभा में कांग्रेस के पूरी तत्परता दिखती है। ऐसे में पार्टी रायबरेली से सोनिया गांधी को उम्मीदवार मानकर चल रही है। फिर भी अपरिहार्य स्थित में सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ने से इनकार किया तो यहां से प्रियंका गांधी उम्मीदवार होंगी। इसी तरह राहुल गांधी का मामला कोर्ट में होने की वजह से प्रियंका को अमेठी से भी दावेदार बनाया जा सकता है।

कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि तीसरी रणनीति भी बनाई गई है। यदि सोनिया गांधी रायबरेली और राहुल गांधी अमेठी से मैदान में उतरते हैं तो प्रियंका गांधी को अन्य किसी सीट से मैदान में उतारा जा सकता है। इसके लिए सीटों पर वोटबैंक का मंथन चल रहा है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में उतार कर न सिर्फ सांसद संख्या बढ़ाई जा सकती है बल्कि पार्टी की ओर मतदाताओं के बढ़ते रूझान को गति दिया जा सकता है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी कहते हैं कि सोनिया गांधी का चुनाव लड़ना तय है। प्रियंका से भी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ने की अपील की गई है। पार्टी प्रदेश में पूरी सक्रियता से चुनावी तैयारी कर रही हैं। रायबरेली और अमेठी में टीमें डटी हुई हैं। इन दोनों सीटों के अलावा प्रियंका गांधी के लिए दूसरी सीटों का भी आकलन किया जा रहा है। हर पहलू पर रिपोर्ट तैयार करके जल्द ही प्रियंका गांधी को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

यूपी से क्यों जरूरी है प्रियंका का आना

प्रदेश की सियासी नब्ज पर नजर रखने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो रेहान अख्तर कहते हैं कि प्रियंका के प्रति जनता में आकर्षण हैं। वह हिमाचल, कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश में सक्रिय हैं। जहां भी प्रियंका की जनसभा होती है, लोग उनकी बात को गौर से सुनते हैं। ऐसे में प्रियंका के जरिए पार्टी उत्तर प्रदेश में फिर से खुद को खड़ा कर सकती है। पिछले दिनों प्रियंका ने कहा भी था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का आदेश होगा तो वह चुनाव लड़ेंगी। प्रियंका अभी चुनावी राज्यों में निरंतर सक्रिय हैं। उम्मीद है कि देर सबेर वह उत्तर प्रदेश में सक्रियता बढ़ाएंगी। लोग प्रियंका गांधी के अंदर उनकी दादी की छवि देखते हैं। उनकी सिर्फ शक्ल ही अपनी दादी से नहीं मिलती बल्कि उनके काम करने का अंदाज भी कुछ वैसा ही है।(एएमएपी)