1952 में हो चुके थे विलुप्त
भारत कभी एशियाई चीता का घर था लेकिन 1952 तक जानवरों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। मुख्य रूप से शिकारियों द्वारा शिकार किए जाने और उनकी चित्तीधारी का खाल का बड़े पैमाने पर संग्रह करना, इनके विलुप्त होने की खास वजह थी। 2020 में जानवरों को फिर से लाने के प्रयासों ने गति पकड़ी। जब भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अफ्रीकी चीता के एक अलग उप-प्रजाति को प्रयोग के आधार पर सावधानीपूर्वक चुने गए स्थान पर देश में लाया जा सकता है।
पिछले साल अगस्त में आवे थे चीते
दक्षिण अफ्रीका के साथ सौदे के लिए बातचीत लंबे समय से चल रही थी, पहले चीतों के शुरू में पिछले अगस्त में भारत आने की उम्मीद थी। इस दौरान वे क्वारंटीन में रह रहे हैं। परियोजना में शामिल प्रिटोरिया विश्वविद्यालय के एक पशु चिकित्सा वन्यजीव विशेषज्ञ एड्रियन टोरडिफ ने कहा, “क्वारंटीन में चीते… अभी ठीक हैं और बेहतर एक्टिविटी कर रहे हैं।”
कूनो नेशनल पार्क में हैं नामीबिया के चीते
नई दिल्ली से 320 किलोमीटर (200 मील) दक्षिण में एक वन्यजीव अभ्यारण्य कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आए चीतों को रखा गया है, जिसे इसके प्रचुर शिकार और घास के मैदानों में घूमने-फिरने का मौका मिल सके। (एएमएपी)