मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर टिका सियासी गणित

आखिरकार लोकसभा चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया है। समाजवादी पार्टी कुल 17 सीटें देने को तैयार हो गई है। इन 17 सीटों में हालांकि करीब 10 सीटें हारने वाली ही हैं। पर इन सीटों पर समाजवादी पार्टी या कांग्रेस किसी के भी कैंडिडेट जीतने की स्थिति में नहीं होते। हालांकि अन्य जिन सीटों को कांग्रेस ने हासिल करने में सफलता पाईं हैं उससे कांग्रेस का ग्राफ समाजवादी पार्टी के मुकाबले बेहतर होता दिख रहा है। अगर राम मंदिर के चलते बीजेपी के पक्ष में हवा चलती है तो यह कहना गलत नहीं होगा कि एक बार फिर यूपी में गठबंधन करके समाजवादी पार्टी पछता रही होगी। आइये देखते हैं कि इस गठबंधन से किसे फायदा होता नजर आर रहा है।

सीटों के बंटवारे में कांग्रेस के खाते में वही सीटें गई हैं जिन पर उसका अपना प्रभाव कभी रहा करता था। यूपी की 80 लोकसभा सीटों के इतिहास पर नजर डाला जाए तो सपा-कांग्रेस गठबंधन का सीधा असर 25 सीटों पर सीधा दिखाई दे रहा है। इसमें सबसे अधिक 13 सीटें मुस्लिम बाहुल्य वाली हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा इनमें से पांच सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इन सीटों पर मुस्लिमों की आबादी 35 से लेकर 45 प्रतिशत तक बताई जा रही है।

दस सालों में बदल गई तस्वीर

एक समय था कि यूपी में कांग्रेस, सपा व बसपा का दबदबा हुआ करता था, लेकिन पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा ने इन सभी को पीछे छोड़ दिया। बात सिर्फ तीन लोकसभा चुनावों की करें तो भाजपा ने सभी पार्टियों को पीछे धकेला है। वर्ष 2009 के चुनाव में सपा ने 23 तो कांग्रेस ने 21 सीटें यूपी में जीती थीं। इन दोनों पार्टियों का वोट प्रतिशत भी भाजपा से कहीं अधिक था, लेकिन वर्ष 2014 और 2019 के चुनावों में इनका वोटिंग प्रतिशत काफी नीचे चला गया।

रुक सकता है मुस्लिम वोटों का बंटवारा

यह माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के एक साथ आने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा काफी हद तक रुकेगा। अब देखने वाला यह होगा कि बसपा कितने सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती है, क्योंकि वह इनके साथ नहीं है और अपने दम पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रखा है। बसपा के मुस्लिम दांव पर वोटों का बंटवारा रोकने के लिए सपा और कांग्रेस की रणनीति कितनी कारगर होती है यह तो समय बताएगा। बसपा मुस्लिम वोट बंटवारा कराने में सफल रही तो इसका सीधा नुकसान सपा-कांग्रेस गठबंधन पर पड़ेगा। जिसकी संभावना बहुत कम प्रतीत होती है।

आठ सीटों पर रहा कब्जा

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के साथ गठब्ंधन पर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में मुस्लिम बाहुल्य 13 सीटों पर मुस्लिमों का वोट एकतरफा गठबंधन को गया था। इसका सीधा फायदा यह हुआ की मुस्लिम प्रभाव वाली 13 सीटों में आठ इस गठबंधन के पास गई। इसमें से पांच बसपा तो तीन सपा जीती थी।

इन 25 सीटों पर पड़ेगा असर

सपा मैनपुरी, एटा, बदायूं, कन्नौज, रामपुर, मुरादाबाद व आजमगढ़। कांग्रेस रायबरेली, अमेठी, कानपुर, झांसी, बासगांव। इसके अलावा मुस्लिम बाहुल्य बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, कैराना, सहारनपुर, संभल, नगीना, बहराइच, बरेली व श्रावस्ती हैं।

कांग्रेस को दी गई सीटों में से कई पर सपा ज्यादा मजबूत

जिन 17 सीटों को समाजवादी पार्टी कांग्रेस को दे रही है उनमें से कई ऐसी सीटें हैं जहां आंकड़ों का गणित समाजवादी पार्टी के साथ है। यहां तक कि रायबरेली और अमेठी में भी बीजेपी की मुख्य कंटेंडर समाजवादी पार्टी हो चुकी है। पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि रायबरेली और अमेठी से कांग्रेस साफ हो चुकी है। 2022 के विधानसभा चुनावों में रायबरेली में 4 सीटें समाजवादी पार्टी की हैं जबकि एक बीजेपी की हैं। उसी तरह अमेठी में 3 सीट बीजेपी की है तो 2 सीट समाजवादी पार्टी ने जीती है। इसी तरह प्रयागराज , बाराबंकी आदि में समाजवादी पार्टी दूसरे स्थान पर थी फिर भी गठबंधन में ये सीटें कांग्रेस को मिल रही हैं। कई ऐसी सीटें भी हैं जहां पिछले चुनावों में बीएसपी दूसरे नंबर पर है उन सीटों पर भी कांग्रेस के बजाय समाजवादी पार्टी अगर चुनाव लड़ती तो बेहतर पोजिशन में होती।

सपा-कांग्रेस यूपी में गठबंधन के लिए तैयार, सीट शेयरिंग पर सहमति

उत्तर प्रदेश का बदल सकता है वोटिंग पैटर्न

यूपी में मुसलमानों का वोट समाजवादी पार्टी को मिलता रहा है। जाहिर है कि इस बार भी समाजवादी पार्टी को मुसलमान वोट करता। पर अगर एक बार कांग्रेस को वोटिंग हो गई और मुस्लिम वोटों की बदौलत कांग्रेस समाजवादी पार्टी के बराबर सीटें जीत लेती है तो यूपी का वोटिंग पैटर्न बदल जाएगा। कांग्रेस के यूपी में जिंदा होने का सबसे बड़ा नुकसान समाजवादी पार्टी को होगा। समाजवादी पार्टी का मुस्लिम वोट बैंक छिटक कर कांग्रेस के पास हमेशा के लिए जा सकता है। जहां तक वोट ट्रांसफर होने वाली बात है उसमें भी फायदा कांग्रेस को ही होने वाला है। समाजवादी पार्टी के पास तो वोट बैंक है पर कांग्रेस के पास मुस्लिम वोटों के सिवा यूपी में कोई वोट बैंक नहीं है। मुस्लिम वोट पहले भी समाजवादी पार्टी को वोट देता रहा है। कांग्रेस को समाजवादी पार्टी के पिछड़े विशेषकर यादव वोटों का जमकर फायदा होने वाला है।(एएमएपी)