प्रियंका गांधी ने पार्टियों के बीच कराई सुलह

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस में आपसी सहमति बन गई है। दोनों पार्टियों में गठबंधन के फॉर्मूले पर बात बन गई है। यह सुलह कराने में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की बड़ी भूमिका रही। दोनों पार्टियों के बीच सुलह कराने और सीट शेयरिंग को को अंतिम रूप देने के लिए प्रियंका ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव से बात की। जिसके बाद समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 17 लोकसभा सीटें देने पर सहमत हो गई है। इस संबंध में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि हमारे बीच कोई विवाद नहीं है। गठबंधन होगा। जल्द ही सारी चीजें साफ हो जाएंगी। बाकी चीजें तो पुरानी हो गई हैं। अंत भला तो सब भला।

कांग्रेस को 17 सीटें देने के लिए सपा तैयार

इस सियासी घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने बताया कि प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव दोनों ने फोन पर सीटों के बंटवारे पर लंबी चर्चा की और एआईसीसी महासचिव ने सपा प्रमुख को 17 सीटें छोड़ने के लिए राजी किया।  इन सीटों पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारेगी। सूत्रा के हवाले से एक कांग्रेस नेता ने बताया, “हां, शुरुआत में सपा ने उन सीटों की पेशकश की जहां कांग्रेस का मजबूत आधार नहीं था। प्रियंका गांधी वाड्रा ने सपा प्रमुख को जालौन और बागपत लोकसभा सीटों के बदले में अमरोहा और बाराबंकी छोड़ने के लिए राजी किया। कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया है कि यह चुनाव लड़ने के लिए अधिक सीटों के बारे में नहीं है, बल्कि सीटों की जीत की क्षमता के बारे में है।

समाजवादी पार्टी द्वारा कांग्रेस को 17 सीटें देने के लिए राजी होने के बाद चीजें बदलनी शुरू हुईं। सीट शेयरिंग समिति के सदस्यों सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने एक संभावित समाधान खोजने के लिए मुख्य महासचिव राम गोपाल यादव और एमएलसी उदयवीर सिंह सहित के जरिए समाजवादी पार्टी से संपर्क किया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (यूपीसीसी) के पूर्व अध्यक्ष सलमान खुर्शीद ने कहा कि हमने समिति की सिफारिशें पार्टी नेतृत्व को प्रस्तुत कीं और सभी बारीक बिंदुओं पर उच्चतम स्तर पर गहन चर्चा की गई।

एआईसीसी महासचिव अविनाश पांडे ने गठबंधन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “भाजपा को हराने के लिए सभी ताकतों को एक साथ लाने के लिए समर्पण और संकल्प के साथ काम करने के लिए हम राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के आभारी हैं।” वहीं, कांग्रेस भी लखीमपुर खीरी और श्रावस्ती सीटों पर अपना दावा कर रही है। दोनों दलों के नेता जल्द ही इस मुद्दे पर फैसला कर सकते हैं। पांडे ने कहा कि इस पर फैसला सीटों के बंटवारे के संबंध में नहीं बल्कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन के हित में लिया जाएगा।

कांग्रेस को मिली ये सीटें

सपा ने कांग्रेस को जो सीटें दी हैं उनमें – अमेठी, रायबरेली, प्रयागराज, वाराणसी, महाराजगंज, देवरिया, बांसगांव, सीतापुर, अमरोहा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बाराबंकी, फतेहपुर सीकरी, सहारनपुर और मथुरा का नाम शामिल है। वहीं, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस को मुरादाबाद, बलिया और बिजनौर सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं। जबकि कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के लिए बलिया सीट पर दांव लगाना चाहती है। वहीं, बलिया को सपा का गढ़ माना जाता है।

आगरा में न्‍याय यात्रा में शामिल हो सकते हैं अखिलेश

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव शुरू में रायबरेली या अमेठी में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने पर विचार कर रहे थे, लेकिन सीट-बंटवारे की बातचीत में प्रगति की कमी के कारण उन्होंने ऐसा करने से परहेज किया। हालांकि अब उम्मीद है कि अखिलेश यादव आगरा में यात्रा में शामिल होंगे। गौरतलब है कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी सपा और कांग्रेस दोनों ने गठबंधन किया था। उन्होंने संयुक्त रूप से ‘यूपी को ये साथ पसंद है’ नारे के साथ प्रचार किया। हालांकि नतीजे गठबंधन के पक्ष में नहीं रहा। कांग्रेस को केवल सात विधान सभा सीटें मिलीं, जबकि समाजवादी पार्टी ने 47 सीटें जीतीं।

सपा अब तक 32 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी

बताते चलें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद सीट पर जीत हासिल की थी। मुरादाबाद में मेयर के चुनाव में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही थी और मामूली अंतर से हार गई थी। यूपी में सपा अब तक कुल तीन लिस्ट में 32 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। पहली सूची 30 जनवरी को आई थी। इसमें 16 उम्मीदवारों का ऐलान किया था। दूसरी सूची में 11 और उम्मीदवारों की घोषणा की थी, इस लिस्ट में डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी के भाई और बसपा सांसद अफजाल अंसारी का नाम भी शामिल है। तीसरी सूची में 5 उम्मीदवारों के नाम थे। बदायूं से शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया गया है। (एएमएपी)