सवर्ण भी एजेंडे में शामिल।
इंडिया गठबंधन की प्रमुख घटक सपा ने अपने नए सिरे से बने प्रदेश संगठन में सोशल इंजीनियरिंग कर चुनावी बिसात बिछा दी है। पिछड़ा दलित अल्पसंख्क (पीडीए) को कमेटी में तवज्जो मिली है, सवर्णों को भी खासा प्रतिनिधित्व देकर सपा ने उन्हें अपने नजदीक लाने की कोशिश की है। पार्टी ने इसके जरिए संदेश दिया है कि वह भले ही पीडीए व जातिगत जनगणना को मुद्दा बनाए लेकिन सवर्ण भी उसके एजेंडे में शामिल हैं।
182 सदस्यीय कमेटी में मुस्लिमों की तादाद भी काफी है। कमेटी में पदाधिकारियों में सवर्णा की हिस्सेदारी कम है और पीडीए की हिस्सेदारी ज्यादा है। 70 पदाधिकारियो में 10 सवर्ण बाकी गैर सवर्ण हैं। गैर सवर्णों में सबसे ज्यादा 30 गैरयादव ओबीसी हैं। 14 मुस्लिम हैं। दलित व अनुसूचित जनजाति के दस प्रदाधिकारी हैं। पांच यादव के अलावा एक-एक इसाई व सिख समुदाय से हैं। जातिगत संतुलन बिठाने की कोशिश सदस्यों व आमंत्रित सदस्यों के चयन में भी दिखती है।
यह चुनावी बिसात सपा ने संतुलन बनाने की कोशिश की है। सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम कहते हैं, ‘कि हम सभी वर्ग व समाज के लोगों को आगे लेकर जाना चाहते हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर इस भावना को कमेटी गठन में रखा गया है। सूची के शीर्ष के सात आठ नाम से जाहिर हो जाएगा कि सभी वर्गों को लिया गया है।’
शिवपाल के खास लोगों को अहमियत

कई विधायकों को मौका
कई साल बनी कमेटी
2016 में जब सत्तारुढ़ सपा में आंतरिक घमासान हुआ तो अखिलेश ने सपा की कमान संभालते ली। उस वक्त की कमेटी में कुछ शिवपाल के साथ थे। वर्ष 2017 में अखिलेश यादव ने नरेश उत्तम को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। तदर्थ कमेटी काम करती रही। बाद में इसे भंग कर दिया गया। इसके बाद 2021 में सपा ने 72 सदस्यीय नई कमेटी बनाई। अब यह कमेटी मुख्यत: 120 सदस्यीय है बाकी 62 तो विशेष आमंत्रित हैं।
120 सदस्यीय कमेटी में जातिगत विवरण
मुस्लिम -24
गैरयादव ओबीसी- 45
दलित- 17
यादव- 11
ब्राह्मण- 8
अन्य- 15



