आपका अख़बार ब्यूरो।
78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लगातार ग्यारहवें सम्बोधन में एक बात साफ़ कर दी कि राष्ट्र की प्राथमिकताओं को लेकर उनकी सरकार इंच भर भी डिगने या झुकने वाली नहीं है। उन्होंने भारत के विकास को आकार देने, नवाचार को बढ़ावा देने और देश को विभिन्न क्षेत्रों में विश्व में अग्रणी बनाने के उद्देश्य से भविष्य के लक्ष्यों की एक रूपरेखा प्रस्तुत की है। प्रधानमंत्री के संबोधन की कुछ मुख्य बातें ध्यान से सुनने योग्य हैं।
हम संकल्प के साथ बढ़ तो रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि कुछ लोग होते हैं जो प्रगति देख नहीं सकते हैं, कुछ लोग होते हैं जो भारत का भला सोच नहीं सकते हैं जब तक खुद का भला न हो, तब तक उनको किसी का भला अच्छा नहीं लगता है। ऐसे विकृत मानसिकता से भरे हुए लोगों की कमी नहीं होती है। देश को ऐसे लोगों से बचना होगा।
मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं कि हम अपनी नेक नियत से, अपनी ईमानादारी से, राष्ट्र के प्रति समर्पण से, हम सारी परिस्थितियों के बावजूद भी विपरीत मार्ग पर जाने वालों के लिए भी उनके भी दिल जीत करके, हम देश को आगे बढ़ाने के संकल्प में कभी भी पीछे नहीं हटेंगे, यह मैं विश्वास देना चाहता हूं।
चुनौतियां हैं, अनगिनत चुनौतियां हैं, चुनौतियां भीतर भी हैं, चुनौतियां बाहर भी हैं और जैसे-जैसे हम ताकतवर बनेंगे, जैसे-जैसे हमारा तवज्जो बढ़ेगा तो चुनौतियां भी बढ़ने वाली हैं। बाहर की चुनौतियां और बढ़ने वाली हैं और मुझे उसका भलीभांति अंदाज है। लेकिन मैं ऐसी शक्तियों को कहना चाहता हूं भारत का विकास किसी के लिए संकट ले करके नहीं आता है।
मैंने व्यापक रूप से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जंग छेड़ी है। मैं जानता हूं, इसकी कीमत मुझे चुकानी पड़ती है, मेरी प्रतिष्ठा को चुकानी पड़ती है, लेकिन राष्ट्र से बड़ी मेरी प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है, राष्ट्र के सपनों से बड़ा मेरा सपना नहीं हो सकता है। और इसलिए ईमानदारी के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी, तीव्र गति से जारी रहेगी और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई जरूर होगी।
देश में, इतना महान संविधान हमारे पास होने के बावजूद भी कुछ ऐसे लोग निकल रहे हैं जो भ्रष्टाचार का महिमामंडन कर रहे हैं। भ्रष्टाचारियों की स्वीकार्यता बढ़ाने का जो निरंतर प्रयास चल रहा है, वो स्वस्थ समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है, बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गया है।
बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ है, उसको लेकर पड़ोसी देश के नाते चिंता होना, मैं इसको समझ सकता हूं। मैं आशा करता हूं कि वहां पर हालात जल्द ही सामान्य होंगे। खासकर के 140 करोड़ देशवासियों की चिंता कि वहां हिंदू, वहां के अल्पसंख्यक, उस समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हो। भारत हमेशा चाहता है कि हमारे पड़ोसी देश सुख और शांति के मार्ग पर चलें।
अब जब संविधान के 75 वर्ष हम मनाने जा रहे हैं। देशवासियों को संविधान में निर्दिष्ट कर्तव्य के भाव पर बल देना बहुत जरुरी है और जब मैं कर्तव्य की बात करता हूं तब मैं सिर्फ नागरिकों पर बोझ बनाना नहीं चाहता। कर्तव्य केंद्र सरकार के भी हैं, कर्तव्य केंद्र सरकार के हर मुलाजिम के भी हैं, कर्तव्य राज्य सरकारों के भी हैं, राज्य सरकार के मुलाजिम के हैं।
देश की मांग है, कि अब देश में एक Secular Civil Code हो, हमने Communal Civil Code में 75 साल बिताएं हैं। अब हमें Secular Civil Code की तरफ जाना होगा, और तब जाकर के देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहें हैं, सामान्य नागरिकों को दूरी महसूस होती है, उससे हमें मुक्ति मिलेगी।
मैं देश में एक चिंता के बारे में हमेशा कहता हूं परिवारवाद, जातिवाद भारत के लोकतंत्र को बहुत नुकसान कर रहा है। देश को, राजनीति को हमें परिवारवाद और जातिवाद से मुक्ति दिलानी होगी। हम जल्द से जल्द देश में राजनीतिक जीवन में, शुरूआत में जनप्रतिनिधि के रूप में एक लाख ऐसे नौजवानों को आगे लाना चाहते हैं जिनके परिवार में किसी का भी कोई राजनीतिक background न हो।
बार-बार चुनाव, इस देश की प्रगति में रूकावट बन रहे हैं, गतिरोध पैदा कर रहे हैं। आज किसी भी योजना को चुनाव के साथ जोड़ देना आसान हो गया है। ऐसे में One Nation One Election के लिए देश को आगे आना होगा। हर काम को चुनाव के रंग से रंग दिया गया है। इस पर देश में व्यापक चर्चा हुई है। सभी राजनीति दलों ने अपने विचार रखे हैं। एक committee ने बहुत बढ़िया अपना रिपोर्ट तैयार किया है।
मैंने पहले भी कहा था कि मेरे तीसरे term में देश तीसरी Economy तो बनेगा ही, लेकिन मैं तीन गुना काम करूंगा। मैं देशवासियों को आह्वान करता हूं, हमारे पूर्वजों ने जो सपनें देखे थे, उन सपनों को हम संकल्प बनाएं, अपने सपनों को जोड़े, अपने पुरूषार्थ को जोड़े और 21वीं सदी जो भारत की सदी है, उस सदी में स्वर्णिम भारत बना करके रहें।
बहन बेटियों के प्रति अत्याचार से आक्रोश
महिलाओं के बढ़ते कदम: बीते वर्षों में Women led development Model पर हमने काम किया है। Innovation, Employment, Entrepreneurship, हर सेक्टर में महिलाओं के कदम बढ़ते जा रहे हैं। आज 10 साल में हमारी 10 करोड़ बहनें women self help में जुड़ी है। वे बहुत बड़े सामाजिक परिवर्तन की गारंटी ले करके आती हैं। मेरी सामान्य परिवार की माताएं-बहनें लखपति दीदी बनती हैं, मेरे लिए ये भी उतनी ही गर्व की बात है। अब हमने self help group को 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये देने का निर्णय किया है। अब तक 9 लाख करोड़ रुपये बैंकों के माध्यम से हमारे इन women self help groups को मिले हैं और जिसकी मदद से वो अपने अनेकविद् कामों को बढ़ा रहे हैं।
जब हम Working women के लिए paid maternity leave 12 हफ्ते से बढ़ाकर के 26 हफ्ते कर देते हैं। तब सिर्फ नारी सम्मान ही नहीं करते हैं बल्कि, नारी के प्रति संवेदनशील भाव से निर्णय करते हैं और उसकी गोद में जो बच्चा पला है उसको एक उत्तम नागरिक बनाने के लिए मां की जो जरूरत है, उसमें सरकार रूकावट न बने, इस संवेदनशील भावना से हम निर्णय करते हैं।
दूसरी तरफ कुछ चिंता की बातें भी आती हैं, हमे गंभीरता से सोचना होगा कि हमारी माताओं-बहनों बेटियों के प्रति जो अत्याचार हो रहे हैं, उसके प्रति देश का आक्रोश है। इस आक्रोश को मैं महसूस कर रहा हूं। इसको देश को, समाज को, हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा।